भोपाल के चूनाभट्टी इलाके में स्थित काली मंदिर में बीते दिनों एक दिलचस्प हवन हुआ जिसका मकसद था जातिगत आरक्षण को हटाना , इस बाबत 5 बड़े बड़े हवन कुंड बनाए गए थे. हवन की खास बात यह थी कि इसमें वे आहुतियां दी गईं जिनका जिक्र धर्म ग्रन्थों में नहीं है लेकिन संविधान में है. 51 पंडितों ने इस हवन को पूरे धार्मिक विधि विधान और मंत्रोच्चारण से कराया जिसमें मौजूद लोग आरक्षणाय स्वाहा और आरक्षण विनाशाय स्वाहा बोलते आहुतियां देते नजर आए.
इस अनूठे हवन यज्ञ का आयोजन ब्रह्म समागम जनकल्याण समिति के बैनर तले हुआ जिसमें बड़ी तादाद में ब्राह्मण नौजवान मौजूद थे. हवन के मुख्य देवी देवता मां बगुला मुखी और बटुक भैरव हनुमान थे जिन्हें खुश करने हवन के दौरान एक क्विंटल हवन सामग्री फूंकी गई. हवन सामग्री भी एसी थी जिसका उल्लेख किसी धार्मिक किताब में नहीं है मसलन लाल मिर्च, काली मिर्च, नमक, नीम की पत्तियां, सरसों, लाल बट्ट का तेल और खास किस्म की जड़ी बूटियां.
हवन के बाद ब्राह्मण युवकों ने शंख बजाकर भी अपनी मांग ऊपर आसमान में कहीं रहने बाले भगवान तक पहुंचाई और काले गुब्बारे भी उड़ाए. आरक्षण को यज्ञ हवन के जरिये भगाने का ख्वाब देख रहे इन ब्राह्मण युवाओं के हाथों में कुछ तख्तियां भी थीं जिससे बात नीचे के देवी देवताओं को भी समझ आए. इन तख्तियों पर आरक्षण हटाओ, देश बचाओ और प्रतिभाओं के सम्मान में ब्रह्म समागम मैदान में जैसे नारे लिखे हुये थे.
कार्यक्रम में मौजूद एक पदाधिकारी धर्मेंद्र शर्मा का कहना था कि यह यज्ञ देश और प्रदेश के राजनेताओं की सद्बुद्धि के लिए है, ताकि वे देश से आरक्षण को पूरी तरह खत्म करें. यानि बात ऊपर और नीचे दोनों लोकों के देवी देवताओं को समझाई जाएगी कि आरक्षण के चलते नीच, पतित, दास और पापी करार दिये गए शूद्र यानि दलित नाकाबिल होते हुये भी मलाईदार सरकारी नौकरियां गप्प कर जाते हैं और सबसे ऊंची जाति बाले हम ब्राह्मण अभी भी घंटे घड़ियाल बजाकर जैसे तैसे पेट पाल रहे हैं.
आरक्षण विरोधी यज्ञ हवनों का यह सिलसिला तब तक चलता रहेगा जब तक आरक्षण खत्म नहीं हो जाता जल्द ही भोपाल के ये आयोजक पहले दिल्ली जाकर भी हवन करेंगे और फिर मध्यप्रदेश , राजस्थान और छत्तीसगढ़ जाकर भी हवन करेंगे. इस दौरान हर एक ब्राह्मण से दस रुपए भी अदालत में मुकदमा लड़ने के लिए ये लेंगे. जाहिर है यह मुहिम फुल प्रूफ और चाक चौबन्द है जिसके असल यजमान का चेहरा इन तीन राज्यों के चुनावों के वक्त ही सामने आएगा. हालांकि माना यह जा रहा है कि यह सब आरएसएस के इशारे पर एक साजिश के तहत हो रहा है जिसका मकसद सवर्ण युवाओं को भाजपा की तरफ झुकाये रखना है.
यज्ञ हवन और पूजा पाठ को हथियार बनाकर अपनी बात कहने का यह तरीका नया नहीं है लेकिन चिंता की बात अब दलित और ब्राह्मणों के बीच आरक्षण को लेकर बढ़ता बैर है जो कभी भी बेकाबू हो सकता है. भाजपा से ब्राह्मणों को बड़ी उम्मीदें थीं कि वह सत्ता में आते ही दलितों से आरक्षण का हक छीन कर उन्हें दे देगी जिससे एक बार फिर सारी सामाजिक और आर्थिक ताकत उनकी मुट्ठी में होगी, धार्मिक ताकत तो उनके पास पहले से ही है.
आरक्षण को लेकर भाजपा दौहरा खेल खेल रही है जिससे सवर्ण और उनमें भी ब्राह्मण नौजवानों में भारी गफलत है. मिसाल मध्यप्रदेश की ही लें तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कई बार साफ साफ कह चुके हैं कि जब तक वे हैं तब तक कोई माई का लाल आरक्षण नहीं हटा सकता. लेकिन उनकी ही सरकार के वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव जब आरक्षण खत्म करने की हिमायत करते नजर आते हैं तो ब्राह्मण नौजवानो को उम्मीद बंधती नजर आती है. इस तरह की यानि आरक्षण खत्म करने की बात देश में अब हर कोई हर कभी कह देता है जिससे दहशत में दलित युवा भी हैं.
यज्ञ हवनों की शुरुआत कोई अच्छा संकेत नहीं है जिसकी जिम्मेदार भाजपा ही होती है जो एक मुंह से आरक्षण बनाए रखने की और दूसरे मुंह से हटाने की बात करती है. आज नहीं तो कल उसे आरक्षण पर अपना रुख साफ तो करना ही पड़ेगा नहीं तो माना यही जाएगा कि कांग्रेस का यह आरोप सच है कि वह समाज को बांट और लड़ा रही है.
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