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‘‘राजू मेरा नाम है. अक्ल एमए पास  है और शक्ल पीएचडी करने के काबिल है,’’ अपने आटोरिकशा की रफ्तार को और तेज करते हुए राजू ने अपना परिचय फिल्मी अंदाज में दिया.

यूनिवर्सिटी के सामने से राजू ने एक खूबसूरत सवारी अपने आटोरिकशा में बैठाई थी. मशरूम कट बाल, आंखों पर नीला चश्मा, गुलाबी टीशर्ट और काली जींस पहने उस सवारी ने उस से यों ही नाम पूछ लिया था.

उस के जवाब में राजू ने अपना दिलचस्प परिचय दिया था.

राजू के जवाब पर वह सवारी मुसकरा दी, ‘‘बड़े दिलचस्प आदमी हो. कितने पढ़ेलिखे हो?’’

‘‘मैं ने इतिहास में एमए किया है. आगे पढ़ने का इरादा है, लेकिन पिताजी की अचानक मौत हो जाने की वजह से घर की गाड़ी में ब्रेक लग गया है. बैंक से कर्ज ले कर यह आटोरिकशा खरीदा है. दिनभर कमाई और रातभर पढ़ाई. बात समझ में आई…’’

‘‘वैरी गुड, कीप इट अप. तुम बहुत होशियार और मेहनती हो. मेरा नाम किरन है,’’ उस सवारी ने राजू की बात से खुश होते हुए कहा.

किरन को साइड मिरर में देख कर राजू ने सोचा, ‘यह जरूर किसी बड़े बाप की औलाद है. एसी में बैठ कर चेहरा गुलाबी हो गया है.’

आटोरिकशा आंचल सिनेमा के पास से गुजरा. उस में एक पुरानी फिल्म ‘मुझ से दोस्ती करोगे’ चल रही थी. किरन ने फिल्म का पोस्टर देख कर कहा, ‘‘मुझ से दोस्ती करोगे?’’

‘‘क्यों नहीं करूंगा. इतिहास गवाह है कि मर्द को अपने दोस्त और अपनी औरत से ज्यादा अजीज कुछ नहीं होता,’’ राजू ने जोश में आ कर कहा.

राजू की बात सुन कर किरन के होंठों पर मुसकराहट तैरने लगी. उस ने तो फिल्म का बस नाम पढ़ा था और राजू ने उस का और ही मतलब निकाल लिया था, पर उस के चेहरे से जाहिर हो रहा था कि उसे इस पढ़ेलिखे आटोरिकशा वाले से दोस्ती करने में कोई एतराज नहीं है.

राजू खुश था. खुशी से उस का चेहरा दमक उठा था. पिछले 6 महीने से वह इस रूट से सवारियां उठाता रहा था, मगर हर कोई उस से तूतड़ाक में ही बात करता था. पहली बार उस के आटोरिकशा में ऐसी सवारी बैठी थी, जिस का दिल भी उसे उतना ही खूबसूरत लगा, जितना कि बदन.

‘‘आप को कहां जाना है, यह तो आप ने बताया ही नहीं?’’ राजू ने पीछे मुड़ कर पूछा.

‘‘पांचबत्ती चौराहा…’’ छोटा सा जवाब देने के बाद किरन ने गला साफ करते हुए पूछा, ‘‘फिल्में देखते हो?’’

‘‘बचपन में खूब देखता था, इसलिए फिल्मों का मुझ पर बहुत ज्यादा असर पड़ा है.’’

तभी आटोरिकशा एक झटके से रुक गया और राजू बोला, ‘‘आप की मंजिल आ गई.’’

‘‘बातोंबातों में समय का पता ही नहीं चला,’’ कह कर किरन ने 20 रुपए का नोट निकाल कर राजू की ओर बढ़ाया.

राजू नोट लेने से इनकार करते हुए बोला, ‘‘दोस्ती इस मुलाकात तक ही थी तो बेशक मैं पैसे ले लूंगा, वरना आप यह नोट वापस अपनी जेब के हवाले कर लें.’’

किरन ने मुसकरा कर राजू को घूरती निगाहों से देखा, जैसे उस की निगाहें यह परख रही हों कि उस ने किसी गलत आदमी को तो अपना दोस्त नहीं बनाया है.

