24 फरवरी 2019 को संपन्न होने वाले ‘‘91वें औस्कर अवार्ड’’ में विदेशी भाषा की सर्वश्रेष्ठ फिल्म के अंतर्गत इस बार भारतीय अभिनेता इरफान खान के अभिनय से सजी व उनके द्वारा सहनिर्मित बंगलादेशी फिल्म ‘‘नो बेड नो रोजेस’’ (इसका दूसरा नाम ‘‘दूब’’भी है) के साथ ही भारतीय फिल्मकार रीमा दास की असमिया भाषा की फिल्म ‘‘विलेज राॅकस्टार्स’’ की टक्कर होने वाली है. इन दोनों ही फिल्मों के साथ भारतीय कलाकार जुड़े हुए हैं, मगर इन फिल्मों का निर्माण अलग अलग देश में हुआ है.
इरफान खान की फिल्म ‘‘नो बेड नो रोजेस’’ को बांग्लादेश ने अपने देश की तरफ से ‘औस्कर अवार्ड’ में भेजा है. जबकि भारतीय प्रविष्टि के रूप में रीमा दास की फिल्म ‘‘विलेज रौक स्टार्स’’ को भेजा गया है. इन दोनों ही फिल्मों के बीच जबरदस्त टक्कर होनी तय है. क्योंकि यह दोनों फिल्में लगभग साठ से अधिक अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सवों में प्रदर्शित होकर अपना डंका बजाने के साथ ही तमाम पुरस्कार भी हासिल कर चुकी हैं. यह दोनों फिल्में कथानक के स्तर पर एक दूसरे से काफी भिन्न हैं. फिल्म ‘‘नो बेड नो रोजेस’’ एक ऐसे मशहूर निर्देशक पर आधारित है, जो कि अपनी पहली पत्नी को छोड़कर अपनी बेटी की बचपन दोस्त व उम्र में 33 वर्ष छोटी लड़की से विवाह कर विवादों से घिरे थे.
जबकि रीमा दास की फिल्म ‘‘विलेज रौक स्टार्स’’ आसाम के एक गांव की छोटी लड़की की कहानी है, जो कि गिटार पर अभ्यास कर रौक स्टार बनती है. ‘‘नो बेड नो रोजेस’’ में बांगला देश की औरतों की स्थिति का चित्रण है, तो वहीं ‘‘विलेज रौक स्टार्स’’ में एक बच्ची के द्वारा अपने सपने को पूरा करने के जद्दोजहद का चित्रण है.
‘‘91वें औस्कर अवार्ड’’ के लिए भारतीय प्रविष्टि फिल्म का चयन करना ‘‘फिल्म फेडरेशन आफ इंडिया’’ द्वारा गठित 12 सदस्यीय चयन समिति के अध्यक्ष व प्रख्यात फिल्मकार एस वी राजेंद्र सिंह बाबू के लिए आसान नहीं था. क्योँकि ‘पद्मावत’, ‘संजू’, ‘मंटो’, ‘राजी’, ‘पैडमैन’, ‘हिचकी’, ‘102 नौट आउट’, ‘लव सोनिया’ सहित 17 हिंदी, ‘न्यूड’ सहित तीन मराठी, ‘बेस्ट आफ लक लालू’ सहित दो गुजराती , दो तमिल, दो तेलगू, एक कन्नड़, एक असमिया, एक मलयालम फिल्म ने दावेदारी पेश की थी. पर निर्णायक समिति ने सर्वसम्मति से रीमा दास की असमिया फिल्म ‘‘विलेज रौक स्टार्स’’ को भारतीय प्रविष्टि के रूप में ‘‘औस्कर अवार्ड’’ में ‘सर्वेश्रेष्ठ विदेशी भाषा की फिल्म के अंतगर्त भेजने का निर्णय लिया.
रीमा दास की फिल्म‘‘विलेज रौकस्टार्स’’ को इसी वर्ष सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के राष्ट्रीय पुरस्कार के स्वर्ण कमल से नवाजा जा चुका है. इसके अलावा इस फिल्म में अभिनय करने के लिए बाल कलाकार भनिता दास को सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है. रीमा दास को सर्वश्रेष्ठ फिल्म संपादन का भी पुरस्कार मिला. रीमा दास ही इस फिल्म की कैमरामैन भी हैं.
रीमा दास व जया दास निर्मित तथा रीमा दास द्वारा लिखित व निर्देशित फिल्म ‘‘विलेज रौक स्टार्स’’ का विश्व प्रीमियर 2017 में ‘‘टोरंटों अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव’’ में हुआ था. यह फिल्म अब तक 30 अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सवों का हिस्सा बन 70 से अधिक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार हासिल कर चुकी है.
‘‘औस्कर अवार्ड’’ के लिए भारतीय प्रविष्टि के रूप में अपनी फिल्म के चुने जाने पर ख़ुशी व्यक्त करते हुए रीमा दास कहती हैं- ‘‘मेरे पास कहने को शब्द नहीं हैं. आज मेरे लिए स्वर्णिम दिन है. फिल्म के निर्माण से लेकर औस्कर के लिए चुने जाने तक की एक लंबी यात्रा एक परी कथा सी लग रही है. यह पहली फिल्म है, जिसका चयन किया गया है. यह पूर्वोत्तर भारत का सम्मान है.’’
