बौलीवुड में गैर फिल्मी परिवारों से आने वाली प्रतिभाओं को काफी संघर्ष करना पड़ता है. पर कुछ प्रतिभाएं इस संघर्ष में विजेता बनकर उभरती हैं, ऐसी ही एक प्रतिभा हैं- मुजाहिद खान. बदायूं से मुंबई आकर काफी संघर्ष करते हुए वह बौलीवुड में अपनी एक अलग जगह बनाने में कामयाब रहें. इन दिनों वह स्पोर्ट्स फिल्म ‘‘मेडल’’ को लेकर चर्चा में हैं, जो कि 19 जनवरी को सिनेमाघरों में पहुंचेगी.
बौलीवुड में अपने संघर्ष को लेकर क्या कहेंगें?
मैं उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले का रहने वाला हूं. मुझे बचपन से ही फिल्में देखने का शौक रहा है. मेरे घर में सभी लोग डाक्टर हैं. इसलिए मेरे पिता जी सहित घर का हर सदस्य मानकर चल रहा था कि मैं भी बड़ा होकर डाक्टर ही बनूंगा. पर बचपन में ही मैंने अभिनेता बनने के सपने देखने शुरू कर दिए थे. वास्तव में सातवीं कक्षा में मैंने एक फिल्म ‘‘दीवाने’’ देखी थी. इस फिल्म को देखकर मैंने निर्णय लिया कि मुझे अभिनय करना है. उस वक्त घर वालों को लगा कि यह मेरा बचपना है. बीच में मैंने वहां पर मुस्लिम धर्म से संबंधित कुछ संगीत एलबम भी बनाए थे. कालेज की पढ़ाई पूरी करते ही मैंने अपने पापा से कहा था कि आप मेरी बचपन वाली बात को गंभीरता से लें, मुझे अभिनेता ही बनना है. पर मेरे पिता जी ने मुझे समझाया कि हम मध्यम वर्गीय परिवार वालों के लिए मुंबई जैसे शहर में जाकर रहना, खर्चा उठाना व संघर्ष करना आसान नहीं है. मेरे पापा ने समझाया कि बौलीवुड में सब कुछ अनिश्चित होता है. उन्होंने मुझसे कहा कि मैं मुंबई जाने से पहले ऐसा कुछ कर लूं कि वहां से असफल होकर वापस आने पर भी कुछ काम कर सकूं. तब नैनीताल से मैंने हौटेल मैनेजमेंट का कोर्स किया. उसके बाद मैं मुंबई आ गया. मुंबई में पीवीआर सिनेमा घर में मुझे नौकरी मिली. मैंने नाइट शिफ्ट में नौकरी शुरू की, जिससे दिन में फिल्मों के लिए संघर्ष कर सकूं. दिन में मेरा संघर्ष चलता, मैं लोगों से मिलता व औडीशन देता था. 2-3 औडीशन देने के बाद मुझे अहसास हुआ कि मैं जो कर रहा हूं, वह तो मिमिक्री है. पर अभिनय में सही ढंग से करियर बनाने के लिए मुझे अभिनय सीखना पड़ेगा. तो मैं सबसे पहले अनुपम खेर के एक्टिंग स्कूल ‘एक्टर्स प्रिपेयर्स’ गया. उनकी फीस सुनकर मैं उल्टे पैर लौट आया. फिर दो दिन मुफ्त में रोशन तनेजा के यहां और दो दिन मुफ्त में बैरी जौन के यहां वर्कशाप किया. तो मुझे समझ में आया कि यदि मैं अपने अंदर कुछ चीजों को विकसित कर लूं, तो एक्टिंग की ट्रेनिंग लेने की जरूरत नहीं है.