किरन ने नोट वापस जेब में रख लिया और फिर अपना हाथ राजू की तरफ बढ़ाया. राजू ने दोस्त के रूप में किरन का हाथ थाम लिया.

राजू ने महसूस किया कि किरन का हाथ छूते ही उस के दिमाग में अजीब सी तरंगें उठीं. किरन के जाने के 10 मिनट बाद तक राजू वहीं खड़ा रहा.

दूसरे दिन राजू को यूनिवर्सिटी के बाहर किरन के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा.

आटोरिकशा में बैठते ही किरन ने कहा, ‘‘राजू, तुम्हें एमए में कितने फीसदी नंबर मिले थे?’’

‘‘64 फीसदी,’’ कहते हुए राजू ने आटोरिकशा स्टार्ट कर साइड मिरर में किरन के चेहरे को देखा.

किरन ने राजू का जोश बढ़ाते हुए कहा, ‘‘फिर तो तुम प्रतियोगी इम्तिहान पास कर के किसी भी कालेज में लैक्चरर बन सकते हो.’’

‘‘दोस्त, अपनी तकदीर खराब है. मेरी तकदीर में तो यह आटोरिकशा चलाना ही लिखा है.’’

‘‘तकदीर, माई फुट… मुझे इन चीजों पर यकीन नहीं है. आदमी अगर पूरी लगन से काम करे तो वह जो चाहता है, पा सकता है,’’ किरन ने राजू को डांट दिया.

राजू और किरन की दोस्ती पक्की हो गई थी. दोनों राजनीति, पढ़ाईलिखाई, फिल्म, दूसरी घटनाओं वगैरह पर खुल कर बातचीत करने लगे थे.

उस दिन रविवार था. राजू सुबहसुबह पांचबत्ती चौराहा पहुंच गया. आज उस की सालगिरह थी और वह उसे किरन के साथ मनाना चाहता था.

चौराहे के दाईं ओर किरन का बंगला था. बेबाक बातें करने में माहिर किरन ने राजू को अपने नाम के अलावा अपनी निजी जिंदगी और परिवार के बारे में कुछ नहीं बताया था.

किरन को बंगले से निकल कर आते देख राजू का चेहरा खिल गया. राजू को खुश देख कर किरन के होंठों पर भी मुसकान उभरी.

किरन के आटोरिकशा में बैठते ही राजू ने म्यूजिक सिस्टम चला दिया. ‘जिंदगी एक सफर है सुहाना…’ गीत ने किरन के चेहरे पर ताजगी ला दी. उस ने राजू से पूछा, ‘‘क्या प्रोग्राम है?’’

‘‘तुम बोलो. जहां चाहो, वहां घुमा दूंगा. अच्छे होटल में खाना खिला दूंगा,’’ राजू ने कहा.

‘‘चलो, शहर में घूमते हैं. फिर दिल ने जो चाहा वही करेंगे. बोलो, मंजूर है?’’ किरन ने कहा.

‘‘आज का पूरा दिन तुम्हारे नाम. जो चाहोगे वही होगा,’’ कह कर राजू ने आटोरिकशा शहर के बाजार के भीड़भाड़ वाले इलाके की ओर मोड़ दिया.

थोड़ी दूर जाने के बाद किरन ने राजू को आटोरिकशा रोकने के लिए कहा. राजू ने आटोरिकशा रोक दिया.

‘‘आज मेरा मूड बहुत खराब है. मुझे तुम्हें कुछ बताना है. एक ऐसा सरप्राइज, जो तुम्हें चौंका देगा,’’ किरन ने आटोरिकशा रुकने के बाद कहा.

‘‘तो बताओ, क्या है सरप्राइज?’’

‘‘ऐसे नहीं, पहले तुम मुझे कुछ खिलाओपिलाओ.’’

‘‘क्या पीना है, कोल्ड डिंक या जूस?’’ राजू ने पूछा.

‘‘शराब पीनी है.’’

‘‘शराब, वह भी दिन में… मैं ने तो कभी शराब को छुआ तक नहीं,’’ राजू ने हैरानी से कहा.

‘‘अभी तो तुम ने मेरी मरजी के मुताबिक दिन बिताने का वादा किया था और फौरन भूल गए,’’ किरन ने कहा.

‘‘ठीक है, चलो,’’ कह कर राजू ने बेमन से आटोरिकशा बाजार की ओर बढ़ा दिया.

