मैं और पति हवाई जहाज से बेंगलुरु से नागपुर आने वाले थे. हवाई यात्रा सीधी थी, सुबह 7 बजे चल कर 9 बजे तक नागपुर पहुंचाती. पर इस के लिए हमें सुबह 4 बजे उठ कर घर से निकलना पड़ता इसलिए हम ने दूसरी हवाई यात्रा करनी चाही जो दोपहर 1 बजे की थी. वह सीधी न हो कर वाया मुंबई थी. निश्चित दिन और समय पर हम 12 बजे एअरपोर्ट पर पहुंच गए. 3 बजे विमान मुंबई पहुंचा. मुंबई के सभी पैसेंजर उतर गए. हम नागपुर के 20-25 पैसेंजर विमान में बैठे रहे. लगभग 1 घंटा हम बैठे रहे. नागपुर के लिए एक भी नया पैसेंजर विमान में नहीं चढ़ा. हम सब को उतर जाने को कहा गया कि आप सब को दूसरे विमान द्वारा नागपुर भेजा जाएगा. काफी बहस होने के बाद आखिर हमें उतरना पड़ा. बस के द्वारा एअरपोर्ट के अंदर ले जाया गया. फिर से सिक्योरिटी चैकिंग करानी पड़ी. 1 घंटे तक विमान के आने का इंतजार करना पड़ा. मुंबई एअरपोर्ट पर बैठने की जगह तो क्या, खड़े रहने की जगह भी नहीं थी. आखिर 2 घंटे के बाद हमें विमान में चढ़ने को कहा गया. फिर विमान को उड़ने के लिए आधा घंटा लाइन में खड़ा रहना पड़ा. आखिरकार, हमारा विमान उड़ा और हम नागपुर पहुंच गए. घर तक पहुंचतेपहुंचते थक कर चूर हो गए थे. विमान में बैठ कर आए हैं, ऐसा किसी को भी नहीं लग रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे बिना रिजर्वेशन के किसी पैसेंजर ट्रेन से आए हैं. यह सफर सुहाना न हो कर काफी तकलीफदेय था.
ईशू मूलचंदानी, नागपुर (महा.)
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मेरी भतीजी शिल्पा इंदौर से जबलपुर अकेली आ रही थी. घर से समय पर निकलने के बावजूद रास्ते में जाम लगे होने के कारण जब वह स्टेशन पहुंची तो ट्रेन जाने का समय हो चुका था. अकेले जल्दीजल्दी पुल पार कर प्लेटफौर्म पर पहुंची तो यह देख कर घबरा गई कि उस प्लेटफौर्म पर खड़ी टे्रन दूसरी है. अब फिर से पुल पर चढ़ कर अगले प्लेटफौर्म पर जाना था जहां जबलपुर जाने हेतु ट्रेन तैयार खड़ी थी. उसी समय एक युवक, जो किसी परिचित को ट्रेन में बैठा कर वापस जा रहा था, शिल्पा को घबराया हुआ देख कर रुक गया और बोला, ‘‘क्या मैं आप की मदद कर सकता हूं.’’ तब शिल्पा ने बताया कि उसे दूसरे प्लेटफौर्म पर खड़ी ट्रेन से जाना है. उस युवक ने कहा, ‘‘घबराओ मत, मैं आप का सामान ले कर चलता हूं.’’ और उस अनजान युवक ने शिल्पा को जबलपुर वाली ट्रेन में उस के आरक्षित डब्बे में पहुंचा दिया. तभी ट्रेन चल पड़ी और शिल्पा उस युवक को धन्यवाद तक न दे सकी.
नीलिमा राणा, जबलपुर (म.प्र.)