2007 में ‘‘सांवरिया’’ से अभिनय करियर की शुरुआत करने वाली सोनम कपूर ने धीरे धीरे लीक से हटकर और महिला प्रधान फिल्में करना शुरू किया. अब वह उन फिल्मों को प्रधानता दे रही हैं, जो कि लोगों को प्रेरणा दें या नारी उत्थान की दिशा में कारगर साबित हों. फिलहाल वह अपनी 25 जनवरी को प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘‘पैडमैन’’को लेकर उत्साहित हैं. फिल्म ‘‘पैडमैन’’ में औरतों को माहवारी के दौरान सैनेटरी नैपकीन पैड के उपयोग की बात की गयी है.

क्या आप नई फिल्म ‘‘पैडमैन’’ को लेकर काफी नर्वस हैं?

बिलकुल नहीं. मैने ‘आएशा व रांझना’ से लेकर अब तक हर फिल्म सही सोच व अच्छे इरादे से ही की है. इसीलिए मेरी फिल्में सफल होती रही हैं. मेरी पिछली फिल्म ‘‘नीरजा’’ के लिए कई अवार्ड भी मिले. मेरी राय में फिल्म में मनोरंजन व सीख दोनों होनी चाहिए और फिल्म दर्शक तक पहुंचनी चाहिए. मै हमेशा वह फिल्में करना चाहती हूं, जिनको कर मैं गौरवान्वित महसूस कर सकूं. ‘पैडमैन’ भी उसी तरह की फिल्म है.

तो ‘पैडमैन’से भी लोगो के सीख मिलेगी?

हमारे देश में सिर्फ 12 प्रतिशत महिलाओं को ही पीरियड/ माहवारी के दौरान सैनेटरी पैड के उपयोग की सुविधा है. बाकी औरतें राख, पत्ते या गंदे कपड़ों का उपयोग करती हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है. इसी वजह यह भी है कि औरतों के बीच सैनेटरी नपकीन पैड को लेकर जागरुकता नहीं है. तो वहीं कुछ के पास सैनेटरी पैड खरीदने के लिए पैसे नहीं है. पर दक्षिण भारत में अरूणाचलम ने नई मशीन का ईजाद कर अति सस्ते दामों में सैनेटरी पैड उपलब्ध कराकर एक नई मिसाल कायम की है. हम ‘पैडमैन’ से सैनेटरी नैपकीन के प्रति हर औरत के बीच जागरुकता लाना चाहते हैं.

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लेकिन ‘‘पैडमैन’’ में तो आपका किरदार काफी छोटा है?

मैं किरदार की लंबाई देखकर फिल्म का चयन नहीं करती. मैं फिल्म के निर्देशक आर बालकी की बहुत बड़ी फैन हूं, और उनके साथ काम करना चाहती थी. आर बालकी ऐसे निर्देशक हैं, जो कि अलग तरह की प्रभावशाली कहानी सुनाने में यकीन करती हैं. तो जब उन्होंने मुझे इस फिल्म के लिए याद किया, तो मैं उत्साहित हो गयी. कहानी सुनकर व फिल्म की विषय वस्तु को जानकर मैने तय कर लिया कि मुझे इस फिल्म का हर हाल में हिस्सा बनना है.

फिल्म में छोटा किरदार निभाने को मैं रिस्क नहीं मानती. मेरी राय में किरदार का फिल्म की कहानी में महत्व होना जरुरी है. फिल्म में लीडिंग रोल करते हुए तीन गानें या दो दृश्य करने से बेहतर है कि ‘पैडमैन’ में परी का किरदार निभाना. जब आपका किरदार कहानी का महत्वपूर्ण बनाता है, तो उसे निभाना ही ठीक है. इससे पहले ‘दिल्ली 6’ में मेरा किरदार सिर्फ 15 मिनट की अवधि के लिए था. जबकि ‘भाग मिल्खा भाग’ मे मेरे महज चार दृश्य थे, पर यह सब फिल्म की कहानी का अहम हिस्सा थे. फिल्म ‘पैडमैन’ की कहानी दो रूपए में सैनेटरी नैपकीन उपलब्ध कराने वाले अरूणाचलम मुरूगनाथन की है.

