सफेद रसगुल्ला बंगाली मिठाई है. यह छेने और चीनी से तैयार होती है. अच्छे रसगुल्ले की पहचान यह होती है कि वे एकदम मुलायम होते हैं. रसगुल्ले सफेद और हलका पीलापन लिए बनाए जाते हैं. इन का साइज भी अलगअलग हो सकता है. छोटेछोटे साइज वाले रसगुल्ले ज्यादा पसंद किए जाते हैं. अब डब्बाबंद रसगुल्ले ज्यादा बिकते हैं, जिन को महीनों महफूज रखा जा सकता है. मिठाई के बाजार को देखें तो रसगुल्ले सब से खास जगह रखते हैं. रसगुल्ला भले ही बंगाली मिठाई हो, पर इसे पूरे देश के लोग स्वाद ले कर खाते हैं. यही वजह है कि लगभग हर शहर में बंगाली मिठाइयों की दुकानें मिल जाती हैं.

रसगुल्ला कारोबार में हुनर और रखरखाव का खास योगदान होता है. जो कारीगर इसे सही तरह से बनाते हैं, उन की दुकान पर रसगुल्ले खरीदने वालों की भीड़ लगी होती है. हर शहर में ऐसी मिठाई की दुकानें होती हैं, जिन के रसगुल्ले सभी पसंद करते हैं. इन को खरीदने के लिए दूरदूर से चल कर लोग आते हैं. यही वजह है कि रसगुल्ले की कीमत में भी अंतर होता है. 160 रुपए प्रति किलोग्राम से ले कर 350 रुपए प्रति किलोग्राम तक की कीमत में रसगुल्ले बिकते हैं. खानपान की चीजों में लोग इस बात का पूरा खयाल रखते हैं कि उन को सफाई से बनाया जाए और उन्हें सही तरह से रखा जाए. जिस दुकान में गंदगी होती है, वहां लोग कम जाते हैं. रसगुल्ला निकालने के लिए भी हाथ के बजाय चम्मच का इस्तेमाल करना चाहिए.

कैसे तैयार करें रसगुल्ला

रसगुल्ला बनाने के लिए 150 ग्राम छेना लें. इस के बाद किसी साफ बरतन में 2 कप पानी में छेना डाल कर करीब 10 मिनट तक उबालें. इस के बाद इसे ठंडा होने दें. फिर छेना बाहर निकाल लें. छेना दोनों हाथों में ले कर मसल लें. छेना  तब तक मसलें, जब तक वह पूरी तरह चिकना न हो जाए. छेना जितना चिकना होगा, रसगुल्ले उतने ही मुलायम बनेंगे. इस छेने से 10 गोलगोल रसगुल्ले तैयार करें. ध्यान रखें कि रसगुल्ले एक ही साइज के हों. साइज अलगअलग होगा तो ये देखने में अच्छे नहीं लगेंगे. रसगुल्ले भिगोने के लिए चाशनी तैयार करनी होगी. चाशनी तैयार करने के लिए कड़ाही में 2 कप चीनी डाल कर उस में 4 कप पानी डालें और मध्यम आंच पर उबालें. जब यह मिश्रण थोड़ा गाढ़ा हो जाए तो उसे उंगली में लगा कर देखें. उस में तार बनने लगें तो उसे आंच से उतार लें. उस में 2 छोटे चम्मच गुलाबजल और इलायची पाउडर खुशबू के लिए डालें. चाशनी में रसगुल्ले डालें और 20 मिनट तक उबालें. हर 5 मिनट उबालने के बाद उस में थोड़ाथोड़ा पानी डालते रहें. पानी नहीं डालेंगे तो चाशनी कम हो जाएगी और रसगुल्ले जल भी सकते हैं.

तैयार रसगुल्लों को कुछ देर ठंडा होने के लिए रख दें. हलके मुलायम रसगुल्ले चाशनी में ऊपर तक आ जाते हैं. जो रसगुल्ले ठीक नहीं होते वे नीचे बैठ जाते हैं.छेना बनाने वाले कारीगर निखिल गुप्ता कहते हैं, ‘छेने की मिठाई में रसगुल्ले सब से खास होते हैं. इन्हें बनाने में समय का सब से ज्यादा ध्यान रखना चाहिए. छेना अगर सही नहीं बनता तो रसगुल्ले भी सही नहीं बनते हैं. छेना बनाने के लिए दूध को फा ड़ना पड़ता है. अगर घर पर छेने के रसगुल्ले बनाने हों, तो छेना बाजार से खरीदा जा सकता है.’

डेरी किसान उठा सकते हैं लाभ

जो किसान डेरी का काम करते हैं, वे रसगुल्ला कारोबार का हिस्सा बन सकते हैं. वे अच्छे किस्म के दूध से छेना तैयार कर के उसे बाजार में रसगुल्ले का कारोबार करने वाले दुकानदारों को बेच सकते हैं. इस से उन का मुनाफा कई गुना बढ़ सकता है. ऐसे में डेरी उद्योग ज्यादा किसानों के बीच फैल सकेगा. किसान यह न मानें कि मिठाई बनाना केवल हलवाई का काम है. आज शहरों में मिठाई का काम एक कारोबार की तरह हो गया है. वहां तमाम जातियों के लोग यह काम करते हैं. किसान भी गांवों और शहरों में मिठाई बना कर बेच सकते हैं. इस काम को शुरू करने में बहुत पूंजी की जरूरत नहीं पड़ती है. शादी के मौसम में यह कारोबार ज्यादा मुनाफा देने वाला साबित हो सकता है.

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