लखनऊ में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति रमेश बाबू यादव के बेटे अभिजीत की हत्या में मां मीरा यादव की गिरतारी के बाद भी हत्या गुत्थी सुलझी नहीं है. सवाल उठता है कि 55 साल की मां 22 साल के बेटे की हत्या अकेले कर सकती है. ऐसे में पुलिस की नजर कुछ दूसरे परिवारजनों पर भी है.

लखनऊ के दारुलशफा स्थित विधायक निवास के फ्लैट नम्बर बी-137 में एटा के एमएलसी व उत्तर प्रदेश के विधान परिषद के सभापति रमेश यादव की दूसरी पत्नी मीरा अपने दो बेटों 27 साल के अभिषेक और 22 साल के अभिजीत यादव उर्फ विवेक के साथ रहती थी. दारुलशफा लखनऊ का सबसे पौश एरिया है.

यहां पर ज्यादातर विधायक ही रहते हैं. यह उत्तर प्रदेश की विधानसभा के नये लोकभवन के पीछे का इलाका है. दारूलशपफा की दूसरी तरपफ लखनऊ का सबसे पौश हजरतगंज का जनपथ मार्केट बना है.

रविवार की सुबह सभापति रमेश यादव की दूसरी पत्नी मीरा सो कर उठती है तो अपने बेटे अभिजीत को बेहोश पाती है. यह देखकर वह अपने दूसरे बेटे अभिषेक को फोन करती है. अभिषेक यादव दारूलशफा से कुछ दूरी पर ही नरही में स्थित दूसरे पलैट में रहता था. वह मां के पास आया और अपने भाई के कमरे में गया. जब उसने भाई का हाथ पकड़ा तो उसकी नब्ज गायब थी. उसे लगा कि यह तो मर गया है.

सुबह करीब 7 बजे मीरा के फ्लैट पर नौकर गया था. उसने काफी देर तक दरवाजा खटखटाया इसके बाद भी मीरा ने दरवाजा नहीं खोला तो नौकर चला गया. इसके बाद ही मीरा ने बड़े बेटे अभिषेक को फोन किया. अभिषेक के आने के बाद सभी को यह पता चला कि हार्ट अटैक से ही अभिजीत की मौत हुई है.

रविवार की सुबह आनन फानन में मीरा और उसके परिवार के लोगों ने अभिजीत के दाह संस्कार करने की योजना बना ली. मामले की सूचना दारूलशफा पुलिस चौकी के पुलिसवालों से हजरतगंज थाने पहुंचती है. वहां पहुंची पुलिस को मीरा ने बताया कि अभिजीत की स्वाभाविक मौत है. परिजनों को कोई आपत्ति न होने के कारण पुलिस ने भी पोस्टमार्टम की जरूरत नहीं समझी.

मीरा ने पुलिस को बताया कि देर रात अभिजीत घर वापस आया तो उसने सीने में दर्द की बात कही तो उसे लगा कि पेट में गैस बन गई होगी. तब उसने सीने पर दवा लगा दी. इसके बाद वह सो गया तो वह भी सो गई. सुबह जब वह नहीं उठा तो मीरा ने बड़े बेटे अभिषेक को बुलाया. अभिषेक के आने के बाद पता चला कि अभिजीत की मौत हो चुकी है. पुलिस को मीरा और परिजनों ने स्वाभविक मौत की बात बताई और दाह संस्कार से पहले किसी भी तरह के पोस्टमार्टम से मना कर दिया. इसके बाद परिजन शव लेकर दाह संस्कार के लिये बैकुंठधाम के लिये निकल गये. अभी वह घर से 1 किलोमीटर दूर सिकदंर बाग चौराहे ही पहुंचे होंगे कि पुलिस ने उनको रोक दिया.

इस बीच पुलिस के बड़े अफसरों को शिकायत मिलती है कि अभिजीत की मौत संदिग्ध् है. इसमें उसकी हत्या की शंका जाहिर की गई. तब बड़े अफसरों और लखनऊ के एसएसपी कलानिधि् नैथानी ने शव को दाह संस्कार करने से पहले रोक दिया. इसके बाद शव को पोस्टमार्टम के लिये मेडिकल कालेज भेज दिया जाता है. रविवार की देर शाम पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात का खुलासा होता है कि अभिजीत की हत्या गला दबा कर की गई थी. इस रिपोर्ट के आने के बाद पुलिस ने अभिजीत के बड़े भाई अभिषेक की तहरीर के आधार पर धारा 302 और 201 के तहत मुकदमा कायम कर मामले की पड़ताल शुरू की.

इसमें सबसे अधिक संदिग्ध् अभिजीत की मां मीरा दिख रही थी. पुलिस पूछताछ में मीरा अलग अलग बयान देने लगी. अपने बयान की पुष्टि के लिये मीरा कोई भी सबूत नहीं पेश कर पाती थी. ऐसे में पुलिस का शक पूरी तरह से पुष्ट हो जाता था. लखनऊ पुलिस ने घटना के 24 घंटे के अंदर ही बेटे की हत्या के आरोप में मां मीरा को पकड़ कर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया वहां से मीरा को 14 दिन कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. मीरा ने पुलिस के सामने अपने गुनाह को कबूल कर लिया.

मीरा यादव और रमेश यादव की पहली मुलाकात 1984 में हुई थी. उस समय रमेश यादव एमएलसी थे. मुलाकात के बाद दोनों करीब आ गये और तब रमेश यादव ने मीरा के सामने शादी का प्रस्ताव रखा. मीरा के पिता बैंक में मैनेजर थे. मीरा ने एमए और एलएलबी की पढाई की थी. 1986 में दोनो ने शादी कर ली. इसके बाद रमेश यादव ने उसको दारूलशफा स्थित अपना आवास उसको रहने के लिये दे दिया था.

