हमारी एक परिचिता के पति थोड़े तुनकमिजाज और झगड़ालू किस्म के हैं. दांतों के जल्दी गिर जाने के कारण नकली बत्तीसी लगाते हैं. एक बार किसी बात पर पतिपत्नी के बीच झगड़ा हो गया. आदत के अनुसार पति तैश में आ कर जल्दीजल्दी और जोरजोर से बोलने लगे. जवाब तपाक से और आवेश में देने की क्रिया में, पता नहीं कैसे, उन की नकली बत्तीसी मुंह से बाहर आ कर गिर पड़ी. यह देख कर तनाव के उन क्षणों में भी पत्नी की हंसी छूट गई और परिवार के अन्य सदस्य भी हंसने लगे. बेचारे पति महाशय झेंप कर रह गए.

आनंद कुमार पारोचे, इटारसी (म.प्र.)

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हमारी नईनई शादी हुई थी. एक दिन हम पिक्चर देख कर हौल से बाहर निकले तो इन्होंने पार्किंग से अपनी मोटरसाइकिल निकाली और स्टार्ट कर के मुझ से बैठने को कहा. मैं अपनी भारीभरकम साड़ी को संभाल कर बैठने की कोशिश कर ही रही थी कि इन्होंने मोटरसाइकिल चला दी और गेट के बाहर निकल गए. मैं इन का नाम तो पुकारती नहीं थी, इसलिए ‘सुनोसुनो’ कहतीकहती पीछे दौड़ी. मगर वहां इतना शोर था कि इन तक मेरी आवाज नहीं पहुंची. उस समय मोबाइल नहीं हुआ करते थे कि मैं इन को फोन कर देती. मैं ने साड़ी संभाली और इन के पीछे दौड़ लगानी शुरू कर दी. सड़क तो वहां सीधी थी मगर शो छूटने के कारण भीड़ बहुत थी. ये पूरी रफ्तार से मोटरसाइकिल नहीं चला पा रहे थे. इन्हें ऐसा लग रहा था कि मैं इन के पीछे बैठ चुकी हूं और इसलिए ये थोड़ा पीछ़े मुड़मुड़ कर जोरजोर से बातें भी कर रहे थे. लोग इन को देख कर हंस रहे थे कि ये हवा में किस के साथ बात कर रहे हैं. मैं पीछेपीछे गिरतीपड़ती दौड़ लगाने की असफल कोशिश कर रही थी और यह नजारा भी देखती जा रही थी. जल्दी ही ये मेरी आंखों से ओझल हो गए.

किसी तरह रिकशा कर के मैं पूछतीपूछती घर पहुंची तो घर में हंगामा हो रहा था. इन की तो सिट्टीपिट्टी गुम थी कि मैं रास्ते में कहां गिर गई. मुझे ढूंढ़ने के लिए सभी घर से निकलने को तैयार खड़े थे. मैं ने जब सब को सारा किस्सा सुनाया तो सभी हंसतेहंसते लोटपोट हो गए. आज शादी के लगभग 17 साल बाद भी जब भी मैं इन के साथ मोटरसाइकिल पर जाती हूं तो ये यह निश्चित कर लेते हैं कि मैं बैठ गई हूं.

भावना विधानी, आगरा (उ.प्र.)

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