पिछले दिनों दिल्ली बौर्डर पर किसानों के साथ जितनी ज्यादती केंद्र सरकार द्वारा की गई उसे पूरा भारत देख रहा था. पर चूंकि 2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं, महंगाई चरम पर है, सरकार किसानों को नाराज करना नहीं चाहती.

न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी

किसानों की कुछ अहम मांगों को छोड़ कर मोदी सरकार मंत्रिमंडल ने 2018-19 विपणन वर्ष के लिए गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 105 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी कर इसे 1, 840 रुपए प्रति क्विंटल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को रबी फसलों के एमएसपी को मंजूरी दी गई. फसल वर्ष 2017-18 में गेहूं का समर्थन मूल्य 1,735 रुपए प्रति क्विंटल था.

समर्थन मूल्य कृषि सलाहकार निकाय सीएसीपी की सिफारिशों के अनुसार बढ़ा दिया गया है. यह फसलों के उत्पादन लागत से कम से कम 50% ऊंचा मूल्य दिलाने के सरकार की घोषणा के अनुरूप है.

कृषि मंत्री ने कहा

कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कैबिनेट बैठक के बाद कहा कि गेहूं की कीमत 1,840 रुपए प्रति क्विंटल, चना 4,620 रुपए, मसूर 4,475 रुपए तथा सरसों की कीमत 4,200 रुपए प्रति क्विंटल तय की गई है.  रबी फसलों के समर्थन मूल्य में वृद्धि से किसानों को 62, 635 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय होगी.

इस बार समर्थन मूल्य में पिछले साल की तुलना में 105 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है. चने का उत्पादन लागत मूल्य 2,637 रुपए प्रति क्विंटल है, वहीं इस के समर्थन मूल्य में 75% की वृद्धि की गई है. अगर तुलना करें तो पिछले साल के मुकाबले इस बार 220 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है.

आंदोलन खत्म पर पूरी तरह नहीं

बहरहाल, सरकार की घोषणा से किसानों ने आंदोलन खत्म कर दिया है पर एक अहम सवाल यह भी है कि मोदी सरकार ने यह सुधार किसान आंदोलन के बाद ही क्यों किया?

जिस देश की लगभग 75% की आबादी कृषि उत्पादन और व्यापार पर तरक्की कर रही है, उसी कृषि क्षेत्र और किसानों की अनदेखी सरकार क्यों कर रही है?

मालूम हो कि गन्ने के समर्थन मूल्य पर सरकारी उदासीनता से देश के कई किसानों की जमापूंजी तक नहीं निकल पाई थी. घाटा हुआ तो सेठ साहुकार से लिए उधार पैसे लौटाने में नाकाम रहे कई किसानों ने आत्महत्या तक कर ली थी.

सुखद है कि केंद्र सरकार ने किसानों की अधिकतर मांगें मान ली हैं पर अगर शुरूआती दौर में सरकार ने यह किया होता तो न सिर्फ फसल का उत्पादन और अधिक होता, बल्कि किसानों के चेहरों पर भी खुशी झलक रही होती.

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा है कि केंद्र सरकार किसान विरोधी है और किसानों के हितों के लिए संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार किसानों को मूलभूत सुविधाएं नहीं दे देती.

नेताओं के बोल

उधर बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी केंद्र सरकार पर आरोप लगाया और कहा कि मंहगाई रोकने में नाकाम रही मोदी सरकार किसानों को पिटवा रही है. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सबकी है और अगर किसान दिल्ली में घुसना चाह रहे थे तो उन्हें आने देना चाहिये था.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...