बौलीवुड में पिछले 36 वर्षों से कार्यरत अभिनेत्री नीना गुप्ता का करियर काफी उथल पुथल वाला रहा है. जबकि उन्होंने थिएटर, टीवी व फिल्म तीनों माध्यमों में जमकर काम किया. नीना गुप्ता ने बतौर निर्माता व निर्देशक ‘सांस’, ‘दर्द’ जैसे कुछ टीवी सीरियल भी बनाए. बीच में वह कुछ समय के लिए गायब हो गयी थीं. खुद को पुनः बौलीवुड से जोड़ने के लिए लगभग डेढ़ वर्ष पहले नीना गुप्ता ने ‘‘इंस्टाग्राम’’ पर पोस्ट किया था कि वह मुंबई में ही रहती हैंं और फिल्मों में बेहतरीन किरदार निभाना चाहती हैं.
इंस्टाग्राम पोस्ट के बाद अचानक नीना गुप्ता की लाटरी लग गयी. उन्हें ‘‘वीरे दी वेडिंग’’, ‘‘मुल्क’’ व ‘‘बधाई हो’’ सहित कई बेहतरीन फिल्मों में बेहतरीन रोचक किरदार निभाने के मौके मिल गए. अमित शर्मा निर्देशित फिल्म ‘‘बधाई हो’’ 19 अक्टूबर को प्रदर्शित होने वाली है. इन दिनों वह दो वेब सीरीज व तकरीबन चार फिल्मों में अभिनय कर रही हैं.
नीना गुप्ता ने अपने 36 वर्ष के करियर में जहां खुद काफी उतर चढ़ाव देखा, वहीं उन्होने सिनेमा में आ रहे बदलाव को काफी करीब से देखा व महसूस किया. हाल ही में एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान जब हमने नीना गुप्ता से पूछा कि सिनेमा में जो पिछले 30 वर्षों में बदलाव आया, वह बदलाव कैसा रहा और उस बदलाव के चलते उनके करियर पर क्या असर पड़ता रहा?
हमारे इस सवाल पर नीना गुप्ता ने बड़े ही सधे हुए शब्दों में कहा – ‘‘जब मैंने बौलीवुड में कदम रखा, उस समय सिर्फ सिनेमा था. उस वक्त डीडी मेट्रो भी नहीं था. मैंने फिल्मों में नौकरानी के किरदार सहित छोटे छोटे किरदारों को निभाते हुए करियर शुरू किया. मैंने सबसे पहले फिल्म ‘‘साथ साथ’’ में बड़ा किरदार निभाया था. जिसमें मैंने एक कौमेडियन लड़की का किरदार निभाया था. इस फिल्म के रिलीज के चंद रोज पहले एक फिल्मी पार्टी में गिरीष कर्नाड ने मुझसे कहा था, ‘नीना अब तुम खत्म हो गयीं.
कौमेडियन लड़की का किरदार निभाकर तुमने गलती कर दी. अब तुम कभी भी फिल्मों में हीरोइन नहीं बन पाओगी.’ उनकी बात सच साबित हुई. मेरे साथ वही हुआ.’’
वह आगे कहती हैं – ‘‘उन दिनों कला सिनेमा काफी अच्छा बन रहा था. जिसे श्याम बेनेगल जैसे फिल्मकार बना रहे थे और कला सिनेमा में हर किरदार स्मिता पाटिल या शबाना आजमी या दीप्ति नवल को जा रहे थे. मैंने श्याम बेनेगल के साथ बहुत फिल्में कीं, मगर ष्याम बेनेगल की हर फिल्म में मुख्य किरदार हमेशा शबाना आजमी को जा रहे थे. उन दिनों कमर्शियल फिल्मों में तो हम घुस ही नही पा रहे थे. डीडी मेट्रो के शुरू होने के बाद मैंने ‘सांस’, ‘दर्द’, ‘गुमराह’ सहित कई सीरियलों का निर्माण व निर्देशन किया. जिससे मुझे एक नयी जिंदगी मिली. मुझे विभिन्न प्रकार के किरदार निभाने के मौके मिले. उस वक्त भी मुझे कमर्शियल फिल्मों में किरदार नहीं मिल रहे थे. कमर्शियल में तो कभी मौका ही नहीं मिला. टीवी में हम बहुत अच्छा काम कर रहे थे. तो फिर हमने भी फिल्मों को बाय बाय कर दिया.’’
सिनेमा के बदलाव की चर्चा करते हुए नीना गुप्ता ने कहा – ‘‘अब सिनेमा काफी बदला है. अब सिनेमा में मध्यवर्गीय परिवार की कहानियां ली जा रही हैं. छोटे शहरों की कहानी व किरदारों को भी महत्व दिया जा रहा है. सबसे बड़ी बात यह हुई है कि युवा फिल्मकार बहुत तेजी से आगे आए हैं. तो हम जैसे कलाकारों को भी कुछ नया करने का मौका मिल रहा है.’’