बौलीवुड में हर कोई सिनेमा में आए बदलाव की चर्चा कर रहा है. मगर अभिनेता रणबीर कपूर इस बात से पूरी तरह से सहमत नहीं है. वह साफ तौर पर कहते हैं पहचान के संकट के चलते ही सिनेमा  नहीं बदल रहा.

अपनी बात को विस्तार से स्पष्ट करते हुए रणबीर कपूर कहते हैं-‘‘सिनेमा में महज यह बदलाव  आया है कि पहले की तरह अब कलाकार हर साल चार पांच फिल्में और लगभग उसी तरह के किरदारों में नजर नहीं आता है. शाहरुख खान साहब को देखिए, तो वह कुछ अलग काम कर रहे हैं. शाहरुख खान की ‘फैन’, सलमान की ‘सुल्तान’, आमिर खान की ‘दंगल’ आने वाली हैं. यह सब अलग तरह की फिल्में हैं.

हर कलाकार कुछ नया करने की कोशिश  कर रहा है. नई प्रतिभाएं सिनेमा से जुड़ रही हैं. नए लेखक व निर्देशक सिनेमा से जुड़ रहे हैं. अब ‘तलवार’, ‘पीकू’ जैसी फिल्में भी बाक्स आफिस पर अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं, जिनमें स्टार कलाकार नहीं हैं. पर कहानी अच्छी नहीं दिखाओगे, तो सिनेमा का यह अच्छा समय ज्यादा दिन नहीं रहेगा. अब वह सिनेमा बन रहा है, जिसके साथ दर्शक जुड़ा हुआ महसूस कर रहा है. पर अभी भी सिनेमा में काफी बदलाव की जरुरत है.

सिनेमा में सही तौर पर बदलाव न आने की सबसे बड़ी समस्या यह है कि हम खुद बदल रहे हैं. हमें खुद पता नहीं है कि हम कौन हैं. हमारे जीवन मूल्य क्या है? अब हम सब की जिंदगी पर पश्चिमी सभ्यता व संस्कृति के साथ साथ पोलीटिकल प्रभाव भी है. हम कोई और बनने की कोषिष कर रहे हैं, जो हम नही है.

तो पहली समस्या हमें खुद को पहचानने की है.अगर हम अपने आपको जाने या पहचानेंगे नहीं तो हम अपनी भारतीय सभ्यता व संस्कृति से दूर होकर पश्चिमी सभ्यता व संस्कृति में रंग जाएंगे. जब हम खुद को पहचानेंगे तो हिंदुस्तान की जड़ में तमाम कहानियां हैं, जिन्हे कहा जाना चाहिए.’’

रणबीर कपूर आगे कहते हैं-‘‘सच कहॅूं तो पहचान का संकट हर इंसान के साथ है. हम जो नही है, वह बनने की कोशिश कर रहे हैं. हम सभी रोबोट बनकर अनचाहे ही सिस्टम का ही हिस्सा बनते जा रहे हैं. हम एक स्क्रू ड्रायवर जैसे छोटे मषीनी टुकड़े बनते जा रहे हैं. जरुरत है कि हमें खुद को चुनौती देनी पड़ेगी? हमें खुद को चुनौती देनी ही पड़ेगी कि हम कौन हैं? हमें पूरे आत्मविश्वास व दिल के साथ अपने काम को अंजाम देना होगा.’’

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