20 अगस्त, 2018 को सुबह के समय बिरियां गांव का राजू अपने खेत की तरफ जा रहा था. जब वह बाबा की बगिया पार कर रहा था तो उस ने खेत की मेड़ पर एक युवक की लाश पड़ी देखी. लाश देख कर वह उलटे पांव गांव की ओर सरपट दौड़ा. उस ने हांफते हुए गांव के कुछ लोगों को लाश पड़ी होने की जानकारी दी. इस के बाद तो पूरे गांव में लाश मिलने की बात फैल गई और लोग लाश देखने के लिए खेत की ओर दौड़ पड़े.
जिस खेत की मेड़ पर लाश पड़ी थी, वह खेत गांव बिरियां के ही भानु शुक्ला का था. इसी गांव के रहने वाले विजय सिंह सेंगर को जब लाश की सूचना मिली तो उन का माथा ठनका. क्योंकि उन का जवान बेटा अखंड प्रताप सिंह उर्फ कल्लू बीती रात घर नहीं आया था. वह घर से सजेती बाजार जाने की बात कह कर निकला था.
विजय सिंह सेंगर बदहवास हालत में नंगे पैर ही खेत की ओर दौड़ पड़े. भानु शुक्ला के खेत पर पहुंच कर जब उन्होंने लाश देखी तो वह दहाड़ मार कर रो पड़े. क्योंकि वह लाश उन के बेटे अखंड प्रताप सिंह की ही थी. इसी बीच किसी ने यह खबर फोन द्वारा थाना सजेती पुलिस को दे दी.
सूचना पा कर थानाप्रभारी राजेंद्र रावत पुलिस दल के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. शव के पास एक अधेड़ आदमी फूटफूट कर रो रहा था. श्री रावत ने उस से पूछताछ की तो उस ने बताया कि मृतक युवक उस का बेटा अखंड प्रताप सिंह उर्फ कल्लू है.
कल्लू के गले में खरोंच के निशान थे और गले में सफेद रंग का अंगौछा लिपटा हुआ था. उस की उम्र यही कोई 23 साल के आसपास थी. लाश देखने से थानाप्रभारी को लग रहा था कि उस की हत्या गला घोंट कर की गई है.
थानाप्रभारी अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी राधेश्याम तथा सीओ अर्पित कपूर भी वहां पहुंच गए. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद मृतक के पिता विजय सिंह सेंगर से पूछताछ की. विजय सिंह ने बताया कि उस की न तो किसी से कोई दुश्मनी है और न ही किसी से लेनदेन या जमीनजायदाद का झगड़ा है. पता नहीं किस ने और क्यों उस के बेटे को मार डाला.
पुलिस अधिकारियों ने वहां मौजूद गांव के अन्य लोगों से भी पूछताछ की. फिर थानाप्रभारी को दिशानिर्देश दे कर दोनों पुलिस अधिकारी वहां से चले गए. इस के बाद थानाप्रभारी ने मौके से सबूत कब्जे में ले कर लाश पोस्टमार्टम के लिए माती में स्थित पोस्टमार्टम हाउस भिजवा दी. फिर विजय सिंह सेंगर की तरफ से अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर ली और जांच में जुट गई.
शुरुआती जांच में पुलिस को पता चला कि मृतक कल्लू की न तो किसी से कोई दुश्मनी थी और न ही किसी से लेनदेन का झगड़ा था. बल्कि पड़ोसी महेश भदौरिया की बेटी सोनी से उस का चक्कर चलने की बात सामने आई. पुलिस को यह भी जानकारी मिली कि घटना वाली रात सोनी अपने मायके में थी लेकिन दूसरे ही दिन वह अचानक ससुराल चली गई थी.
सोनी शक के घेरे में आई तो थानाप्रभारी राजेंद्र रावत ने सोनी के पिता महेश से पूछताछ की. महेश ने दबी जुबान से स्वीकार किया कि सोनी को कल्लू ने अपने प्रेमजाल में फंसा लिया था. पर जैसे ही उसे यह जानकारी मिली तो उस ने सोनी का विवाह हरदोई के भोला सिंह के साथ कर दिया था. सावन में गुडि़या और रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने के लिए वह घर आई थी लेकिन पता नहीं वह क्यों रक्षाबंधन से पहले ही ससुराल चली गई.
