मोबाइल और कंप्यूटर पर अधिक देर तक काम करने से हड्डियों में दर्द की परेशानी होने की बात कही जाती रही है. अब डॉक्टरों का कहना है कि यह दर्द गठिया में तब्दील हो सकता है. यह स्थिति इतनी खतरनाक है कि गठिया के कारण हड्डियों में होने वाली जकड़न दिल की धड़कन भी रोक सकती है. विश्व गठिया दिवस पर डौक्टरों ने इस बीमारी के बढ़ते खतरे पर चिंता जाहिर की और लोगों में जागरूकता पर जोर दिया.

इस बारे में नोएडा स्थित मेट्रो अस्पताल की वरिष्ठ कंसल्टेंट व गठिया रोग विशेषज्ञ डौ. किरन सेठ ने कहा कि इस समस्या को आमतौर पर नजरअंदाज किया जाता है. जानकारी के अभाव में इसे सिर्फ हड्डियों की बीमारी समझा जाता है, जबकि इसके कारण हार्ट अटैक, स्ट्रोक, किडनी व लिवर खराब होने की समस्या हो सकती है. कई मरीजों में हार्ट अटैक के कारण गठिया की बीमारी होती है. समय रहते असल बीमारी का इलाज नहीं होने के कारण लोग जानलेवा बीमारियों के शिकार हो जाते हैं. शुरुआती दौर में ही बीमारी की पहचान कर इसका इलाज किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में खराब जीवनशैली भी इसका कारण बन रहा है. जंक फूड का अधिक इस्तेमाल, प्रदूषण का दुष्प्रभाव व तनाव भी गठिया के कारण हैं. इसके अलावा कंप्यूटर पर अधिक देर तक काम करने वाले लोगों की गर्दन व अंगुलियों में दर्द की बीमारी देखी जाती है. यह भी गठिया में तब्दील हो सकती है. लोग मोबाइल पर लंबे समय तक व्यस्त रहते हैं. इससे भी हाथ व कलाई में दर्द की परेशानी व गठिया हो सकती है.

उन्होंने कहा कि वर्ष 1993 तक देश में गठिया की बीमारी से करीब 70 लाख लोग पीड़ित होते थे. एक अनुमान के मुताबिक,वर्ष 2017 में यह आंकड़ा पहुंचकर करीब 18 करोड़ तक पहुंच चुका है. इसलिए आशंका जाहिर की जा रही है कि वर्ष 2025 तक यह बड़ी स्वास्थ्य समस्या बनकर सामने आएगी. इसका असर इलाज पर पड़ता है. यह बीमारी इतनी खतरनाक है कि यदि समय पर इलाज नहीं कराया गया तो पीड़ित व्यक्ति की उम्र 5-10 साल कम होने की आशंका बढ़ जाती है.

इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर के डौ. मनिंदर शाह के अनुसार बुजुर्गों को यह बीमारी अधिक होती है. यह देखा जा रहा है कि कूल्हे की गठिया से अधिक बुजुर्ग हाथ की गठिया से पीड़ित होते हैं. करीब 45 फीसद बुजुर्गों को हाथ में गठिया की शिकायत होती है. इसका कारण उम्र से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं. इस बीमारी से बचाव के लिए पोषणयुक्त खानपान व नियमित व्यायाम जरूरी है.

यह लक्षण हो तो न करें नजरअंदाज

  • लंबे समय तक हल्का बुखार रहना
  • मुट्ठी बंद करने में तकलीफ
  • जोड़ों में सूजन के साथ दर्द, सोते वक्त करवट बदलने में परेशानी
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