पिछले समय से सऊदी अरब के प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान द्वारा किए जा रहे सुधारवादी कार्यों पर वहां के जानेमाने पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या का धब्बा लग गया है. पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या में सऊदी अरब सरकार का हाथ होने का खुलासा होने के बाद दुनिया भर के मीडिया जगत में शाही शासन की निंदा की जा रही है. खशोगी तुर्की में अंकारा स्थित सऊदी अरब वाणिज्य दूतावास से दो अक्तूबर से गायब हैं. अभी तक इस के सबूत नहीं मिले कि वह जिंदा बाहर निकले हैं.
हत्या को ले कर दुनिया भर में प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान पर सवाल उठ रहे हैं. सऊदी अरब के करीबी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कह रहे हैं कि अगर इस मामले में सऊदी अरब की गलती साबित हो जाती है तो कड़ी सजा मिलनी चाहिए. अमेरिका और सऊदी अरब के आपसी हित जुड़े होने के बावजूद ट्रंप सऊदी अरब को आंख दिखा रहे हैं. दोनों देशों के बीच अरबों डौलर के हथियार सौदे हैं.
दरअसल 2 अक्तूबर को खशोगी तुर्की स्थित अंकारा के वाणिज्य दूतावास में अपनी मंगेतर हदीजे जेनगीज के साथ गए थे. उन की मंगेतर दूतावास के बाहर ही उन का इंतजार कर रही थीं. वह उन से शादी करना चाहते थे और दूतावास में कुछ जरूरी कागजी दस्तावेज लेने गए थे.
तुर्की के मीडिया का कहना हैकि उन्होंने संदिग्ध सऊदी एजेंटों की एक 15 सदस्यीय टीम की पहचान की है जो खशोगी के गायब होने के दिन इस्तांबूल से बाहर निकल गई. एक अखबार ने खशोगी को यातना दिए जाने के दौरान चीखों की आवाज आने का दावा किया है.
तुर्की के अधिकारियों का कहना है कि उन के पास ऐसे सबूत हैं जिन से पता चलता है कि खशोगी की सऊदी अरब के एजेंटों की एक टीम ने हत्या की है. खशोगी की गुमशुदगी का वक्त गुजरने के साथ दुनिया के तमाम बड़े देश सऊदी अरब पर जांच के लिए दबाव बनाने लगे. सब से अधिक दबाव तुर्की के राष्ट्रपति रेचेपे तैय्यप अर्दोवान ने बनाया. उन्होंने खुलेआम इस मामले में सऊदी नेताओं को फटकार लगाई और उन पर जांच में बाधा पहुंचाने का आरोप लगाया.
अंतर्राष्ट्रीय दबावों के बाद आखिर सऊदी अरब ने मान लिया कि खशोगी उन के वाणिज्य दूतावास में ही मारे गए. सऊदी अरब के सरकारी टीवी चैनल ने शुरुआती जांच के हवाले से कहा था कि दूतावास के भीतर बहस हुई थी और उस के बाद झगड़े में वह मारे गए.
हत्या को ले कर अलगअलग खबरें आ रही हैं. कहा गया है कि सऊदी अरब दूतावास के भीतर सऊदी अधिकारियों की निगरानी में पूछताछ और यातना के बाद उन्हें मारा गया. खबरों में यह भी कहा गया है कि सऊदी अधिकारियों ने शव के टुकड़ेटुकड़े किए और पूरे अपराध का वीडियो बना कर प्रिंरस मुहम्मद बिन सलमान को भेजा गया ताकि उन्हें भरोसा हो जाए कि मिशन पूरा हो गया है.
खशोगी वाशिंगटन पोस्ट में कौलम लिखते थे और वह प्रिंस सलमान की आलोचना की वजह से वांटेड थे. गिरफ्तारी के डर से खशोगी सऊदी अरब से बाहर अमेरिका में रहते थे. इस हत्या का यह अर्थ है कि सऊदी सरकार की आलोचना करने वाले विरोधी विदेशों में भी सुरक्षित नहीं हैं.
मामले में सऊदी अरब के 15 लोगों को हिरासत में लिया गया. साथ ही कई उच्व अधिकारियों को उन के पदों से बर्खास्त कर दिया गया. तुर्की पुलिस ने जांच का दायरा बढ़ा दिया और खशोगी के शव को बेलग्रेड जंगल और इस के आसपास की जमीन में दफनाए जाने के शक में ढूंढा जा रहा है.
33 वर्षीय प्रिंस सलमान को सुधारवादी के रूप में देखा जा रहा है. उन्होंने कुछ बेहतर आधुनिकता की ओर बढने वाले सुधार किए, जिन में महिलाओं को गाड़ी चलाने का अधिकार, इंटरटेनमेंट के लिए नियम उदार बनाए गए और धार्मिक पुलिस की शक्ति कम की गई. उन्होंने पिछले दिनों शाही परिवार के दर्जनों सदस्यों और व्यापारियों को भ्रष्टाचार के आरोप में बंद कर दिया था.
सऊदी अरब में काफी कुछ बदलने के बावजूद बीचबीच में ऐसी घटनाएं हुई हैं जो इस बात का संकेत देती हैं कि प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान उदार सुधारक नहीं हो सकते. प्रिंस सलमान ने यह आदेश भी दिया था कि उन के सुधार पर सवाल उठाने वाले हर शख्स को जेल भेज दिया जाए. यदि कोई ट्वीट भी इस सुधार के विरोध में किया जाता है तो भी उस की गिरफ्तारी के आदेश दिए गए.
किसी पत्रकार को सरकार या शाही खानदान का आलोचक होने की वजह से जान गंवानी पड़े, इस तरह के मामले कम ही सामने आते हैं. सरकार की खिलाफत करने वाले पत्रकारों को दबाया, डराया जाना तो आम है लेकिन शासकों द्वारा हत्या कर देना गंभीर मामला है. अमेरिका ने कहा है कि वह खशोगी की हत्या मामले में सऊदी अरब के खिलाफ प्रतिबंध जैसे कदम उठा सकते हैं.