सोनी रक्षाबंधन से पहले ही ससुराल क्यों चली गई, यह बात थानाप्रभारी की समझ में नहीं आ रही थी. उन्हें इस बात का शक हो गया कि कल्लू की हत्या के तार जरूर सोनी जुड़े हैं. थानाप्रभारी ने सोनी के पिता महेश भदौरिया से कहा कि वह सोनी को उस की ससुराल से बुलवा लें, नहीं तो पुलिस सोनी को पूछताछ के लिए उस की ससुराल से ले आएगी.
महेश भदौरिया ने सोचा कि यदि पुलिस सोनी की ससुराल गई तो वहां उस की बदनामी होगी. अत: उस ने श्री रावत से वादा किया कि वह जल्द ही सोनी को ससुराल से ले आएगा.
इसी बीच थानाप्रभारी को एक व्यक्ति ने बताया कि उस ने सोनी और कल्लू को कल शाम के धुंधलके में बाबा की बगिया के पास एक साथ बतियाते देखा था. कल्लू की हत्या किस ने की है, यह उसे पता नहीं है. लेकिन वह यह बात दावे के साथ कह सकता है कि हत्या का राज सोनी जरूर जानती है.
25 अगस्त को महेश भदौरिया सोनी को उस की ससुराल से घर बुला लाया. तभी थानाप्रभारी 2 महिला सिपाहियों के साथ गांव बिरियां पहुंच गए. पूछताछ के लिए वह सोनी को थाने ले आए. थाने में जब उस से कल्लू की हत्या के संबंध में पूछा गया तो वह साफ मुकर गई लेकिन जब महिला दरोगा उमारानी ने पुलिसिया अंदाज में उस से पूछताछ की तो सोनी ज्यादा देर तक नहीं टिक सकी.
उस ने कल्लू की हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया. अखंड प्रताप सिंह उर्फ कल्लू तो सोनी का प्रेमी था. उस ने अपने प्रेमी कल्लू की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार निकली—
उत्तर प्रदेश के जिला कानपुर देहात के थाना सजेती का एक छोटा सा गांव है बिरियां. ठाकुर बाहुल्य इसी गांव में महेश भदौरिया अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी अनीता सिंह और 2 बेटियां थीं.
महेश के पास गांव में जो खेती थी, उसी से वह अपने परिवार का खर्च चलाता था. उस ने बड़ी बेटी की शादी घाटमपुर निवासी जगत सिंह के साथ कर दी. जगत सिंह तहसील में काम करता था.
दोस्ती बदल गई प्यार में
महेश की छोटी बेटी सोनी बहुत खूबसूरत थी. वह जब किसी काम से घर से निकलती तो गांव के कई युवक उस पर डोरे डालने की कोशिश करते थे. उन्हीं में से एक उस के पड़ोस में रहने वाला अखंड प्रताप सिंह उर्फ कल्लू भी था.
कल्लू उसे कुछ ज्यादा ही चाहता था. अखंड प्रताप सिंह के पिता विजय सिंह सेंगर और सोनी के पिता महेश सिंह पड़ोसी थे और दोनों एक ही बिरादरी के थे. इसलिए दोनों के बीच घनिष्ठ संबंध थे. दोनों परिवारों के बच्चों का बचपन साथसाथ खेलते बीता था.
सोनी और अखंड प्रताप सिंह के बीच बचपन से ही लगाव था. लेकिन जब दोनों जवान हुए तो उन के बीच लगाव तो पहले की ही तरह था लेकिन अब उन के नजरिए में बदलाव आ गया था.
उन की चंचलता अब खामोशी के साथ दूसरा मुकाम अख्तियार कर चुकी थी. उन के दिलों में प्यार के बीज अंकुरित हो चुके थे. इसलिए अब वे गंभीर हो चुके थे. जब भी उन्हें मौका मिलता, वह प्यार भरी बातें करते. यह सिलसिला काफी समय तक इसी तरह चलता रहा.
दोनों के घर वालों को उन पर किसी तरह का शक इसलिए नहीं हुआ क्योंकि वे पड़ोस के नाते भाईबहन थे. रक्षाबंधन पर सोनी कल्लू की कलाई पर राखी बांधती थी. इसी रिश्ते की आड़ में वह घर वालों को बेवकूफ बनाते रहे. उन के बीच जो प्यार उपजा था, वह उस रिश्ते को भूल गया था.
