इस रविवार, रांची के जगन्नाथपुर थाना क्षेत्र में, हेसाग स्थित तालाब के पीछे रेलवे लाइन पर 26 वर्षीय युवक का शव बरामद हुआ. बहुत ही वीभत्स दृश्य था, रेलवे पोल नंबर 1452 और 1456 के बीच खून से लथपथ युवक का मृत शरीर पड़ा था तो करीब 200 गज की दूरी पर पड़ा था उस का बैग.
इतनी कम उम्र में दुनिया से रुखसत होने वाला राहुल कुमार मूलतः लातेहार का रहने वाला था जो रांची में पढ़ाई पूरी करने आया था. इसी दौरान एक दूसरी जाति की युवती से वह प्यार करने लगा. दोनों ने आपस में शादी का वादा किया, कसमें भी खाईं, मगर दूसरी जाति होने की वजह से लड़की के परिजन इस शादी के लिए सहमत नहीं थे. बाद में युवती ने भी राहुल से साफसाफ कह दिया कि वह परिजनों के विरुद्ध नहीं जाएगी इस लिए शादी का खयाल दिल से निकाल दो.
राहुल ने लाख समझाया. यह भी कहा कि वह इस तरह जी नहीं सकेगा, मगर युवती हिम्मत नहीं जुटा सकी. तब राहुल ने स्वयं को समाप्त कर लिया. भले ही फौरी तौर पर राहुल की मौत सामान्य सी आत्महत्या है और वजह भी बहुत साधारण है, और वो है प्रेमप्रसंग.
मगर गौर करें तो पाएंगे कि राहुल ने आत्महत्या नहीं की वरन उस की हत्या की गई है और हत्या की है धर्म, समाज, संस्कृति के तथाकथित पहरेदारों व पैरोकारों, धर्मगुरुओं ने, जिन्होंने अपने लाभ के लिए समाज को जातियों व धर्मों में बांट दिया और फिर हजारों बंदिशें लगा दीं ताकि मासूमों की चिता पर वो अपने स्वार्थ की रोटियां सेक सकें. जातिधर्म के भेदभाव की दीवारें खड़ी कर लोगों को अपने हिसाब से चला सकें.
यही वजह है कि जब बात शादीविवाह की आती है तो परिजन लड़केलड़की के आचारविचार, स्वभाव आदि न मिला कर कुंडलियां मिलवाने को पंडेपुजारियों के पास दौड़ पड़ते हैं. शादी का सारा कार्यक्रम कदम दर कदम धर्मगुरुओं के कहेअनुसार संपन्न कराया जाता है. इस के विपरीत लड़केलड़कियां यदि अपनी पसंद के जीवनसाथी से प्रेमविवाह करें तो पंडे पुजारियों की तो दुकान ही बंद हो जाएगी.
यही वजह है कि हर साल हजारों लाखों युवकयुवतियां प्रेम प्रकरण की वजह से आत्महत्या करने या फिर औनर किलिंग का शिकार होने पर विवश हैं. जरूरत है, इन बातों की हकीकत समझने और अपनी आंखें खोलने की. वस्तुतः हमें अपने बच्चों की खुशियां दांव पर लगाने का कोई हक नहीं.