बचत के लिए एफडी (फिक्स्ड डिपाजिट) एक अच्छा विकल्प माना जाता है. अगर आप एफडी खुलवाना चाहते हैं तो हम खास आपके लिए यह खबर लेकर आए हैं. एफडी खुलवाने से पहले आप इस खबर को पढ़ें और कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें, इससे आपको बड़ा फायदा निलेगा.
एक से ज्यादा जगहों पर एफडी रखें
बड़ी रकम की एक एफडी रखने की बजाय छोटी-छोटी रकम वाली ज्यादा एफडी रखें. इससे जरूरत पड़ने पर आप कोई एक एफडी तोड़कर अपनी जरूरत पूरी कर सकते हैं और आपकी बाकी एफडी चलती रहेगी. साथ ही आप अलग-अलग जगहों पर एफडी पर ब्याज की अलग-अलग दरों का फायदा उठा सकते हैं.
एफडी की अवधि और ब्याज दर
अधिकतर लोग 6 महीने, एक साल, 2 साल या 5 साल की अवधि के लिए एफडी करवाते हैं. कई बैंकों में इस अवधि से थोड़े कम या ज्यादा दिनों के लिए एफडी खुलवाने पर अलग-अलग ब्याज दरें होती हैं. इसलिए एफडी करवाने से पहले बैंक में एफडी की अवधि और उनस पर मिलने वाले ब्याज की दरों के बारे में जानकारी जरूर लें. हो सकता है कि निश्चित अवधि से कम या ज्यादा दिनों की एफडी करवाने पर आपको ज्यादा ब्याज मिल जाए. इसके अलावा एफडी में मासिक, तिमाही या छमाही में ब्याज ले सकते हैं.
एफडी पर मिलता है लोन
आप अपनी एफडी पर लोन भी ले सकते हैं. इसे ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी कहा जाता है. इसके तहत आपको एक तय अवधि में ब्याज दर के साथ अमाउंट चुकाना होता है. आप चाहे तो यह राशि एकमुश्त या किस्तों में चुका सकते हैं. इसके अलावा अगर आप तय समय से पहले पेमेंट करते हैं तो आपको प्रीपेमेंट चार्ज नहीं देना पड़ेगा. इसका मतलब यह हुआ कि आपको सिर्फ उतने दिन का ब्याज देना है जितने दिन रकम आपके पास रही.
ब्याज पर कटता है टैक्स
नियमों के मुताबिक, अगर किसी बचत में सालाना ब्याज 10 हजार से ज्यादा है तो वह टैक्स के दायरे में आएगा. अगर एफडी से मिलने वाले ब्याज की रकम 10 हजार रुपये से ज्यादा है तो बैंक 10 फीसद टीडीएस काटते हैं. अगर एक से ज्यादा बैंकों में आपकी एफडी है तो ब्याज की गणना सारी एफडी के ब्याज को मिलाकर होगी. आप इस टैक्स को क्लैम कर सकते हैं. अगर आप चाहते हैं कि बैंक टीडीएस ना काटें तो इसके लिए आपको 15G /15H फौर्म भरना होगा.
बीच में ब्याज दरों में बदलाव का असर नहीं
आपने जिस ब्याज दर अपनी एफडी खुलवाई थी, उसके टेन्योर पूरा होने पर उसी दर से आपको ब्याज मिलेगा. अगर बीच में ब्याज दरों में बदलाव होता है तो आपकी एफडी की दरों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.