सच्चाई आ ही गई सामने
कहते हैं कि प्यार की खुशबू बहुत तेजी से फैलती है. ऐसा ही सोनी और कल्लू के साथ भी हुआ. एक दिन सोनी की मां अनीता सिंह ने उस की और कल्लू की बातें सुन लीं. शाम को इस बारे में उस ने बेटी से पूछा तो उस ने हंसते हुए कह दिया कि उस का कल्लू से इस तरह का कोई संबंध नहीं है.
अनीता सिंह ने भी जमाना देखा था. वह समझ गई कि बेटी झूठ बोल रही है, इसलिए उस ने उस से सख्ती से पूछताछ की तो सोनी को सच उगलना ही पड़ा. सोनी ने डरतेडरते कह दिया कि वह कल्लू से प्यार करती है.
प्यार शब्द सुनते ही अनीता का गुस्सा फूट पड़ा. वह सोनी की पिटाई करते हुए बोली, ‘‘कुलच्छिनी, तुझे शरम नहीं आई. जानती है जातिबिरादरी के नाते वह तेरा क्या लगता है? कम से कम अपने रिश्ते का तो लिहाज किया होता.’’
‘‘मम्मी, वह कोई मेरा सगा भाई थोड़े ही है. हम दोनों एकदूसरे को बहुत चाहते हैं और मैं उस से शादी करना चाहती हूं.’’
‘‘अच्छा, बहुत जबान चला रही है. अभी खींचती हूं तेरी जबान.’’ कहते हुए अनीता ने उस पर लात और घूंसों की बरसात कर दी. लेकिन सोनी यही कहती रही कि चाहे वह उसे कितना भी मार ले, पर कल्लू को नहीं छोड़ेगी.
सोनी की पिटाई करतेकरते जब अनीता हांफने लगी तो एक ओर बैठ कर उसे गालियां देने लगी. साथ ही उस ने धमकी दी, ‘‘आने दे तेरे बाप को, वही तेरी ठीक से खबर लेंगे. बहुत उड़ने लगी है न तू, अब तेरे पर कतरने ही पड़ेंगे.’’
मां की पिटाई व धमकी से भयभीत हो कर सोनी सुबकती रही. शाम को जब महेश आया तो अनीता ने सारी बात उसे बता दी. महेश को गुस्सा तो बहुत आया लेकिन उस ने समझदारी से काम लिया.
वह बेटी को दूसरे कमरे में ले गया और उसे समझाते हुए कहा, ‘‘बेटा, तूने जो कदम उठाया है, जानती है इस से हमारा गांव में रहना दूभर हो जाएगा. किसी के सामने हम सिर नहीं उठा सकेंगे. वैसे तू अब कोई बच्ची तो है नहीं, खुद समझदार है. तुझे खुद समझना चाहिए कि क्या करना चाहिए, क्या नहीं.’’
पिता की सीख सोनी को अच्छी तो लगी, लेकिन उस के सामने समस्या यह थी कि वह कल्लू से उस के साथ जिंदगी बिताने का वादा कर चुकी थी. अब उस के सामने एक ओर पिता की इज्जत थी तो दूसरी ओर वह प्यार था, जिस के लिए वह कुछ भी करने का वादा कर चुकी थी.
अंत में वह इस नतीजे पर पहुंची कि वह घर वालों की इज्जत के लिए अपने प्यार को एक स्वप्न की तरह भूल जाने की कोशिश करेगी. इसलिए उस ने पिता से वादा कर लिया कि वह अब कल्लू से नहीं मिलेगी. यह बात लगभग सवा साल पहले की है.
इधर सोनी की पिटाई वाली बात कल्लू को पता चल चुकी थी. उस के मन में इस बात का डर था कि कहीं महेश चाचा यह शिकायत उस के मातापिता से न कर दें. इस डर की वजह से उस ने सोनी के घर जाना बंद कर दिया. दूसरी ओर सोनी उसे भुलाने की कोशिश करने लगी थी, इसलिए उस ने भी कल्लू की देहरी नहीं लांघी.
लेकिन दोनों प्रेमी ज्यादा दिनों तक एकदूसरे से दूर नहीं रह सके. उन की यादें जेहन में घूम रही थीं. कल्लू का मन सोनी से मिलने को बेचैन हो रहा था लेकिन उस की समझ में यह नहीं आ रहा था कि वह उस से कैसे मिले.
