एशियन गेम्स में सोमवार को 50 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर विनेश फोगाट ने रियो ओलंपिक में नहीं खेल पाने की अपनी कसक को पूरा किया है. चोट लगने के कारण विनेश रियो ओलंपिक में नहीं खेल पाई थी. विनेश की इस जीत पर उसके गांव में जश्न मनाया गया. विनेश के घर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. हर कोई इस जीत का श्रेय विनेश के कोच ताऊ महाबीर फोगाट को दे रहा है तो वहीं ताऊ ने इस जीत को विनेश की कड़ी मेहनत बताया.
कई वर्ष पहले पिता राजपाल की मौत के बाद विनेश और उसकी छोटी प्रियंका को उसके ताऊ द्रोणाचार्य अवार्डी पहलवान महाबीर फोगाट ने अपनाया और अपनी बेटियों गीता और बबीता के साथ अखाड़े में उतारा. ताऊ के विश्वास व अंतरराष्ट्रीय पहलवान बहनों गीता-बबीता से प्रेरणा लेते हुए विनेश ने शानदार जीत दर्ज की.
बचपन से ही कुश्ती से लगाव
अगस्त 1994 में गांव बलाली निवासी राजपाल के घर जन्मी विनेश तीन भाई बहनों में सबसे छोटी है. विनेश को बचपन से ही कुश्ती के गुर उसके ताऊ महाबीर पहलवान ने सिखाए. 2003 में पिता के देहांत के बाद मां प्रेमलता ने विनेश का हौसला नहीं टूटने दिया और उसके ताऊ कोच महाबीर पहलवान ने शिक्षा देनी जारी रखी. गांव के ही 8वीं तक की पढ़ाई कर 12वीं कक्षा उसने गांव झोझूकलां स्थित कल्पना चावला मैमोरियल स्कूल से 2014 में प्राप्त की, इसके बाद विनेश ने बीए की पढ़ाई की.
महाबीर को पिता माना
भाई हरविंद्र ने बताया कि विनेश व हमने महाबीर फोगाट को ही अपना पिता माना और उनके दिखाए मार्ग पर चले. प्रेरणा लेते हुए विनेश ने अपने रिकार्ड को बढ़ाते हुए स्वर्ण पदक जीतकर मेडलों की संख्या में इजाफा किया और देश का मान बढ़ाया है. हरविंद्र को उम्मीद है कि 2020 के ओलंपिक में विनेश फिर से गोल्ड जीतकर दोहरी खुशी देगी.