विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार तनाव में रहने से कई तरह की बीमारियां जैसे डायबिटीज, हाई ब्लडप्रैशर इत्यादि हो सकती हैं जिन के परिणामस्वरूप हार्ट की बीमारी होने तक का खतरा हो सकता है. जानते हैं, तनाव कैसे दिल का मर्ज बढ़ाता है:

कई दिनों बाद जब श्रेया की दोस्त औफिस पहुंची तो उस ने श्रेया को उस के बढ़ते वजन के लिए टोका. यह सुन श्रेया को भी लगा कि वह भी वजन बढ़ना महसूस कर रही है. दरअसल, 48 साल की श्रेया अंतर्राष्ट्रीय कंपनी के मार्केटिंग विभाग में काम करती है जिस में उसे अपने टार्गेट पूरे करने होते हैं. टार्गेट पूरा करने के चक्कर में वह सारा दिन तनाव में रहती है. उस की जिंदगी इतनी ज्यादा व्यस्त है कि कसरत करना तो दूर की बात है, उसे खानेपीने का भी होश नहीं रहता.

हाई ब्लडप्रैशर से पीडि़त श्रेया का न सिर्फ वजन बढ़ रहा है, बल्कि उसे खुद में कई बदलाव भी महसूस हो रहे हैं. जैसे चलने से उस की सांस फूलने लगती है और कभीकभी तो उसे सांस लेने में तकलीफ तक होने लगती है. कई लोगों ने उसे इन लक्षणों का कारण ढलती उम्र बताया तो कोई कहता है कि हाई बीपी के कारण उसे यह समस्या होती है.

अंतत: श्रेया अपनी फैमिली डाक्टर से मिली तो उन्होंने लक्षणों को समझ कर उसे हृदयरोग विशेषज्ञ से मिलने की सलाह दी. यह सुन कर श्रेया को काफी हैरानी हुई, क्योंकि उसे कभी नहीं लगा कि वह हृदयरोग से पीडि़त हो सकती है. लेकिन फैमिली डाक्टर के कहने पर आखिरकार वह कार्डियोलौजिस्ट से मिली. उस की जांच के बाद पता चला कि वह हार्ट फेल्योर की समस्या से ग्रस्त है. डाक्टर ने बताया कि सारा दिन तनाव में रहने अैर अस्वस्थ जीवनशैली के चलते उसे यह समस्या हुई है.

तनाव शरीर में कैमिकल प्रतिक्रिया करता है, जिस से एडरेनालाइल और अन्य हारमोन हृदय की और सांस लेने की गति को बढ़ा देते हैं जिस से ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है और इस प्रतिक्रिया को पूरा करने के लिए दिल को ज्यादा तेजी से पंप करना पड़ता है ताकि ज्यादा मात्रा में औक्सीजन शरीर को दी जा सके. अगर यह प्रतिक्रिया रोजाना लगातार होती है तो हृदय के लिए लगातार इतनी तेजी से पंप करना मुश्किल हो जाता है और औक्सीजन उचित तरीके से शरीर में नहीं पहुंच पाती.

श्रेया जैसे न जाने कितने लोग हैं जो सारा दिन तनाव में बिताते हैं. सेहतमंद खाना नहीं खाते और कसरत नहीं करते. नतीजतन उन्हें हार्ट फेल्योर जैसी बीमारियां होने का खतरा होने की संभावना हो सकती है.

हार्ट फेल्योर से जुड़े लक्षणों को पहचान कर तुरंत डाक्टर से उपचार शुरू कराएं, क्योंकि समय रहते दवा व अन्य थेरैपी की मदद से इसे मैनेज किया जा सकता है.

हार्ट फेल्योर की पहचानना करना ज्यादा मुश्किल नहीं है. इस की पहचान मैडिकल हिस्ट्री की जांच कर के, लक्षणों की पहचान, शारीरिक जांच, रिस्क फैक्टर जैसे उच्च रक्तचाप, कोरोनरी आर्टिरी बीमारी या डायबिटीज आदि होने और लैबोरटरी टैस्ट से की जा सकती है. इकोकार्डियोग्राम छाती का एक्स रे कार्डिएक स्ट्रैस टैस्ट, हार्ट कैथेरेटराइजेशन और एमआरआई से इस समस्या की सही पहचान की जा सकती है.

इस के अलावा हार्ट फेल्योर से बचने के लिए इस के रिस्क कारणों को मैनेज करना बहुत जरूरी है, जिन में सब से महत्त्वपूर्ण तनाव है, क्योंकि तनाव से ही कई बीमारियां जैसे डायबिटीज, वजन बढ़ना, हाई बीपी आदि होती हैं.

हार्ट फेल्योर को मैनेज करने के तरीके

स्वस्थ खानपान: सब से जरूरी यह है कि अपने खानेपीने का ध्यान दें. सेहतमंद खाना ही काफी नहीं है, बल्कि समय पर खाना भी बहुत जरूरी है.

धूम्रपान व शराब को त्यागें : धूम्रपान और शराब का सेवन तुरंत बंद कर दें. निकोटिन जैसे कैमिकल तनाव के लक्षणों को अधिक बढ़ाते हैं. इसलिए दिल संबंधी बीमारियों को मैनेज करने के लिए इन्हें तुरंत बंद कर दें.

कसरत करें : डाक्टर से परामर्श ले कर सुबहशाम सैर करें.

तनाव कम करने के तरीके

बहुत से लोग अपनी जिंदगी में बहुत सारे सपने बुन लेते हैं, पर जब उन्हें पूरा करना उन के बस में नहीं होता, तो वह तनाव में जीने लगते हैं. कई लोग अपनी जौब में बेहतर करने के लिए सारा दिन तनाव में रहते हैं. इसलिए यह बहुत जरूरी है कि परिवार के साथ समय बिताएं. परिवार के लोगों से अपने दिल की बातें शेयर करें ताकि तनाव कम हो सके.

काम करते रहना ही जिंदगी नहीं है. कुछ समय अपने लिए भी निकालना बहुत जरूरी है ताकि दिमाग को शांति मिले. दिमाग को शांत करने के लिए अपने शौक जैसे रीडिंग, डांस या बागबानी को समय दें.

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