दोबारा उड़ने लगी प्यार की पतंग
सोनी का व्यवहार देख कर उस के घर वालों ने यही समझा कि वह कल्लू को भूल चुकी है. इसलिए उन्होंने उस पर निगरानी करनी बंद कर दी. एक दिन सोनी घर में अकेली थी. मौका मिलते ही कल्लू मिलने के लिए उस के घर पहुंच गया. अचानक घर में उसे देख कर सोनी चौंकी, ‘‘तुम यहां क्यों आ गए, कोई आ गया तो मुसीबत खड़ी हो जाएगी.’’
‘‘सोनी, मैं तुम से सिर्फ यह पूछने आया हूं कि तुम मुझे इतनी जल्दी कैसे भूल गई.’’ कल्लू ने पूछा.
‘‘भूली नहीं हूं, मजबूरी है. यदि मेरी जगह तुम होते तो तुम भी यही करते.’’ सोनी बोली.
सोनी की इस बात से कल्लू खुश हो गया और उस ने सोनी को झट से गले लगा कर कहा, ‘‘तुम चिंता न करो, मैं मुलाकात का कोई न कोई रास्ता निकाल लूंगा.’’
अपने प्रेमी से मिलने के बाद सोनी अपने पिता से किए गए वादे को भूल गई. वह भी उस से खूब बातें करना चाहती थी. लेकिन उसे इस बात का डर था कि कहीं उस की मां या पिता न आ जाएं, इसलिए उस ने प्रेमी से कहा, ‘‘कल्लू, इस से पहले कि घर का कोई यहां आ जाए, तुम यहां से चले जाओ.’’
कल्लू वहां से चला गया. प्रेमिका से मिल कर उसे बड़ा सुकून मिला था. एक हफ्ते बाद उस ने एक मोबाइल खरीद कर सोनी को दे दिया. इस के बाद सोनी चोरीछिपे उस से बातें करने लगी. अब उन्हें मिलने में आसानी हो गई. इस तरह उन का प्यार पहले की तरह ही चलने लगा लेकिन उन का चोरीछिपे मिलनेमिलाने का यह खेल ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका.
खुल गई सोनी की पोल
एक दिन रात को अचानक सोनी की मां अनीता की आंखें खुलीं तो उस ने बेटी को चारपाई से गायब पाया. उस की तलाश में वह छत पर पहुंची तो वहां उसे कुरसी पर बैठी देख कर चौंकी.
मां की आहट पाते ही सोनी ने प्रेमी से चल रही बातचीत बंद कर दी और फोन छिपाने लगी. अनीता ने उसे कुछ छिपाते देख तो लिया था, लेकिन उसे यह पता नहीं था कि उस ने क्या छिपाया है.
उस ने बेटी से इतनी रात को अकेली छत पर बैठने की वजह पूछी तो वह सकपका गई. तब उस ने पूछा, ‘‘तूने अभी क्या छिपाया है, दिखा मुझे.’’
‘‘कुछ नहीं छिपाया मम्मी,’’ सोनी घबरा कर बोली.
बेटी की बात सुन कर अनीता को लगा कि वह झूठ बोल रही है. क्योंकि उस ने कोई चीज रखते सोनी को देखा था. अत: उस ने सोनी के सीने पर हाथ डाला तो वहां मोबाइल देख कर पूछा, ‘‘यह किस का मोबाइल है और तू यहां अकेली बैठ कर किस से बातें कर रही थी?’’
‘‘किसी से नहीं मम्मी,’’ सकपका कर सोनी बोली.
बेटी के झूठ बोलने पर अनीता समझ गई कि यह जरूर उस कल्लू से ही बातें कर रही होगी. इस का मतलब यह है कि यह हमारी आंखों में धूल झोंक कर उस से लगातार मिल रही है. अनीता ने रात में हंगामा करना जरूरी नहीं समझा.
सुबह होने पर अनीता ने सारी सच्चाई पति को बता दी. महेश समझ गया कि बेटी को कितना ही समझा लो. यह सोनी से मिलना नहीं छोड़ेगी. इस से पहले कि समाज में उस की बदनामी हो, उस ने उस के हाथ पीले करने का फैसला कर लिया.
इस के अलावा महेश ने पड़ोसी विजय सिंह सेंगर से उस के बेटे अखंड प्रताप सिंह उर्फ कल्लू की शिकायत कर दी. विजय सिंह को पता नहीं था कि उस के बेटे का सोनी से चक्कर चल रहा है.
