राजस्थान के आगामी विधानसभा चुनावों में बसपा, आम आदमी पार्टी, वामपंथी दल और कांग्रेस के बीच गठबंधन की खिचड़ी पक नहीं पाई पर इन दलों को छोड़ कर भाजपा के बागी नेता घनश्याम तिवारी द्वारा गठित नई पार्टी, पूर्व सांसद जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल, समाजवादी पार्टी और निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल ने मिल कर तीसरे मोर्चे के गठन का रास्ता खोल दिया है.
पिछले समय से प्रदेश भर में जगहजगह रैलियां कर भाजपा और कांग्रेस की नींद उड़ा रहे जाट नेता एवं खींवसर से विधायक हनुमान बेनीवाल ने जयपुर में आयोजित हुंकार रैली में इन दलों के नेताओं की मौजूदगी में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का ऐलान किया. मंच पर भारत वाहिनी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष घनश्याम तिवारी, राष्ट्रीय लोकदल के नेता एवं पूर्व सांसद जयंत चौधरी और समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधि शामिल थे.
इन दलों के नेताओं ने कहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले ये चारों दल गठबंधन करेंगे. इन का दावा है कि वे अन्य छोटे दलों को साथ ले कर तीसरी ताकत के रूप में उभरेंगे.
मंच पर मौजूद नेताओं ने उम्मीद जताई कि टिकट बंटवारे के बाद कांग्रेस और भाजपा से नाराज कई बड़े नेता भी उन के साथ आ सकते हैं. घनश्याम तिवारी और बेनीवाल की पार्टी पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरेगी.
चार दलों के एकजुट होने से सत्तारूढ भाजपा और कांग्रेस को चुनौती मिल सकती है. पिछले समय से प्रदेश के जाट मतदाता कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों से नाराज चल रहे हैं. इस बार हनुमान बेनीवाल के रूप में उन्हें अपना एक मजबूत नेता मिला हैं जिन्हें वे आगे बढाना चाहते हैं.
एक तरह से इस तीसरा मोर्चा जाटों, ब्राह्मणों, पिछड़ों को अपने साथ जोड़ने की कवायद कर रहा है. घनश्याम तिवारी भाजपा में रहते प्रदेश के ब्राह्मण मतदाताओं में अपना प्रभाव रहते थे. उन का यह असर अब भी बरकरार है. हनुमान बेनीवाल जाटों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश में जुटे हैं. उन की रैलियों में बड़ी संख्या में जाट युवा मतदाताओं की भीड़ उमड़ रही है. इस से भाजपा और कांग्रेस के जाट नेताओं की नींद उड़ी हुई है.
पिछले कुछ सालों से हनुमान बेनीवाल प्रदेश में खुद को नाथूराम मिर्धा, रामनिवास मिर्धा, चौधरी कुंभाराम की तर्ज पर जाट नेता के रूप में स्थापित करने में लगे हुए हैं. जाटों की भारी भीड़ भी उन की कईर् रैलियों में दिखाई दी है.
जयपुर में आयोजित हुंकार रैली में हनुमान बेनीवाल ने जाट नेता के रूप में किसानों के लिए कई वादे किए. उन्होंने कहा कि तीसरे मोर्चे की सरकार बनने पर किसानों के पूरे कर्ज माफ, फ्री बिजली, बेरोजगारों को 10 हजार रुपए भत्ता दिया जाएगा. हर साल एक लाख रोजगार दिया जाएगा. इस के अलावा किसानों के हित में स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू कराने, किसानों की फसलों का उचित मूल्य दिलाने जैसे कदम उठाए जाएंगे.
राजस्थान में अभी तक तीसरे मोर्चे की ताकत कभी कामयाब नहीं हुई. प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा दोनों बारीबारी से पांचपांच साल तक शासन करती आई है. इस बार भी अभी तक नए तीसरे मोर्चे को सत्ता के लिए तगड़ा संघर्ष करना होगा, वरना भाजपा से तो मतदाता पूरी तरह रूढे नजर आ रहे हैं. पांच साल भाजपा ने प्रदेश की जनता को परेशान किया, अब पांच साल कांग्रेस की बारी आ रही है.
तीसरा मोर्चा केवल दोनों बड़ी पार्टियों के वोट काटने के अलावा बड़ी कामयाबी पा लेगा, ऐसे आसार नहीं दिखाई दे रहे हैं.