इसके बाद उसके दो बच्चे अभिषेक और अभिजीत हुये. वह पर्यटन विभाग में क्लर्क के रूप में काम करती थी. साल 2012 में रमेश यादव ने उसकी नौकरी छुड़वा दी थी. समय के साथ साथ मीरा के साथ उनकी दूरियां बढने लगीं. वह मीरा को खर्च के लिये पैसे भी कम देते थे.

रमेश यादव खुद 12 कालीदास मार्ग स्थित अपने सरकारी आवास में रहते थे. दारूलशफा स्थित आवास में उनका आनाजाना नहीं होता था. रमेश यादव मूल रूप से एटा के रहने वाले थे. वह ज्यादातर समय वहीं गुजारते थे. मीरा का बड़ा बेटा अभिषेक कन्स्ट्रक्शन का काम करता था. उसने सिविल इंजीनियरिंग की पढाई की थी. छोटा बेटा अभिजीत अपनी पढाई के साथ दूसरे काम करता था. पर वह किसी काम में सफल नहीं हुआ था. ऐसे में वह नशे का शिकार भी हो गया था. अभिजीत को यह लगता था कि उसे जितना पैसा मिलना चाहिये वह नहीं मिल रहा है. ऐसे में उसका मां के साथ झगडा होता था. मां के साथ झगडे में अभिजीत रमेश यादव के साथ की गई शादी को लेकर भी ताना मारता और उनके चरित्र को लेकर भी सवाल उठाता था. ऐसे में मीरा को यह बातें बुरी लगती थीं.

Crime story Lucknow abhijeet Murder case

मीरा ने अपने गहने बेचकर बेटे को कुछ बिजनेस शुरू कराया पर वह उसमें सफल नहीं हो सका. दशहरे के दिन भी अभिजीत ने अपनी मां से पैसे मांगे और न मिलने पर झगड़ा किया. मां को मारा पीटा था. बारबार पैसे दे कर मीरा भी थक चुकी थी. लखनऊ के एएसपी पूर्वी सर्वेश कुमार मिश्रा ने बताया कि पुलिस को दिये गये अपने बयान में मीरा ने कहा कि ‘अभिजीत शराब पीने का आदी था. आये दिन शराब पीकर हंगामा करता था. वह रोज रोज के झगड़े से तंग आ चुकी थी. शनिवार की रात करीब 11 बजे अभिजीत शराब के नशे में धुत होकर आया और आते ही गाली गलौच करने लगा. मीरा को लगा कि दशहरे वाले दिन की तरह से वह फिर से मारपीट करेगा. जिससे डरी मीरा ने आज पहले ही अभिजीत को थप्पड़ मारते हुये धक्का दे दिया.

अभिजीत दरवाजे से टकराकर नीचे गिर गया. उसके बाद वह दोबारा उठा और हाथापाई करने लगा. इसके बाद गुस्से में आकर मीरा ने उसका दीवार पर धक्का दे दिया. जिससे वह गिर कर बेहोश हो गया. मीरा को लगा कि वह अभी फिर उठेगा और मारपीट शुरू कर देगा. ऐसे में उसने अभिजीत के गिरने के बाद दुपट्टे को लेकर उसके गले में कसा और मार दिया. मीरा ने हत्या का समय रात करीब 2 बजे का बताया था. यही वक्त पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी आया था. इसके बाद वह सोने चली गई. रविवार की सुबह जब अभिजीत के शरीर में कोई हचलच नहीं दिखी तो मीरा ने समझ लिया कि वह मर गया है. इसके बाद उसने अपने अपराध को छिपाने के लिये कोशिश शुरू की.

इस क्रम में मीरा ने सबसे पहले अपने दुपट्टे को गैस के चूल्हे पर रखकर जला दिया. अभिजीत की गरदन पर बने निशान को मिटाने के लिये सोफ्रामयिसिन क्रीम लगाई. इंसपेक्टर हजरतगंज राधरमण सिंह बताया कि क्रीम और जले हुये दुपटटे को बरामद किया गया. मां के द्वारा बेटे की हत्या किये जाने पर किसी को यकीन नहीं हो रहा था. विधान परिषद के सभापति रमेश यादव ने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया. एटा में भी रमेश यादव के परिवार से किसी ने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया. उनके भाई नरेश यादव ने कहा कि मीरा और उनके बेटों के बारे में वह जानते थे. यह भरोसा नहीं कर सकते कि कोई सगी मां अपने बेटे की हत्या कर दे और सबूत भी मिटाने का प्रयास करे.

पुलिस के सामने बेटे की हत्या को कबूल करने वाली मां मीरा ने मीडिया के सामने अपने जुर्म कबूलने की बात को गलत बताया. मीरा ने बताया कि अभिजीत ने खुदकशी की. जिससे उसके गले पर निशान आया. मीरा ने अपने पति और पुलिस पर खुद को हत्या के आरोप में फंसाने का आरोप लगाया. मीरा ने कहा कि उसने अभिजीत को नहीं मारा. उससे उसका झगड़ा हुआ था जिसमें उसे चोट लग गई थी. पुलिस ने मीरा को सोमवार 22 अक्टूबर की दोपहर को सीजीएम कोर्ट में पेश किया. इसके बाद मुख्य न्यायिक अध्किरी आनंद प्रकाश सिंह ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत मे जेल भेज दिया.

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