पड़ोसी की बात पर विजय सिंह को बेटे पर बहुत गुस्सा आया. उस ने उसे भरोसा दिया कि वह बेटे को समझाएगा.
विजय सिंह ने बेटे अखंड प्रताप सिंह उर्फ कल्लू से इस बारे में बात की तो डरने की बजाय उस ने कह दिया कि वह सोनी से प्यार करता है और शादी भी उसी से करेगा. तब गुस्से में विजय सिंह ने उसे 2-3 थप्पड़ जड़ कर कहा, ‘‘तुझे पता नहीं कि सोनी रिश्ते में तेरी बहन है. बहन के साथ शादी की बात कहते हुए तुझे शरम नहीं आई.’’
लेकिन कल्लू अपनी जिद पर अड़ा रहा.
महेश भदौरिया बेटी के लिए लड़का खोजने लगा. उस के एक रिश्तेदार ने हरदोई जिले के नैपुरवा गांव में भोला सिंह नाम का एक लड़का बताया.
बातचीत के बाद महेश ने बेटी का रिश्ता भोला सिंह के साथ तय कर दिया. भोला संडीला में मोबाइल की दुकान पर काम करता था. 3 भाईबहनों में वह सब से बड़ा था. उस के पिता अर्जुन सिंह किसान थे. उन की आर्थिक स्थिति ठीक थी.
सोनी चली गई ससुराल
शादी तय हो जाने की बात जब कल्लू को पता चली तो वह परेशान हो उठा. उस ने सोनी से मिल कर भाग जाने का प्लान बनाया. सोनी प्रेमी का साथ देने को राजी भी हो गई. लेकिन वह पैसों का इंतजाम न कर सका, जिस से वह घर छोड़ कर सोनी को ले कर न जा सका.
इधर कल्लू सोनी की शादी में कोई अड़ंगा न डाल दे, इसलिए महेश ने आननफानन में 5 जुलाई, 2018 को सोनी की शादी भोला सिंह से कर दी. डर की वजह से सोनी इस शादी का विरोध न कर सकी और लाल जोड़ा पहन कर ससुराल चली गई.
किसी और के साथ प्रेमिका की शादी हो जाने से कल्लू को बड़ा दुख हुआ. उस का दिन का चैन और रातों की नींद हराम हो गई. उस ने मोबाइल पर सोनी से संपर्क करना चाहा तो उस का फोन बंद मिला. वह समझ गया कि घर वालों ने उस का मोबाइल छीन लिया होगा. जैसेजैसे दिन बीतते जा रहे थे वैसेवैसे कल्लू की बेचैनी बढ़ती जा रही थी.
सोनी एक माह तक ससुराल में रही, उस के बाद राखी पर मायके आ गई. ससुराल से लौटने के बाद सोनी का दिमाग एकदम बदल गया. उस ने सोचा कि पति के साथ विश्वासघात करना ठीक नहीं है, इसलिए उस ने तय कर लिया कि वह प्रेमी कल्लू को समझाएगी कि वह उसे भूल जाए.
सोनी को भा गई ससुराल
दरअसल सोनी को ससुराल में खूब सम्मान मिला था. पति व सासससुर उसे हर तरह से खुश रखते थे. ससुराल में ही उसे अपना भविष्य सुखद नजर आया, जिस से उस का मन प्रेमी से उचट गया.
एक दिन कल्लू के अनुरोध पर सोनी उस से मिली तो उस ने मन की बात कह दी. प्रेमिका में अचानक आए इस बदलाव पर कल्लू चौंका. उस ने साफ कह दिया कि चाहे कुछ भी हो, वह उसे भूल नहीं सकता. सोनी उस की जिद से वाकिफ थी. इसलिए वह यह सोच कर परेशान हो गई कि अब क्या किया जाए.
कल्लू को सोनी के सिवाय कुछ दिखता ही नहीं था. वह उसे हर हाल में हासिल करना चाहता था. उस ने सोनी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया कि वह पति को छोड़ दे और उस से शादी कर ले. यही नहीं वह सोनी से शारीरिक संबंध बनाने का भी दबाव बनाने लगा था. पर सोनी उस की किसी भी बात को मानने को राजी नहीं हुई.
