नजरभर देख लूं पलकों में महफूज आंखें तेरी
बेसब्र इंतजार में चाहत के अरमान लाया हूं
जब्त मेरे भी हैं कुछ इरादे जबां के दरमियां
बड़ी मुश्किल से ये साजोसामान लाया हूं
खिलखिलाहट बचा के रखी जमाने से मैं ने
तेरे लिए कर्फ्यू में खुली जैसी दुकान लाया हूं
कर न सका कभी वफा खुद से मैं तेरे वास्ते
खुदगर्ज हूं थोड़ी नीयत बेईमान लाया हूं
आ जरा इधर दूं अपने हिस्से का प्यार तुझे
हसरतों में लिपटा खुशहाल मकान लाया हूं
कुबूल कर जैसा हूं, जिस हाल में हूं अब
आज तेरे लिए सीधा दिल से सलाम लाया हूं.
– राम कुमार वर्मा
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