सपा और बसपा की नीली-हरी रंग की बसों की कभी भाजपा ने आलोचना की थी. उस समय भाजपा ने सलाह दी थी कि रंग बदलने की जगह पर बसों के हालात बदले जायें जिससे सफर करने वालों को सहूलियत हो. अब जब भाजपा खुद सत्ता में है, वह अपनी सीख पर अमल करने के बजाये बसों के रंगों को बदल कर भगवा करने में लगी है.

भाजपा ने अपनी इन नई बसों को संकल्प सेवा नाम दिया है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 50 बसों से इसकी शुरुआत की है. उत्तर प्रदेश सरकार ने 4 सालों में 9563 गावों को इस बस सेवा से जोड़ने का संकल्प लिया है. अब तक 4766 गावों को जोड़ने का दावा प्रदेश सरकार कर रही है.

सरकार ने बताया है कि इन बसों में किराया 30 प्रतिशत दूसरी बसों से कम होगा. संकल्प बस सेवा की शुरुआत के समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह भी उपस्थित थे.

उत्तर प्रदेश में बसों का किराया सबसे मंहगा है. सड़कों पर कई तरह की बसें दौड रही हैं. हर सरकार अपने कार्यकाल में एक नई बस सेवा शुरू कर देती है. इसके नाम सरकार के नाम से जुड़े होते हैं. पार्टी के रंग में बसों को रंग दिया जाता है. उत्तर प्रदेश अकेला ऐसा प्रदेश है जहां एक ही सड़क पर चलने के लिये अलग अलग तरह की कई बसें मिलती हैं. इसके बाद भी प्राइवेट डग्गा मार बसें भी लोगों को सफर करा रही हैं.

असल में हर सरकार जनता के पैसे पर अपनी पार्टी का प्रचार करना चाहती है. इसके लिये वह नई बसों को खरीद कर उनमें पार्टी का रंग भर देती है. बसों के नये होने से यात्रियों को थोड़ा आराम का अनुभव होता है. देखा जाए तो बसों के आने या सड़कों के बनने का प्रभाव यातायात में लगने वाले समय पर नहीं पड़ता है.

वोल्वो जैसी एसी बसों में किराया दोगुना होने के बाद भी एक शहर से दूसरे शहर की दूरी तय करने में समय नहीं बचता. नई नई बस सेवाओं के शुरू होने से किराया बढ़ जाता है. सरकार दिखाने के लिये कुछ सेवाओं का किराया कम कर देती है. इसके बाद भी बाकी सेवाओं में पैसा कम नहीं होता है. भाजपा भी दूसरे दलों की तरह ही अब रंग बदलने में यकीन कर रही है. भाजपा सरकार अब हर काम में भगवा रंग को सामने रखने लगी है. संकल्प बस सेवा इसका एक उदाहरण है. बसों के रंग के सहारे योगी सरकार पार्टी के रंग को लोगों तक पहुचाने में लगी है. सरकार हर काम में हिन्दुत्व के रंग को ही आगे कर रही है.

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