अरूणाचलम मुरूगनाथन के बारे में आपको सबसे पहले जानकारी कब मिली थी?

यह लगभग चार पांच वर्ष पहले उस वक्त की बात है, जब मैं सिंगापुर में पढ़ाई कर रही थी. उस वक्त मेरे एक विदेशी मित्र ने विदेशों में प्रसारित कार्यक्रम ‘‘टेड टौक’’, जिसमें अरूणाचलम को लेकर बात की गयी थी, का वीडियो भेजा था. उसने मुझे लिखा था कि, ‘यह आपके भारत देश का आदमी है, आप देख लें.’ मैं यह वीडियो देखकर शौक्ड रह गयी थी. जबकि वीडियो बहुत मनोरंजक था. एक स्मार्ट और अच्छे इंसान के बारे में बात कर रहा था. अरूणाचलम ने काफी शोध किया है, जबकि बहुत ज्यादा पढे़ लिखे नहीं है. बहुत अच्छी अंग्रेजी नहीं जानते हैं. पर उन्होंने एक मशीन बनायी. इस मशीन के उपयोग से सैनेटरी नैपकीन 2 रूपए में बनती हैं. इस तरह उन्होने कम कीमत में पर्यावरण अनुकूल सैनेटरी नैपकीन बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उन्हे 2016 में पद्मश्री भी मिला है, पर जब मैंने उनका टेड टौक शो देखा था, उस वक्त तक उन्हे भारत में कम लोग ही जानते थे और पद्मश्री भी नहीं मिला था.

अरूणाचलम ने इस मशीन को अब तक साढे़ छह हजार गांव में जाकर बेचा है. उन्होंने औरतों को समझाया कि यह मशीन किस तरह से काम करती है. हर गांव की कुछ औरतों ने मिलकर बैंक से साठ हजार रूपए कर्जा लेकर यह मशीन खरीदी. दो रूपए की लागत वाली सैनेटरी नैपकीन को 3 रूपए में बेच कर बैंक का कर्जा भी चुकाया. इससे कुछ औरतों को रोजगार मिल गया और गांव की हर औरत को सैनेटरी नैपकीन सस्ते दाम में मिल गयी. अब आप खुद सोच लें कि इस इंसान ने कितना बड़ा काम किया. कुछ लोगों को रोजगार मिल गया. औरतों के स्वास्थ्य की रक्षा के साथ प्रगति हुई तथा एक जागरुकता भी आयी. मुझे यकीन है कि हमारी फिल्म ‘पैडमैन’से बाकी की औरतों में भी जागरुकता आएगी.

फिल्म के किरदार को लेकर क्या कहेंगी?

मैंने इस फिल्म में अक्षय कुमार के किरदार लक्ष्मीकांत चौहाण की बिजनेस पार्टनर परी का किरदार निभाया है. परी पहली इंसान है, जो कि उसके साथ खड़ी होती है, उसे आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है. मेरे हिसाब से परी का किरदार बहुत ही अलग तरह का और अति महत्वपूर्ण किरदार है. परी आज की लड़की है, उसकी परवरिश प्रोग्रेसिव माहौल में हुई है. वह औरतों के बारे में बहुत सोचती है.

फिल्म ‘‘पैडमैन’’ से क्या बदलाव आएगा?

इस फिल्म के बाद लोग आपस में खुलकर सैनेटरी नैपकीन को लेकर बात करना शुरू करेंगे. यह बहुत जरुरी है. मेरी राय में कलाकारों व फिल्मकारो को उन विषयों पर बात करनी चाहिए, फिल्म बनानी चाहिए, जिन पर समाज में लोग बात करने से हिचकते हैं. इस तरह के विषयों पर जब फिल्में बनेंगी तो समाज में बदलाव आएगा. औरतों में सैनेटरी नैपकीन को लेकर जागरूकता आएगी. आज की तारीख में 88 प्रतिशत महिलांए सैनेटरी नैपकीन की बजाय माहवारी के दिनो में रद्दी कपड़े, भूसा, बालू व राख का उपयोग करती हैं.

आप हमेशा मुद्दों पर आधारित या फेमिनिस्ट फिल्मों में ही नजर आती हैं. क्या आपको मसाला फिल्मों से एलर्जी है?

