भारत अपनी संस्कृति, कला, आर्किटैक्ट, खानपान और बोलचाल की वजह से विश्व के मानचित्र पर एक अनोखी पहचान रखता है. यहां के प्रत्येक शहर और गांव की अपनी एक अलग विशेषता है. जहां एक तरफ देश के कई शहर अपनी आधुनिकता और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाने जाते हैं, वहीं देश में मौजूद कुछ गांव अपनी भौगोलिक, राजनीतिक और पारंपरिक वजहों से प्रसिद्ध हैं.
हाल ही की बात है, भारतपाक बौर्डर पर स्थित ‘मुहार जमशेर’ नाम के गांव के लोग देश की आजादी के 69 वर्षों बाद भी 21 वर्षों से गुलामी का जीवन जी रहे थे. दरअसल, बौर्डर से लगभग 500 मीटर दूर होने पर भारत सरकार, सीमा सुरक्षाबल और होम मिनिस्ट्री को गांव के रास्ते पड़ोसी देश पाकिस्तान से आतंकियों के घुसने का डर रहता था, जिस के चलते गांव को 3 ओर से कंटीले तारों से बंद कर दिया गया था. इतना ही नहीं, गांव में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अपने घर से अपने खेत तक जानेआने के लिए रोजाना तलाशी की प्रक्रिया से गुजरना होता था. लेकिन बीते दिनों सरकार ने तलाशी की इस प्रक्रिया को बंद कर दिया है. अब गांव में रहने वाले लोग खुद को देश में रहने वाले अन्य नागरिकों जैसा समझ पा रहे हैं और आजादी महसूस कर पा रहे हैं.
वैसे, इस गांव की ही तरह भारत में ऐसे कई गांव हैं, जो अनोखी प्रथा या अन्य कारणों से मशहूर हैं. आइए, हम आप को ऐसे ही कुछ गांवों के बारे में बताते हैं:
यहां मुफ्त मिलता है दूध
गुजरात के कच्छ जिले में बसा धोकड़ा एक ऐसा गांव है, जहां लोगों को रोजाना दूध मुफ्त में मिलता है. दरअसल, इस गांव में जिन के पास गायभैंस हैं, वे उन लोगों को मुफ्त में दूध देते हैं जिन के पास गायभैंस नहीं होती. इस तरह इस गांव में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को दूध की कमी नहीं होती.
संस्कृत बोलते हैं यहां के लोग
संस्कृत भारत की प्राचीन भाषा है. लेकिन अब यह भाषा सिर्फ स्कूलकौलेज की किताबों तक ही सीमित रह गई है. आम बोलचाल के लिए लोग हिंदी, अपनी क्षेत्रीय भाषा और अंगरेजी का ही प्रयोग करते हैं. लेकिन कर्नाटक के मुत्तुरु गांव में संस्कृत को ही मातृभाषा माना जाता है. यहां के लोग आज भी सिर्फ संस्कृत में बात करते हैं. गांव में सार्वजनिक स्थलों पर लगे बोर्ड पर भी संस्कृत ही लिखी रहती है.
इस गांव की कमाई है 1 अरब रुपए
उत्तर प्रदेश के अमरोहा जनपद के जोया विकास खंड क्षेत्र का एक छोटा सा गांव सलारपुर हर साल 1 अरब रुपए कमाता है. कारण है टमाटर. जी हां, गांव में बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती की जाती है और शायद ही भारत का कोई ऐसा शहर या गांव होगा जहां सलारपुर के टमाटर न बिकते हों. आंकड़ों पर विश्वास किया जाए तो यहां 5 माह में बिकने वाले टमाटरों से 60 करोड़ रुपए का कारोबार होता है.
जहां हर ओर दिखते हैं हमशक्ल
केरल के मलप्पुरम जिले में स्थित कोडिन्ही गांव को जुड़वों का गांव कहा जाता है. आंकड़े बताते हैं कि यहां 350 जुड़वा भाईबहन रहते हैं. मजे की बात तो यह है कि यहां नवजात से ले कर 80 साल के बुजुर्गों के भी जुड़वे हैं. विश्व स्तर पर कोडिन्ही को दूसरे नंबर पर सब से अधिक जुड़वे जोड़े पैदा होने वाले स्थान का खिताब प्राप्त है, जबकि नाइजीरिया के इग्बोओरा को प्रथम स्थान दिया गया है. कोडिन्ही में हर 1000 बच्चों में से 45 बच्चे जुड़वां पैदा होते हैं और गांव में हर जगह हमशक्ल दिखते रहते हैं.
हाथ लगाना मना है
हम जब किसी संग्रहालय जाते हैं, तो वहां जगहजगह लिखा रहता है कि ‘किसी भी वस्तु को हाथ लगाने पर जुर्माना देना पड़ सकता है’ कुछ ऐसा ही आप को हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले स्थित मलाणा गांव में भी देखने को मिलेगा. यह गांव बड़ा ही विचित्र है. यहां भारतीय कानून नहीं चलता बल्कि यहां के अपने कायदे कानून हैं. सब से खास बात है कि यहां के लोग खुद को सिकंदर के सैनिकों का वंशज मानते हैं और गांव से बाहर के किसी भी व्यक्ति को खुद को और गांव के किसी भी वस्तु को हाथ नहीं लगाने देते हैं.
गांव में हर साल कई पर्यटक आते हैं, लेकिन उन के रुकने की व्यवस्था गांव के बाहर की जाती है. यदि किसी पर्यटक ने यहां आ कर किसी वस्तु को हाथ लगा लिया तो उसे 1000 रुपए या उस से भी अधिक जुर्माना भरना पड़ जाता है. गांव में जगहजगह नोटिस लगे हुए हैं, जिस में साफसाफ लिखा है, ‘‘यहां किसी भी वस्तु को हाथ लगाना मना है.’’