समाजवादी नेता शिवपाल यादव के बाद कुंडा प्रतापगढ़ से विधायक राजा रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया उत्तर प्रदेश की राजनीति में दूसरी बड़ी घोषणा करने वाले हैं. इस संबंध में राजा भैया के समर्थक सोशल मीडिया पर एक सर्वे भी कर चुके हैं. बताया जाता है कि 80 फीसदी लोगों की राय है कि राजा भैया को अपनी पार्टी बनाकर काम करना चाहिये. 20 अक्टूबर 2018 को राजा भैया ग्रुप के द्वारा लखनऊ के होटल कार्टन में एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाई गई. मीडिया को उम्मीद थी कि राजा भैया आयेंगे और अपनी राजनीति दिशा और नीति पर अपने विचार रखेंगे, जिससे अटकलों का बाजार खत्म हो सकेगा.
प्रेस कांफ्रेस में राजा भैया नहीं आये. राजा भैया ग्रुप से जुडे विधायक विनोद कुमार सरोज के द्वारा यह बताया गया कि राजा भैया के राजनीतिक जीवन के 25 साल पूरे होने पर एक रजत जंयती समारोह का आयोजन 30 नवंबर 2018 को किया जा रहा है. राजा भैया लगातार 5 बार निर्दलीय चुनाव जीतने वाले विधायक है.
विनोद कुमार सरोज के द्वारा यह बताया गया कि इस अवसर पर राजा भैया अपनी नई राजनीतिक दिशा की घोषणा करेंगे. जानकार सूत्रों का कहना है कि राजा भैया की पार्टी का प्रारूप तैयार हो गया है. इसके लिये सही समय की प्रत़ीक्षा की जा रही है.
असल में राजा भैया भाजपा और सपा दोनों की सरकार में मंत्री रहे. दोनों ही दलों में उनकी अच्छी घुसपैठ है. सपा से अब वह भाजपा के खेमे में लौट आये हैं. भाजपा के साथ राजा भैया का तालमेल बना हुआ है. दलित एक्ट के बाद जिस तरह से ठाकुर बिरादरी भाजपा से नाराज हुई उसके चलते राजा भैया भाजपा के साथ खड़े होने का साहस चुनाव पहले नहीं कर सकते. भाजपा से नाराज ठाकुर बिरादरी का अपनी ओर मोड़ने के लिये ही राजा भैया अपनी नई पार्टी बना सकते हैं.
सोशल मीडिया पर भले ही ठाकुर बिरादरी राजा भैया के पक्ष में हो. सही मायनों में राजा भैया का असर केवल उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में ही है. राजा भैया के नाम पर ठाकुर एकजुट होगा यह कहीं होता दिख नहीं रहा है. ऐसे में राजा भैया अपने पत्ते खोलने में डर रहे हैं. यही वजह है कि आज की प्रेस कांफ्रेंस में वह शामिल नहीं हुये. लोकसभा चुनाव की नजर से राजा भैया के पास अब नई पार्टी की घोषणा करने का समय नहीं रह गया है. वह जितना विलंब करेगे उनके लिये मुश्किलें उतनी ही बढ़ेंगी.