मैं मसाला फिल्मों के खिलाफ नहीं हूं. मैं सिनेमा में अभिनेत्रियों के लिए लिखे जाने वाले हास्यास्पद किरदारों के खिलाफ हूं. मुझे ‘‘प्रेम रतन धन पायो’’ जैसी मसाला फिल्म करने से एतराज नहीं है. यदि मसाला फिल्म में भी सम्मान जनक व अच्छे किरदार के आफर मिले, तो मैं जरुर करना चाहूंगी. पर मसाला फिल्में कर रही दूसरी अभिनेत्रियों को मैं जज नहीं करती. पर अब तक मेरी कोशिश रही है कि मैं उन फिल्मों का हिस्सा बनूं, जो लोगों को बेहतरीन इंसान बनने व कुछ करने के लिए प्रेरित करें.

अभिनय के अलावा आप क्या करना चाहेंगी?

मैं फिल्म निर्देशित करना चाहती हूं. मुझे लगता है कि लोग भी चाहते हैं कि मैं फिल्म निर्देशित करूं. मैं बतौर अभिनेत्री किसी से प्रतिस्पर्धा नहीं करती. मुझे अच्छे लेखकों और अच्छी पटकथा की तलाश है. वैसे मैंने हाल ही में कृष्णा उदयशंकर लिखित किताब ‘‘गोविंदा’’ खरीदी है. यह भगवान कृष्ण से प्रेरित एक कहानी है. शायद इस पर पटकथा लिखवाकर फिल्म निर्देशित करने के बारे में कोई निर्णय लूं.

आप पढ़ने की शौकीन हैं. इन दिनों आपने नया क्या पढ़ा हैं?

मैंने हाल ही में एक किताब ‘‘रावण’’ पढ़कर खत्म की है. ‘रामायण’ कि जो मैथोलौजी है, उसी को इस किताब ने रावण के नजरिए से पेश किया गया है. बहुत खूबसूरत किताब है. इस किताब को पढ़कर मुझे रामायण से जुड़ा दूसरा पक्ष समझ में आया. देखिए, हर सिक्के के दो पहलू होते हैं. वैसे भी हमारे देश में उत्तर भारत में राम की और दक्षिण भारत में रावण की पूजा होती है. रावण अपने आप में बेहतरीन शासक, बेहतरीन राजा व धार्मिक इंसान था, शिव भक्त था. विद्वान था. पर उसका अहंकार उसे ले डूबा. इस किताब में उसकी कहानी को बहुत खूबसूरत तरीके से पेश किया गया है. रावण के संघर्ष को भी पेश किया गया है. इस किताब को पढ़ने के बाद मुझे समझ में आया कि इस संसार में कोई भी इंसान सिर्फ बुरा या अच्छा नही होता है. एक ही मुद्दे को लेकर हर इंसान का अपना अलग नजरिया हो सकता है. हम जिसे सही मानते है, उसे दूसरा गलत मान सकता है.

सोशल मीडिया पर आप क्या लिख रही हैं?

मुझे इस बात का अफसोस है कि आप मुझे सोशल मीडिया पर यानी कि ट्वीटर पर फौलो नही करते है. आप ट्वीटर पर क्यों नही है. आपको भी ट्वीटर पर आ जाना चाहिए. मैं हर दिन कुछ न कुछ ट्वीट करती रहती हूं. मैंने आज ही एक रीट्वीट किया हैं. यह हिंडोल सेन गुप्ता की किताब ‘बिइंग हिंदू’ को लेकर है. यह एक खूबसूरत किताब है. इसके अलावा एक ट्वीट किया है कि फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग’ 1 जून को आ रही है. इसके अलावा मेरे पसंदीदा लेखक देव दत्त पटनायक है. पाकिस्तान में मार्टियल रेप कानूनन अपराध हैं, पर हमारे देश में क्यों नही हैं, इसे भी ट्वीट किया है.

क्या आप औरतों के मुद्दों पर कुछ लिखना पसंद करती हैं?

जी हां! मैंने कई लेख अंग्रेजी भाषा में लिखे हैं, जो कि कई जगह छपे हैं.

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