विदर्भ क्षेत्र के अमरावती जिले के आदिवासी क्षेत्र मेलघाट में चिखलदरा अच्छी आबोहवा वाला पर्यटन स्थल है. हम लोग उस स्थल पर घूमने के लिए गए हुए थे. हमें पता चला कि पास ही के गाड़ीझड़प गांव में रोंगटे खड़े कर देने वाला एक अघोरी का मामला सामने आया है. वहां एक नाबालिग कुंआरी लड़की से जन्मे 20 दिन के बच्चे का पेट फूलने तथा श्वास लेने में तकलीफ होने के चलते उसे अस्पताल के बजाय भूमका (तांत्रिक) के हवाले कर दिया गया. भूमका ने उपचार के नाम पर नवजात को 100 से अधिक बार गरम दरांती से चटके दिए. उस के शरीर को दागा. गरम दरांती से दागने से नवजात का पूरा नाजुक शरीर झुलस गया. देखने के बाद हम लोगों ने मामले की जानकारी चिखलदरा के तहसीलदार को दी और बच्चे को वहां के पिछड़े इलाके के लिए बनाए गए चुरणी ग्रामीण अस्पताल ले जाया गया. इतने बडे़ अस्पताल में कोई भी डाक्टर मौजूद न होने के कारण बच्चे को आखिरकार नागपुर ले जाया गया. हमें बताया गया कि यहां बच्चे से ले कर बुजुर्ग तक सभी को शरीर में कहीं भी दर्द होने के स्थान पर ‘डंबा’ के नाम से गरम दरांती से दागने का यही उपचार प्रचलित है.
गंगा प्रसाद मिश्र, नागपुर (महा.)
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मेरे पड़ोस में बुजुर्ग पतिपत्नी रहते हैं. वे एक दिन मुझ से बोले, ‘मैं सेजिया दान करा रहा हूं, पंडित से मेरी बात हो गई है.’ उन के घर में सेजिया दान की तैयारी होने लगी. नया बैड व उस पर का सारा सामान रजाई, गद्दा खरीद कर लाया गया. सेजिया दान के दिन उन का बेटा व बहू भी मुंबई से आ गए.
कार्यक्रम शुरू हुआ. पंडितजी पूजापाठ करा रहे थे. पूजा के बाद उन्होंने लकडि़यों को करीने से लगाना शुरू किया. लकडि़यां लगाने के बाद उन्होंने अपने झोले में से एक पुतला निकाला व उसे लकडि़यों पर लिटाने लगे. इतने में उन का बेटा बिगड़ गया. कहने लगा, ‘अरे, आप यह क्या कर रहे हैं? दान लेने के लिए आप जीतेजी मेरे पिताजी का पुतला जला रहे हैं.’ पंडितजी को बहुत डांटा और तुरंत पूजा बंद कराई. पिताजी को भी डांटा कि आप वैसे ही पंडितजी को बुला कर दान कर देते, ये सब ढोंग करने की क्या आवश्यकता थी. उन के बेटे की बात मुझे बहुत अच्छी लगी. मैं ने भी उस का पूरा सहयोग किया. पंडितजी चुपचाप सामान ले कर चले गए.
उपमा मिश्रा, लखनऊ (उ.प्र.)