जौब छूट जाने का शादी और कौन्फिडैंस दोनों पर बुरा असर पड़ता है. मगर जौब खोना शादी का अंत नहीं है, बल्कि रिश्ते की मजबूत शुरुआत है. संकट के समय साथी से सलाह करें और हालात को संभालने की कोशिश करें. यही वह वक्त होता है जब आप अपने साथी के और करीब आ सकते हैं और अपने रिश्ते को पहले से भी ज्यादा गहरा कर संकट से बाहर आ कर न सिर्फ अपनी शादी बचा सकते हैं, बल्कि बेहतर नौकरी भी अपने लिए तलाश सकते हैं.
बेकारी में किस तरह बेकार होती है शादी
- बच्चों के स्कूल की फीस की चिंता.
- घर खर्च चलाने में मुश्किल.
- पतिपत्नी में पैसों को ले कर रोज चिकचिक होना.
- रिश्तेदारों के तानों से परेशानी.
- भविष्य अंधकारमय नजर आना.
- मन में नकारात्मक विचारों का आना.
- पत्नी कमा रही है तो खुद को परिवार पर बोझ समझना.
- हर वक्त अपनी बेकारी का जिक्र करना.
- कौन्फिडैंस का इस कदर टूट जाना कि आगे कभी नौकरी कर पाने का विश्वास खत्म हो जाना.
- डिप्रैशन में चले जाना.
- घर में खुशी की जगह निराशा छा जाना.
- एक साथी का शादी तोड़ने का फैसला ले लेना.
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साथी की नौकरी जाने पर क्या करें.....
- शादी को संभालने की जिम्मेदारी दोनों की
अगर पति की नौकरी चली गई है, तो उन्हें ऐसी नजरों से न देखें जैसेकि उन से कोई अपराध हो गया हो. अगर आप ऐसा करेंगी तो इस का असर आप की शादी पर पड़ना लाजिम है. अपनी शादी को बचाने और पहले जैसी स्थिति में चलाने की जिम्मेदारी अकेले पति की नहीं है. आप की भी है. यही वक्त है जब आप उन का साथ दे कर अपने रिश्ते की मजबूती और प्यार को साबित कर सकती हैं.
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