पुराना फोन खरीदने का सबसे बड़ा कारण होता है कि कम पैसे में ज्यादा फीचर्स वाला मोबाइल मिल जाए, लेकिन सबसे पहले आप अपनी जरुरतें भी जान लें कि आपको मोबाइल का करना क्या है. आप वहीं मोबाइल खरीदें जो आपकी ज्यादातर जरुरतों को पूरा करता हो. कहीं ऐसा न हो कि आप दिखावे के चक्कर में महंगे फोन को सस्ते में खरीद लें और उसमें कोई दिक्कत हो तो बड़े फोन को सर्विस सेंटर ले जानें पर खर्चा भी बड़ा ही होता है.
इसलिए अपना बजट और जरुरतों को देखते हुए एक अच्छा फोन खरीदें. चलिए इसी में हम आपकी थोड़ी मदद करते हैं. इस्तेमाल करने लायक सस्ते स्मार्टफोन 5,000 से 10,000 रुपये के रेंज में आ जाते हैं. 10,000 से 15,000 रुपये के बीच कई अहम फीचर्स से लैस एक मौडर्न स्मार्टफोन आपका हो सकता है. 15,000 से 30,000 रुपये को मिड रेंज सेगमेंट माना जाता हैं. हालांकि, इस रेंज में प्रोडक्ट्स के फीचर्स में काफी अंतर देखने को मिलता है जो अलग-अलग ब्रांड पर निर्भर करता है.
ब्रांड: स्मार्टफोन खरीदने से पहले ब्रांड चुनना एक अहम कदम है, क्योंकि इस पर कई बातें निर्भर करती हैं. नामी ब्रांड्स के साथ सौफ्टवेयर अपडेट और कस्टमर सपोर्ट सर्विसेज का भरोसा रहता है. शायद यही वजह है कि ज्यादातर यूज़र्स बड़े ब्रांड के साथ जाना पसंद करते हैं. सबसे पहले तो इन ब्रांड के प्रोडक्ट्स मार्केट में आसानी से उपलब्ध होते हैं. ई-कौमर्स वेबसाइट हो या फिर रिटेल मार्केट, आप दोनों ही जगहों से अपनी सुविधानुसार खरीददारी कर सकते हैं.
औपरेटिंग सिस्टम: गूगल का एंड्रौयड, ऐप्पल का आईओएस, माइक्रोसौफ्ट का विंडोज मोबाइल और ब्लैकबेरी ओएस 10, आपके के लिए विकल्प कई हैं. हर औपरेटिंग सिस्टम में कई खासियतें हैं तो कुछ कमियां भी हैं. भारत में एंड्रौयड प्लेटफौर्म सुपरहिट है और इसका मार्केट शेयर भी सबसे ज्यादा है और ओपन-सोर्स नेचर होने के कारण कई मोबाइल ब्रांड इसी औपरेटिंग सिस्टम पर फोन बना रहे हैं.
बैटरी: किसी भी स्मार्टफोन यूजर के लिए बैटरी लाइफ सबसे अहम प्रौपर्टी है. इन दिनों फोन रीमूवेबल और नौन-रीमूवेबल बैटरी के साथ आते हैं. जिन स्मार्टफोन में नौन-रीमूवेबल बैटरी का इस्तेमाल होता है वो ज्यादा स्लीक होते हैं. नौन-रीमूवेबल बैटरी के साथ कुछ और भी फायदे हैं, बैक कवर ज्यादा सिक्योर होते हैं और फोन में पानी के घुसने और डैमेज होने की संभावना भी कम हो जाती है.
रैम और प्रोसेसर: किसी भी स्मार्टफोन की स्पीड और उसमें मल्टी-टास्किंग का लेवल प्रोसेसर और रैम पर निर्भर करता है. इस बात का भी ध्यान रखें कि हर औपरेटिंग सिस्टम की हार्डवेयर जरूरतें अलग होती हैं. जैसे कि विंडोज फोन के लेटेस्ट वर्जन में एंड्रौयड के लेटेस्ट वर्जन से कम प्रोसेसर स्पीड और रैम की जरुरत पड़ती है. एंड्रौयड वर्ल्ड में प्रोसेसर की परफौर्मेंस का अनुमान आमतौर पर कोर से लगाया जाता है. एंड्रौयड फोन के प्रोसेसर में जितने ज्यादा कोर होंगे परफौर्मेंस उतनी बेहतर होने की संभावना है.
स्क्रीन: किसी मोबाइल फोन की स्क्रीन साइज को डायगोनली नापा जाता है. आज की तारीख में ज्यादातर स्मार्टफोन 4 से 6.5 इंच की स्क्रीन साइज के होते हैं. 4-5 इंच स्क्रीन वाले स्मार्टफोन को बेहतर माना जाता है, इसे हाथों में रखना भी बेहद ही कंफर्टेबल होता है. हालांकि, यह आप पर निर्भर करेगा कि आप कैसा स्क्रीन चाहते हैं. अगर आप छोटे स्क्रीन के आदी हैं तो 4-5 इंच का डिस्प्ले आपके लिए ठीक है. कुछ लोगों को ज्यादा बड़े डिस्प्ले पसंद आते हैं, उनके लिए भी मार्केट में कई विकल्प मौजूद हैं.