बीसीसीआई यानी भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राहुल जौहरी पर एक अज्ञात महिला लेखक ने यौनशोषण का आरोप लगाया है. अब प्रशासकों की समिति (सीओए) ने उन्हें सफाई देने के लिए कहा है. बता दें कि दुनिया के सब से अमीर क्रिकेट बोर्ड के सब से पावरफुल लोगों में से एक हैं राहुल जौहरी. बीसीसीआई में इस से पहले इस पद पर नियुक्ति की परंपरा नहीं थी, लेकिन लोढ़ा समिति की सिफारिशों के बाद ही सीईओ पद पर पहली बार नियुक्ति की गई.
माना जाता है कि राहुल जौहरी विनोद राय के खासमखास हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विनोद राय की अगुआई में बनाई गई प्रशासकों की समिति में राहुल जौहरी का रोल बहुत बड़ा है. राहुल जौहरी और अधिकारियों के बीच कभी बनी नहीं. राहुल जौहरी की वेतन बढ़ोतरी और उन के खर्चों को ले कर भी कई अधिकारी सवाल उठा चुके हैं.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, राहुल जौहरी का सालाना वेतन 5 करोड़ रुपए से अधिक है. घर के किराए के लिए 50 लाख रुपए दिए जाते हैं और विदेश भ्रमण के लिए उन्हें 500 डौलर प्रतिदिन भत्ता दिया जाता है.
इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राहुल जौहरी क्या बला है. राहुल जौहरी की नियुक्ति के बाद बीसीसीआई की कमाई में भी काफी बढ़ोतरी हुई है, क्योंकि चाइनीज मोबाइल कंपनी के साथ रिकौर्ड कीमत में जर्सी की डील हुई, आईपीएल के मीडिया राइट्स को ले कर बड़ी डील हुई. इस तरह से राहुल जौहरी ने बीसीसीआई को और मालामाल कर दिया.
अब विनोद राय ने ही राहुल जौहरी से मी टू के आरोप लगने के बाद स्पष्टीकरण मांगा है. ऐसे में राहुल फिलहाल बुरे फंसे हुए हैं.
इसी तरह भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा ने एक ट्वीट में कहा है कि एक बैडमिंटन अधिकारी ने मेरे कैरियर और सपनों को चकनाचूर कर दिया. वे लिखती हैं कि मुझे मी टू कैंपेन के जरिए अपने साथ हुए मानसिक शोषण की बात करनी चाहिए.
अपनी पोजिशन का फायदा उठा कर यौनउत्पीड़न करने वाले मर्दों के खिलाफ चल रहा मी टू कैंपेन सोशल मीडिया पर जोरशोर से चल रहा है. संस्कार बांटने वाले, खबरें छापने वाले, भजन गाने वाले, खेल खिलवाने वाले सब इस के लपेटे में हैं. बड़ीबड़ी हस्तियां सकते में हैं. कोई अपने पद से इस्तीफा दे रहा है तो किसी से इस्तीफा लिया जा रहा है, तो कोई सफाई दे रहा है कि वह निर्दोष है तो कोई माफी मांग कर मामले को रफादफा कर देना चाह रहा है.
ऐसा नहीं है कि इस की शुरुआत अभी हुई है, यह तो बहुत पहले हो चुकी थी पर इस का असर नहीं हो रहा था. जब से राजनेता इस की चपेट में आए तो इस मामले ने तूल पकड़ लिया. इस कैंपेन में सब से अच्छी बात यह हुई कि महिलाएं अब खुल कर सामने आ रही हैं. वे डरीसहमी नहीं बल्कि निडर हो कर आगे आ रही हैं.
खेल, बौलीवुड, हौलीवुड, राजनीति, मीडिया आदि पर हमेशा से पुरुषों का ही वर्चस्व रहा है. और पुरुष स्वभाव से ही लंपट कह लें या फिर यों कहें कि उस की आंखों में वासना तैरती रहती है. वह किसी भी तरह औरत के शरीर को हासिल करना चाहता है, उसे भोग लेना चाहता है. उसे लगता है कि वह जिस पद पर काबिज है वह यह सब कर सकता है और पद का दुरुपयोग करते हुए वह करता भी है.
कई सारी महिलाएं या कैरियर बनाने वाली लड़कियां भी कम समय में तरक्की पाना चाहती हैं और इसी सनक के कारण वे यह रास्ता अख्तियार करती है या फिर उन्हें मजबूर किया जाता है. पर सभी महिलाएं ऐसी नहीं होतीं और यौनशोषण का डट कर मुकाबला करती हैं. पर इस मी टू कैंपेन में जो मामले सामने आए हैं वे काफी पुराने हैं. ऐसे में अदालत के सामने सुबूत दे पाना मुश्किल होगा. और अदालती मामले में सुबूत के बिना कुछ भी होना संभव नहीं होता. यदि सुबूत इकट्ठा कर लें तो शोषण करने वाले को सजा मिलनी तय है. अगर सुबूत न भी मिले तो कम से कम मर्दों को यौनशोषण करने से एक नहीं, दस बार सोचना होगा.