मध्य प्रदेश के विधनसभा चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भाजपा की कमजोर कड़ी बन सकते है. उनके साले संजय सिंह ने जब कांग्रेस ज्वाइन कर ली तो शिवराज सिंह चौहान को तगड़ा झटका लगा. परिवार से मिली इस चुनौती ने शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता पर सवालिया निशान लगा दिया है.

मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश में अपने 15 साल पूरे कर चुके है. 15 सालों में उनकी उपलब्ध्यिं पर अकेले व्यापंम घोटाला चुनौती बन गया. मध्य प्रदेश विधनसभा चुनाव के शुरूआती समय में यह माना जा रहा था कि भाजपा अलग नेता के साथ विधनसभा चुनाव लड़ेगी. भाजपा के पास विधनसभा चुनाव से पहले ऐसा कोई नेता नहीं था जिसे वह मुख्यमंत्री का प्रत्याशी बनाकर उतार सके.

ऐसे में भाजपा ने फैसला किया कि मध्य प्रदेश विधनसभा चुनाव शिवराज सिंह चौहान के नाम पर लडेगी. जैसे जैसे भाजपा चुनाव प्रचार को धार दे रही वैसे वैसे उसे लग रहा है कि लोगों में शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता घटी है. उत्तर प्रदेश से लगे मध्य प्रदेश के विधनसभा क्षेत्रों में शिवराज सिंह चौहान से अधिक लोकप्रिय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रा योगी आदित्यनाथ है. मध्य प्रदेश विधान चुनावों में संगठन की तरफ से प्रचार अभियान देखने वाले एक संगठन मंत्री कहते हैं, ‘शिवराज सिंह चौहान के 15 साल पार्टी पर भारी पड रहे है. ऐसे में पार्टी की तरफ से प्रचार अभियान में अंदरखाने यह बात समझाई जा रही है कि वोट शिवराज के नाम पर नहीं प्रधनमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर मांगे जायें.’

भाजपा के उत्तर प्रदेश के रहने वाले यह संगठन मंत्री कहते है ‘हमें अपनी कमजोरी पता है पर इस बात को हम कह नहीं सकते क्योंकि अब शिवराज को आगे रखने का फैसला हो चुका है. हमें अपने प्रचार अभियान में इस बात का पता भी चला है कि लोग भ्रष्टाचार की बात पर व्यांपम घोटाले का जिक्र कर देते हैं. जिससे हमारे चुनाव प्रचार की धार कुंद हो रही है. यह बात जरूर है कि शिवराज सिंह चौहान सरल स्वभाव के नाते लोकप्रिय हैं. विरोधियों के साथ ही साथ भाजपा के कुछ स्थानीय नेता भी अब शिवराज का विरोध कर रहे है.’

असल में भाजपा को प्रधनमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहली जैसी लोकप्रियता मध्य प्रदेश के विधनसभा चुनाव में दिखाई नहीं पड़ रही है. मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान भी अब स्टार प्रचारक नहीं रहे. देश युवा राजनीति की चर्चा कर रहा है भाजपा के पास कमलनाथ जैसा अनुभवी और ज्योतिरादित्य जैसा युवा नेता नहीं है. जो बेहतर तालमेल के साथ चुनाव प्रचार कर रहे हैं. भाजपा में शिवराज सिंह पुराना चेहरा है. उनके नाम और काम दोनो का आकर्षण जनता पर नहीं चल रहा है. मध्य प्रदेश के दूसरे भाजपा नेता भी शिवराज के साथ तालमेल नहीं बना पा रहे है.

भाजपा ने कांग्रेस के प्रचार अभियान को कुंद करने के लिये ज्योतिरादित्य सिंधियाऔर दिग्विजय सिंह की अनबन को सोशल मीडिया पर प्रचारित करना शुरू किया तो कांग्रेस ने शिवराज सिंह चौहान के साले संजय सिंह को कांग्रेस में शामिल कर अपनी आक्रामक रणनीति का परिचय दे दिया. अब शिवराज सिंह चौहान खेमे में इसका जवाब तलाश किया जा रहा है. भाजपा को खुद महसूस हो रहा है कि शिवराज का बासी पड़ता चेहरा भाजपा को भारी पड़ सकता है.

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