विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्लूएचओ की एक रिपोर्ट आई है जिस में भारत सरकार की महत्त्वाकांक्षी स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण की तारीफ की गई है और इस की 4 साल की उपलब्धि को उल्लेखनीय बताया गया है. इस में यह भी कहा गया है इस से न सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता के प्रति लोगों में असाधारण जागरूकता आई है बल्कि गंदगीजनित बीमारियों से लाखों लोगों की जान बची भी है.
एक अन्य रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र ने उत्सर्जन को कम करने तथा धरती को प्रदूषण से बचाने के भारत के प्रयासों की सरहाना की है. पर्यावरण को नियंत्रण करने और रेफ्रीजरेटर व एसी से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए एक साल में एक लाख एसी/फ्रिज तकनीशियनों को प्रशिक्षित करने का कौशल विकास मंत्रालय का उद्देश्य है.
यह कदम छोटा हो सकता है लेकिन प्रतिबद्धता का एक उदाहरण है और इस तरह के प्रयास निरंतर जारी रहने आवश्यक हैं. वहीं, इलैक्ट्रौनिक वाहन प्रदूषण से राहत देने में उपयोगी साबित हो रहे हैं. टाटा जैसी बड़ी कंपनियां 2020 तक बड़े स्तर पर इलैक्ट्रौनिक वाहन बनाने पर सहमत हो चुकी हैं. मतलब डीजलपैट्रोल पर निर्भरता कम करने की तैयारी चल रही है. इन वाहनों की बैटरी को रिचार्ज करने की ऐसी तकनीक विकसित की जा रही है कि बैटरी बहुत कम समय में रिचार्ज हो कर लंबी दूरी तय कर सके.
सड़कों पर इलैक्ट्रौनिक रिकशा की सफलता धूम मचा रही है. अब यदि चारपहिया वाहन सड़कों पर इसी ताकत के साथ ढोते हैं तो पर्यावरण प्रदूषण रोकने तथा ईंधन के परंपरागत साधनों को बदलने की यह क्रांतिकारी पहल होगी. इधर, सरकार की योजना डीजलपैट्रोल वाहनों के इंजिन पर शुल्क बढ़ाने और उस राशि का इस्तेमाल इलैक्ट्रौनिक वाहनों को बढ़ावा देने में करने की है.
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