एक रोज कल्लू ने सोनी को गांव के बाहर बाबा की बगिया में बुलाया. सोनी पहुंची तो उस ने उसे अपनी बांहों में भर लिया और बोला, ‘‘सोनी, आज तुम्हें बताना ही पड़ेगा कि तुम मुझ से शादी करोगी या नहीं?’’
सोनी ने किसी तरह अपने को छुड़ाया फिर बोली, ‘‘देखो कल्लू, मेरी शादी हो चुकी है. अब मैं किसी की अमानत हूं. ऐसे में भला मैं तुम से शादी कैसे कर सकती हूं.’’
‘‘तो फिर सुनो, अगर तुम मेरी न हुई तो मैं तुम्हें दूसरे की भी नहीं होने दूंगा. मैं तुम्हारी ससुराल जा कर अपने और तुम्हारे प्रेम संबंधों को उजागर कर दूंगा. यह भी बता दूंगा कि हमारे तुम्हारे बीच शारीरिक संबंध भी रहे हैं.’’
‘‘ऐसा न करना कल्लू, मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूं, पैर पड़ती हूं.’’ सोनी उस के सामने गिड़गिड़ाने लगी.
‘‘तो फिर मेरी बात मान लो और हमें अपना बना लो.’’ कल्लू ने शर्त रखी.
‘‘हमें एकदो दिन सोचने का मौका दो.’’ सोनी फिर गिड़गिड़ाई.
‘‘ठीक है, 2 दिन बाद तुम इसी बगीचे में इसी खेत पर मिलना.’’
अखंड प्रताप सिंह उर्फ कल्लू ने जो शर्त रखी थी, उस से सोनी विचलित हो गई. वह 2 रोज तक प्यार की अजीब राहों में झूलती रही. आखिर में उस ने एक खतरनाक निश्चय कर लिया. फिर वह प्रेमी का फोन आने का इंतजार करने लगी.
सोनी ने ले लिया सख्त फैसला
19 अगस्त, 2018 की शाम 5 बजे अखंड प्रताप सिंह उर्फ कल्लू ने सोनी से मोबाइल पर बात की और बताया कि वह गांव के बाहर बाबा की बगिया में उस का बेसब्री से इंतजार कर रहा है. इस पर सोनी ने जवाब दिया कि वह शीघ्र ही आ रही है.
शाम 6 बजे के लगभग सोनी बाबा की बगिया जा पहुंची. अब तक धुंधलका छाने लगा था. दोनों पेड़ के नीचे खेत की मेड़ पर बैठ कर बतियाने लगे. बतियाते बतियाते कल्लू लेट गया और उस ने अपना सिर सोनी की जांघों पर रख लिया. सोनी उस के बालों में अंगुलियां फिराते बोली, ‘‘सच बताओ, कल्लू तुम मुझ से नफरत करते हो या प्यार?’’
कल्लू सोनी की आंखों में झांकते हुए बोला, ‘‘मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं और तुम्हारे लिए अपनी जान भी दे सकता हूं और किसी की जान ले भी सकता हूं.’’
कल्लू के गले में अंगौछा लिपटा था. सोनी ने अचानक अंगौछा कसना शुरू कर दिया और बोली, ‘‘कल्लू, तुम नहीं मान रहे तो अब तुम मरने को तैयार हो जाओ. तुम्हारी खातिर मैं पति को धोखा नहीं दे सकती. तुम्हारा प्यार छलावा और स्वार्थी है.’’
गले में अंगौछा कसने से कल्लू के मुंह से घुटीघुटी सी आवाज निकलने लगी और वह बचाव में हाथपैर चलाने लगा. लेकिन नफरत से भरी सोनी तब तक गला कसती रही जब तक उस की सांसें थम नहीं गईं.
इस के बाद वह शव को वहीं छोड़ कर घर वापस आ गई. घर में उस ने किसी को कुछ नहीं बताया. दूसरे रोज वह पति के बीमार होने की बात कह कर मायके से ससुराल चली गई.
अगली सुबह गांव का राजू बाबा की बगिया पहुंचा तो उस ने लाश देखी. तब कहीं कल्लू की हत्या की जानकारी मिली. 27 अगस्त, 2018 को थाना सजेती पुलिस ने सोनी से पूछताछ करने के बाद उसे कानपुर (देहात) की माती कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट के सामने पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. कथा संकलन तक उस की जमानत मंजूर नहीं हुई थी. ?
-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित