बौलीवुड के परिवार नंबर एक यानी कि पृथ्वीराज कपूर के परिवार का बलदेव राज चोपडा के परिवार के साथ एक संबंध शशि कपूर के साथ जुड़ा था. 1961 में बलदेव राज चोपड़ा ने एक फिल्म धर्मपुत्र का निर्माण किया था.

इस फिल्म में उन्होंने माला सिन्हा के साथ शशि कपूर को पहली बार बतौर हीरो पेश किया था. बतौर हीरो शशि कपूर की यह पहली फिल्म थी.

इस फिल्म का निर्देशन बलदेव राज चोपड़ा के भाई यश चोपड़ा ने किया था, जबकि इस फिल्म के कैमरामैन थे बलदेव राज चोपड़ा के तीसरे नंबर के भाई धर्म चोपड़ा. इस फिल्म को सफलता नहीं मिली थी.

इसके बाद शशि कपूर ने करीबन 10 फिल्में की. सभी फिल्में बाक्स आफिस पर असफल रहीं. जबकि शशि कपूर को लोग उनकी खूबसूरती की वजह से चाहने लगे थे. इसके बाद 1965 में बलदेव राज चोपड़ा ने एक मल्टीस्टारर फिल्म ‘‘वक्त’’ बनायी, जिसमें उन्होंने बलराज साहनी, राज कुमार, सुनील दत्त के साथ फिर से शशि कपूर को अभिनय करने का मौका दिया.

इस फिल्म का भी निर्देशन यश चोपड़ा ने किया था और कैमरामैन धर्म चोपड़ा थे. फिल्म वक्त’ की सफलता के साथ ही शशि कपूर का करियर सरपट दौड़ने लगा. फिर बीस साल तक कोई उन्हें पछाड़ न पाया.

कहने का अर्थ यह कि पृथ्वीराज कपूर के सबसे छोटे बेटे और राज कपूर के सबसे छोटे भाई को फिल्मों में हीरो बनाने का श्रेय बलदेव राज चोपड़ा को गया. उसके बाद कपूर खानदान और चोपड़ा परिवार ने कभी एक साथ काम नही किया, पर पूरे 41 साल बाद 2006 में बलदेव राज चोपड़ा के पोते व रवि चोपड़ा के बेटे अभय चोपड़ा ने एक फिल्म ‘‘आखिरी फैसला’’ का लेखन व निर्देशन किया, जिसमें अभय चोपड़ा ने रणबीर कपूर को हीरो के रूप में पेश किया था.

इस फिल्म में शरत सक्सेना और सुरेन्द्र पाल भी थे. रणबीर कपूर, शशि कपूर के भतीजे ऋषि कपूर के बेटे हैं. यह एक अलग बात है कि कुछ इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में पुरस्कृत होने के बाद भी आखरी फैसलाकहां गयी, किसी को पता नहीं चला. उसके बाद रणबीर कपूर ने संजय लीला भंसाली के साथ फिल्म ‘‘सांवरिया’’की थी, जो कि असफल रही थी. तो क्या भविष्य में एक बार फिर अभय चोपड़ा की किसी फिल्म में रणबीर कपूर नजर आएंगे.

बौलीवुड से जुड़े और शशि कपूर तथा रणबीर कपूर के करियर पर पैनी नजर रखने वालों का दावा है कि रणबीर कपूर का करियर अपने चचेरे दादाजी शशिकपूर की ही राह पर चल रहा है. शशि कपूर की ही तरह रणबीर कपूर को भी चौकलेटी हीरो कहा गया. रणबीर कपूर के करियर में शशि का कपूर की ही तरह पहले असफलता, फिर सफलता, फिर असफलता मिल रही है.

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