कालेधन की वापसी पर राजनीतिक रंग चढ़ रहा है. कालाधन सत्ता की मलाई चाटने का अच्छा जरिया बन गया है, इसलिए यह राजनीति के केंद्र में आ गया है. विदेशों में कालाधन जमा करने वाले दुनिया के 4 प्रमुख देशों में भारत शामिल है. यह ठीक है कि चीन और रूस के बाद तीसरे स्थान पर खड़ा भारत इस बीच मैक्सिको के बीच में आने के कारण चौथे स्थान पर पहुंच गया है लेकिन यह आंकड़ा चौंकाने वाला है कि 2012 में विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों से जितना कालाधन विदेशों में जमा हुआ, उस का 10 फीसदी धन भारत का था. यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा है.
कालेधन की वापसी पर राजनीतिक रंग चढ़ रहा है. कालाधन सत्ता की मलाई चाटने का अच्छा जरिया बन गया है, इसलिए यह राजनीति के केंद्र में आ गया है. विदेशों में कालाधन जमा करने वाले दुनिया के 4 प्रमुख देशों में भारत शामिल है. यह ठीक है कि चीन और रूस के बाद तीसरे स्थान पर खड़ा भारत इस बीच मैक्सिको के बीच में आने के कारण चौथे स्थान पर पहुंच गया है लेकिन यह आंकड़ा चौंकाने वाला है कि 2012 में विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों से जितना कालाधन विदेशों में जमा हुआ, उस का 10 फीसदी धन भारत का था. यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा है. – See more at: http://www.sarita.in/finance/financial-news-1#sthash.OIZXAKL8.dpuf
कालेधन की वापसी पर राजनीतिक रंग चढ़ रहा है. कालाधन सत्ता की मलाई चाटने का अच्छा जरिया बन गया है, इसलिए यह राजनीति के केंद्र में आ गया है. विदेशों में कालाधन जमा करने वाले दुनिया के 4 प्रमुख देशों में भारत शामिल है. यह ठीक है कि चीन और रूस के बाद तीसरे स्थान पर खड़ा भारत इस बीच मैक्सिको के बीच में आने के कारण चौथे स्थान पर पहुंच गया है लेकिन यह आंकड़ा चौंकाने वाला है कि 2012 में विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों से जितना कालाधन विदेशों में जमा हुआ, उस का 10 फीसदी धन भारत का था. यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा है.
वाशिंगटन स्थित ग्लोबल फाइनैंशियल इंटिग्रिटी ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि 2003 से 2012 के बीच हर साल 94.76 अरब डौलर अवैध रूप से विदेश भेजे गए. इस तरह से एक अनुमान के अनुसार विदेशी बैंकों में भारत के 28 लाख करोड़ रुपए हैं. उच्चतम न्यायालय के आदेश पर सरकार ने कालाधन का पता लगाने के लिए विशेष जांच दल यानी एसआईटी का गठन किया है. एसआईटी अपने काम में आगे बढ़ रहा है और उस ने अब तक 4,479 करोड़ रुपए का पता लगाया है. उस ने कहा है कि यह पैसा जिनेवा में एचएसबीसी बैंक की शाखा में जमा है.
अब सरकार के समक्ष इस पैसे को वापस लाने की चुनौती है, जो बहुत कठिन है. बहरहाल यह बात चिंतनीय है क्योंकि हमारे करोड़ों लोगों के पास रहने के लिए छत नहीं है, लाखों लोग खाली पेट फुटपाथ पर सो रहे हैं. करोड़ों बच्चे गरीबी की वजह से स्कूल नहीं जा पाते हैं और लाखों लोग गरीबी से तंग आ कर आत्महत्या करते हैं. ऐसी स्थिति में यदि विदेश में कालाधन जमा करने वाले देशों में हमारे देश के लोग लिप्त हैं तो यह दुखद, अन्यायपूर्ण और अमानवीय स्थिति है.