मेरी बहू को एक स्कूल में टीचर के पद पर जौइन करने के लिए निमंत्रण मिला. खुशी का माहौल था. बहू जाने से पहले हमारी शुभकामनाएं लेने के लिए पैर छू रही थी, तभी अचानक मेरी पोती श्रेया दौड़ती हुई आई और अपनी मम्मी के दोनों हाथ पकड़ कर बोली, ‘‘मम्मी, अच्छे से मन लगा कर काम करना और दुनिया में मेरा नाम रोशन करना,’’ इतना कह कर दूसरे ही पल वह वापस खेलने के लिए भाग गई. हम लोगों द्वारा अकसर कही जाने वाली बातों में से इस खूबसूरत पंक्ति का इतना सही समय व सटीक प्रयोग सुन कर हम सभी मुसकरा पड़े.

मधुरिमा सिंगी, भोपाल (म.प्र.)

*

कुछ समय पूर्व की बात है. मेरी बड़ी बहन के यहां बिल्लियों ने बहुत ऊधम मचा रखा था. वे रोज आ कर दूधदही चट कर जाती थीं. एक दिन वे चाय बनाने के लिए किचन में गईं तो देखा, दूध गायब था. इस पर वे चिल्ला उठीं और कहने लगीं, ‘न जाने ये बिल्लियां दूधदही पर ही क्यों गिरती हैं.’ उन के पास ही उन का पोता खेल रहा था. वह बोला, ‘दादी, बिल्लियों में कैल्शियम की कमी होती है. इसीलिए वे दूधदही पीती हैं.’ बच्चे के मुंह से यह बात सुन कर हम सभी हंसने लगे.

कृष्णा मिश्रा, लखनऊ (उ.प्र.)

*

मेरा 6 साल का पोता टीवी पर बड़े गौर से पुराना गाना सुन रहा था. एकदम बोला, ‘‘दादी, गाय पेड़ पर चढ़ जाती है.’’ दादी बोलीं, ‘‘गाय पेड़ पर? नहीं तो, गाय कैसे चढ़ जाएगी. पर आप ऐसा क्यों पूछ रहे हो?’’ वह फिर बोला, ‘‘दादी, देखो न, टीवी में लड़की गा रही है-अमवा की डाली पे, गाय मतवाली कोयलिया काली.’’ मैं हंसतेहंसते बहुत मुश्किल से समझा पाई कि यहां गाय का मतलब गाने से है.

शशि गोयल, आगरा (उ.प्र.)

*

मेरा छोटा बेटा संगम आंगन में रखी बालटी का पानी गंदा कर रहा था. उस के कपड़े गीले हो गए थे. मेरी पत्नी ममता, जो रसोई में खाना बना रही थी, ने जब देखा तो गुस्से में बोली, ‘‘रुकरुक, मैं अभी आती हूं, तुझे बताती हूं, घबरा मत.’’ कुछ क्षण बाद, मम्मी को अपनी तरफ न आता देख कर, संगम बोला, ‘‘मम्मी, जल्दी आओ, मैं घबरा रहा हूं.’’ उस की यह बात सुन कर हम सभी जी भर के हंसे.

कुलदीप कुमार, सरोजिनी नगर (न.दि.)

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...