कलह, अलगाव परिवारों में ही नहीं, परिवारवाद के दम पर टिके राजनीतिक दलों में भी जगजाहिर हो रहा है. परिवारों में भाइयों के बीच बंटवारे की तरह अब राजनीतिक दल भी भाइयों में बंटने के कगार पर आ गए हैं.
हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल में इस वक्त कलह का साया गहराया हुआ है. पिछले समय से चौटाला परिवार में राजनीतिक वर्चस्व को ले कर कलह छिड़ी हुई है. चौटाला परिवार दो दलों में बंटने के लिए पूरी तरह तैयार है.
हरियाणा में चौधरी देवीलाल की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए उन के पुत्र ओमप्रकाश चौटाला आए. वे राज्य के मुख्यमंत्री रहे. मुख्यमंत्री रहते शिक्षक भर्ती मामले में उन्हें जेल की सजा हुई. फिलहाल वह जेल की सजा काट रहे हैं. ओमप्रकाश चौटाला के बड़े पुत्र और पूर्व सांसद अजय सिंह भी जेल में हैं.
असल में अजय सिंह के बड़े पुत्र हिसार से सांसद दुष्यंत सिंह चौटाला और उन के चाचा अभय सिंह चौटाला के बीच ठनी हुई है. दुष्यंत सिंह और उन का छोटा भाई दिग्विजय सिंह एक साथ हैं जबकि ओमप्रकाश चौटाला अभय सिंह का साथ दे रहे हैं.
हाल ही में इंडियन नेशलन लोकदल की गोहाना में हुई रैली के बाद परिवार में कलह ज्यादा उभर कर सामने आई. अभी ओमप्रकाश चौटाला पैरोल पर जेल से बाहर आए हुए हैं. उन्होंने अपने पौत्र व सांसद दुष्यंत सिंह और उन के भाई दिग्विजय सिंह को पार्टी से निलंबित कर दिया है. साथ ही युवा इकाई को भी भंग कर दिया. दिग्विजय इस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं.
अभय सिंह भी दुष्यंत और दिग्विजय सिंह तथा उन के समर्थकों को पार्टी से बाहर देखना चाहते हैं. हरियाणा के लगभग आधा जिलों के जिलाध्यक्ष अभय सिंह के पक्ष में हैं. अभय सिंह ने ओमप्रकाश चौटाला के जेल जाने के बाद पार्टी को संभाला है.
दुष्यंत और दिग्विजय सिंह को निकालने के बाद दिग्विजय सिंह ने बागी तेवर दिखाने शुरू कर दिए. दिग्विजय ने कहा कि इकाई को भंग करने का अधिकार केवल अजय सिंह चौटाला या 26 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पास है.
एक समय था जब चौधरी देवीलाल की तूती बोलती थी. 1977 और 1989 में देवीलाल का विपक्ष को एकजुट कर सत्ता परिवर्तन में अहम योगदान रहा था लेकिन कलह ने परिवार को दो फाड़ कर दिया है.
राजनीतिक परिवार का यह झगड़ा नया नहीं है. बिहार में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव परिवार में भी उन के दोनों बेटों के बीच मनमुटाव की खबरें आती रही हैं. लालू प्रसाद भी इस वक्त जेल में हैं. उन के पुत्र तेजस्वी यादव और तेजप्रताप सिंह के बीच सत्ता संघर्ष की खबरें भी आती रही हैं.
उधर समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह यादव, उन के बेटे अखिलेश और मुलायम सिंह के भाई शिवपाल सिंह और रामगोपाल यादव के बीच तलवारें खिंची हुई हैं.
2016 में उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी जब सत्ता में थी तब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उन के चाचा शिवपाल सिंह के बीच विवाद सुर्खियों में आए थे. इन दोनों की तनातनी में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव अपने अपने भाई शिवपाल सिंह के साथ खड़े हुए फिर बेटे अखिलेश के साथ. यहां इस परिवार के बीच कलह की मूल जड़ अमरसिंह को माना गया था.
दक्षिण भारत में द्रमुक में एम करुणानिधि के परिवार के सदस्यों एमके स्टालिन और अलागिरी के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है.
असल में इन राजनीतिक परिवारों के सदस्यों के बीच राजनीतिक वर्चस्व को ले कर जंग है. इन परिवारों की कलह में कांग्रेस और भाजपा को अपनेअपने फायदे दिख रहे हैं. अब इस समय जब विपक्षी दलों के बीच गठबंधन की कवायद चल रही है, ऐसे में परिवार पर टिके क्षेत्रीय दलों में व्याप्त फूट विपक्षी एकता के लिए ही नहीं, स्वयं इन दलों की मजबूती भी खतरे में है.