शराब का ठेका पास ही था. राजू शराब की बोतल ले आया. साथ में 2 कोल्ड ड्रिंक की बोतलें भी थीं. फिर दोनों सुनसान जगह पर जा पहुंचे. राजू ने वहां आटोरिकशा खड़ा कर दिया.

किरन ने कोल्ड ड्रिंक की दोनों बोतलों को आधा खाली कर के उन में शराब डाल दी. राजू का मन थोड़ा बेचैन सा हो गया, लेकिन वह अपने नए दोस्त को नाराज नहीं करना चाहता था. दोनों शराब पीने लगे.

जैसा कि शराब पीने के बाद पीने वाले का हाल होता है, वही उन दोनों का भी हुआ. किरन को कम, मगर राजू को बहुत नशा चढ़ गया. वह निढाल सा हो कर आटोरिकशा की पिछली सीट पर बैठ गया.

‘‘चलो, अब शहर घूमते हैं. अब आटोरिकशा चलाने का जिम्मा मेरा,’’ कह कर किरन ने आटोरिकशा स्टार्ट कर दिया.

किरन को कार चलानी आती थी, इसलिए आटोरिकशा चलाना उसे बाएं हाथ का खेल लगा. उस ने आटोरिकशा का हैंडिल थाम लिया और भीड़भाड़ वाली सड़क की ओर मोड़ दिया.

नशे के सुरूर में किरन से आटोरिकशा संभल नहीं रहा था, फिर भी उसे चलाने में मजा आने लगा.

बाजार में घुसते ही आटोरिकशा सब्जी के एक ठेले से टकरा गया, फिर आगे बढ़ कर एक साइकिल सवार को ऐसी टक्कर मारी कि वह बेचारा सड़क पर मुंह के बल गिर पड़ा. उस के होंठ व नाक से खून बहने लगा.

वह साइकिल सवार आटोरिकशा चलाने वाले को भलाबुरा कहता, उस से पहले ही सड़क के किनारे एक शोरूम के सामने खड़ी कार से आटोरिकशा टकरा कर बंद हो गया.

नशे की वजह से राजू को कुछ भी पता नहीं लगा. देखते ही देखते वहां लोगों की अच्छीखासी भीड़ जमा हो गई.

‘‘2 थप्पड़ मारो इस को, अभी नशा उतर जाएगा. दूध के दांत भी नहीं टूटे कि शराब पीना शुरू कर दिया,‘‘ भीड़ में से किसी ने कहा.

एक लड़के ने किरन को खींच कर आटोरिकशा से बाहर निकाला और पीटना शुरू किया.

‘‘मुझे मत मारो, मैं…’’ किरन ने डरते हुए कहा. मगर उस की बात किसी ने नहीं सुनी.

तभी 2 पुलिस वाले वहां आ गए. उन्होंने भी लगे हाथ किरन के गालों पर 2 थप्पड़ रसीद कर दिए.

शोरगुल सुन कर नशे में धुत्त राजू उठ खड़ा हुआ. मारपीट देख कर वह घबरा गया. वह किरन को बचाने के लिए भीड़ में घुस गया, मगर भीड़ तो मरनेमारने पर उतारू हो चुकी थी.

‘‘मैं लड़की हूं. मुझ पर हाथ मत उठाओ,’’ किरन ने चीखते हुए कहा.

‘‘अच्छा, खुद को लड़की बताकर पिटने से बचना चाहता है…’’ एक आदमी ने उसे घूंसा मारते हुए कहा.

किरन चेहरेमोहरे और कपड़ों से लड़की नहीं लगती थी. लोगों ने उसे पीटना जारी रखा. राजू भी बीचबचाव में किरन के साथ पिटने लगा.

‘‘मैं लड़की हूं… मुझे छोड़ दो,’’ किरन ने जोर से चिल्लाते हुए अपनी टीशर्ट उतार दी.

किरन के टीशर्ट उतारते ही लोग सकते में आ गए. वे दूर हट कर खड़े हो गए. किरन के कसे हुए ब्लाउज में छाती के उभार उस के लड़की होने का सुबूत दे रहे थे.

यह देख कर राजू का नशा काफूर हो गया. जिसे वह लड़का समझ कर दोस्ती निभा रहा था, वह एक लड़की थी.

यह राज खुलना लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि राजू के लिए भी अचरज की बात थी.

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