पूत के पाव पालने में दिख जातें हैं ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी, लेकिन यह कई बार सच भी हो जाता है. कई बच्चे ऐसे होते हैं जिनकी प्रतिभा उनकी छोटी उम्र में ही दिख जाती है.
निशानेबाजी बच्चों का खेल नहीं होता है. धुआंधार तीरंदाज अक्सर यह बात कहते हैं. लेकिन आंध्र प्रदेश में एक पांच साल की बच्ची ने इस बात को सही साबित किया है. तीर कमान और निशाने लगाना उसके लिए खेल जैसे ही हैं. चेरूकुरी डौली शिवानी (5) विजयवाड़ा में अपने परिवार संग रहतीं हैं. उन्होंने बीते रविवार को निशानेबाजी में दो रिकौर्ड बनाए हैं. इन कारनामों के साथ उन्होंने अपना नाम इंडिया बुक औफ रिकौर्डस और एशियन बुक औफ रिकौर्डस में दर्ज कराया है.
Commend Baby Dolly Shivani Cherukuri for firing 103 arrows at a target 10 feet away in just 11 minutes, setting India, Asia Book of Records. pic.twitter.com/qDmsrVai3S
— VicePresidentOfIndia (@VPSecretariat) September 11, 2017
उन्होंने पहले मौके में 11 मिनट और 19 सेकेंड्स में 10 मीटर की दूरी पर 103 तीर बतौर शौट्स चलाए. वहीं दूसरे रिकौर्ड के लिए उन्होंने 20 मीटर की दूरी पर पांच मिनट आठ सेकेंड्स में 36 तीर दागे. जिससे 360 में उसे 290 प्वौइंट्स हासिल हुए. शिवानी ये कारनामे करने से पहले भी निशानेबाजी में अपना जौहर दिखा चुकी हैं. साल 2015 में उन्होंने सबसे कम उम्र की भारतीय निशानेबाज बनने का रिकौर्ड बनाया था. तब उनकी उम्र महज तीन साल थी और उन्होंने पांच और सात मीटर की दूरी वाले गेम्स में 200 प्वौइंट्स अपने नाम किए थे.
Vijayawada(AP): 5-year-old archer Cherukuri Dolly Shivani creates record by firing 103 arrows from 10 metres in 11 minutes and 19 seconds pic.twitter.com/gIPzjb7ugJ
— ANI (@ANI) September 12, 2017
अब उनका सपना 2024 में होने वाले ओलंपिक्स में भारत का परचम लहराने का है. जिसके लिए वह अभी से कमर कसे हुए हैं. फिलहाल वह विजयवाड़ा की ‘द वोल्गा आर्चरी एकैडमी’ में उसके लिए तैयारियों में जुटी हैं. पिता चेरूकुरी सत्यनारायण ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया कि 2024 के ओलंपिक खेलों तक शिवानी 13 साल की हो जाएगी. हमारा उद्देश्य उसे तब के लिए तैयार करना है. हमें उसके लिए एक बेहतरीन कोच की जरूरत है, जो उसे शानदार तकनीक सिखा सके. उन्हें मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से इस मामले में मदद की उम्मीद है.