‘‘विलेज रौक स्टार्स’, रीमा दास की दूसरी फिल्म है. इससे पहले उन्होने 2016 में फिल्म ‘‘अंर्तदृष्टि’’ का निर्माण व निर्देशन किया था. रीमा दास की तीसरी फिल्म ‘‘बुलबुल कैन सिंग’’ है जो कि ‘टोरंटो अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव’ के लिए चुनी गयी है.
फिल्म की कहानीः
फिल्म की कहानी रीमा दास के आसाम स्थित अपने पैतृक गांव छायगांव की पृष्ठभूमि पर दस वर्षीय बालिका धुनू (भनिता दास) के रौक स्टार बनने की कथा है. जो अपना म्यूजिक बैंड बनाने का सपना देखती है. धुनू छायगांव में अपनी विधवा मां (बसंती दास) और बड़े भाई मनवेंद्र (मनवेंद्र दास) के साथ रहती है. आखिरकार वह किस तरह तमाम प्राकृतिक आपदाओं व अन्य मुश्किलों का सामना कर अपने मकसद में कामयाब होती है. यह फिल्म में दिखाया गया है.
इरफान खान की बंगाली व अंग्रेजी भाषा की फिल्म ‘‘नो बेड नो रोजेस’’:
इरफान खान के मुख्य अभिनय से सजी और इरफान खान द्वारा सहनिर्मित बांग्लादेश की प्रविष्टि फिल्म ‘‘नो बेड नो रोजेस’’ एक ऐसी फिल्म है, जिस पर पहले वहां के मशहूर फिल्मकार व लेखक हुमायूं अहमद की बायोपिक होने का आरोप लगाकर प्रतिबंध लगा दिया गया था. हुमायूं अहमद ने भी अपनी 28 वर्षीय पत्नी को तलाक देकर अपनी उम्र से 33 वर्ष छोटी अभिनेत्री के साथ निकाह किया था. बहरहाल, फिल्म ‘‘नो बेड नो रोजेस’’ के निर्देशक मोस्तफा सरवर फारूकी ने काफी लड़ाई लड़कर यह साबित किया कि उनकी फिल्म किसी भी इंसान की बायोपिक नहीं है, तब इस फिल्म पर से प्रतिबंध हटा था. अंततः यह फिल्म 27 अक्टूबर 2017 में बांग्लादेश में प्रदर्शीत हुई थी. इस फिल्म में निर्देशक मोस्तफा सरवर फारूकी की पत्नी नुसरत इमरोज तिषा ने ही इरफान खान के किरदार जावेद हसन की बेटी साबरी का किरदार निभाया है.
फिल्म के निर्देशक मोस्तफा सरवर फारूकी ने उस वक्त मीडियासे कहा था- ‘‘हमारी फिल्म ‘नो बेड नो रोजेस’ सत्य घटनाक्रमों पर आधारित है, जिसने बंगलादेश के न्यायिक मुस्लिम समाज की नींव हिलाकर रख दी. इसमें इस बात का चित्रण है कि हमारे समाज में औरतें किस तरह संघर्ष करते हुए निराशा में भी ताकत पाती हैं.’’
फिल्म को औस्कर के लिए चुने जाने पर वह कहते हैं- ‘‘मुझे उम्मीद है कि औस्कर में हमारी फिल्म को लोगों का प्यार मिलेगा.’’
फिल्म ‘‘नो बेड नो रोजेस’’ के निर्देशक मोस्तफा सरवर फारूकी अब तक ‘बैचलर’, ‘मेड इन बंगलादेश’, ‘थर्ड पर्सन सिंगुलर नंबर’, ‘टेलीवीजन’, ‘एंट स्टोरी’, ‘नो लैंड्स मैन’ सहित सात फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं.
‘‘नो बेड नो रोजेस’’ के निर्देशक मोस्तफा सरवर फारूकी की यह तीसरी फिल्म है, जिसे बांग्लादेश की तरफ से औस्कर में भेजा गया है. इससे पहले 2009 में उनकी फिल्म ‘‘थर्ड पर्सन सिंगुलर नंबर’’ और 2012 में ‘‘टेलीवीजन’’ को भेजा गया था.
‘‘नो बेड नो रोजेस’’ पहली बार ‘शंघाई अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव’ में 25 जून 2017 को दिखायी गयी थी. उसके बाद यह फिल्म ‘‘बुसान अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव’, कलकत्ता अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव’ सहित बीस से अधिक फिल्मोत्सवों में प्रदर्शित हुई. ‘‘मास्को अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव’’ में इस फिल्म को ‘‘कोमेरसंत वीकेंड पुरस्कार’’ से नवाजा गया.
कहानीः
अब्दुल अजीज, इफरान खान, अशोक धानुका और हिमांशु धानुका निर्मित तथा मोस्तफा सरवर फारूकी लिखित व निर्देशित फिल्म ‘‘नो बेड नो रोजेस’’ की कहानी बांग्लादेश के मशहूर फिल्म निर्देशक जावेद हसन (इरफान खान) के इर्द गिर्द घूमती है. जावेद हसन अपनी पत्नी माया (रोकिया प्राची) को तलाक देकर अपनी बेटी साबरी (नुसरत इरमोज तिषा) की सहपाठी नीतू (पमो मित्रा) के पिता की मौत के बाद नीतू के संग विवाह कर लेते हैं.उसके बाद कई विवाद उठते हैं.