सोने के बाद अब बारी है प्लैटिनम की. अभी कुछ समय पहले ही सोने को पीछे छोड़ प्लैटिनम आगे निकल गया है. सोने की तुलना में यह कहीं अधिक दुर्लभ धातु है. सर्राफा बाजार के जानकारों का मानना है कि इस की कीमत में लगातार उतारचढ़ाव के बावजूद भारत में सोने की तरह प्लैटिनम की मांग पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है, इस की मांग दिनोदिन बढ़ती ही जा रही है. वैसे, इस बार दीवाली में हीरे के बजाय प्लैटिनम की बिक्री अधिक रही. खासकर 15 से 30 वर्ष के युवाओं के बीच प्लैटिनम ने अपनी जगह बना ली है. युवाओं के बीच प्लैटिनम रिंग, लव बैंड व कपल बैंड की मांग अधिक रही.

लगभग एक दशक पहले तक प्लैटिनम की मांग पश्चिम भारत में थी लेकिन हाल के वर्षों में पूरे भारत में इस की मांग में इजाफा हुआ है. हालांकि, दीवाली से पहले विश्व बाजार में प्लैटिनम की कीमत में 1.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई और यह 1,285 डौलर प्रति औंस हो गया. जबकि इस की कीमत का सर्वोच्च स्तर पर 2,500 डौलर प्रति औंस भी रहा. भारत में यह साढ़े 28 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम से ले कर 30,600 रुपए प्रति 10 ग्राम तक गया. मौजूदा कीमत 32 हजार प्रति 10 ग्राम है जबकि पिछले वर्ष नवंबर में इस की कीमत 28 हजार रुपए से 29,080 के बीच थी.

भारत में खपत

भारत में प्लैटिनम की खपत लगातार बढ़ रही है. औटोमोटिव, जेवर और फार्मा क्षेत्र में इस का उपयोग बढ़ने से खपत बढ़ रही है. मौजूदा समय में भारत में इस का बाजार लगभग 12 टन से अधिक है. 2003 में इस की खपत देश में महज 6 टन थी. 2006-07 तक इस की खपत बढ़ते हुए 9 टन हो गई. 2008-09 तक यह 10 टन और 2010 तक इस ने 12 टन के आंकड़े को छू लिया. अब इस की खपत 20 टन तक पहुंच गई है. कोलकाता  के नामी ज्वैलर्स इंडियन जेम ऐंड ज्वैलर्स के सीईओ प्रयास दुग्गड़ का कहना है कि पहले प्लैटिनम केवल रईसों के लिए हुआ करता था लेकिन आज बहुत सारी ऐसी कंपनियां बाजार में हैं जो हलके प्लैटिनम की ज्वैलरी ले कर बाजार में उतरी हैं. इसी कारण इस की मांग बढ़ रही है.

सोने की तुलना में प्लैटिनम का घनत्व अधिक होता है इसीलिए इस का अगर कोई जेवर बनाना हो तो सोने की तुलना में प्लैटिनम अधिक लगता है. इसलिए सोने के जेवर की अपेक्षा इस की कीमत अधिक हो जाती है. हीरे में जिस तरह से सोने का इस्तेमाल होता है, उस की शुद्धता 18 कैरेट होती है यानी इस में 75 फीसदी सोना होता है. लेकिन प्लैटिनम तैयार होता है 14 कैरेट सोने से.

बहरहाल, सोने की तरह प्लैटिनम पर भी नक्काशी संभव है. सोने की तुलना में वजन अधिक होने के बावजूद 14 कैरेट सोने की तुलना में प्लैटिनम कुछ नरम धातु है. इसी कारण इस में खरोंच या गलने की भी आशंका होती है. वहीं लगातार इस्तेमाल से सोने के जेवर घिस जाते हैं और उन का वजन कम हो जाता है. जबकि प्लैटिनम के जेवर के साथ ऐसा नहीं होता. प्लैटिनम का रंग सफेद होता है इसलिए इसे सफेद सोना भी कहा जाता है. यहां जानना जरूरी है कि बहुत कुछ एक जैसा होने के बावजूद सफेद सोना यानी व्हाइट गोल्ड प्लैटिनम नहीं होता. यह कम ही लोग जानते हैं कि 14 कैरेट सोना यानी 58.5 प्रतिशत की शुद्धता वाले सोने में खाद मिला कर और उस के ऊपर रोडियम की प्लेटिंग कर के व्हाइट गोल्ड तैयार किया जाता है. इसी कारण बहुत ज्यादा इस्तेमाल होने पर इस की सफेदी पीले रंग में बदल जाने की आशंका रहती है. ऐसा प्लैटिनम के साथ नहीं होता. इसलिए प्लैटिनम के जेवर जब कभी खरीदें तो इस की विशुद्धता का सर्टिफिकेट जरूर लें.

चीन के पीछे भारत

भारत के अलावा चीन भी एक ऐसा देश है जहां जेवरों के लिए महंगी धातु की पूछ है. सोने की खरीदारी में ये दोनों देश पहले ही दुनिया में अव्वल रहे हैं, अब प्लैटिनम के जेवरों की खरीदारी में भी भारत और चीन ने रिकौर्ड बनाया है. हाल ही में कीमती धातु के कारोबार के लिए विश्वभर में पहचानी जाने वाली कंपनी जौनसन मैथे की ओर से कराए गए सर्वे के नतीजे से पता चला है कि पूरी दुनिया में प्लैटिनम के जेवरों की बिक्री मुख्य तौर पर चीन पर निर्भर है. उस के बाद भारत का स्थान आता है.

2006 तक सोने की खपत जहां 800 टन हुआ करती थी, वहीं प्लैटिनम की बिक्री महज 2-3 टन थी. जानकार बताते हैं कि आने वाले समय में इस की मांग में 30-40 फीसदी का उछाल देखने को मिलेगा. गौरतलब है कि प्लैटिनम का इस्तेमाल न केवल जेवरों में होता है, बल्कि आटोमोबाइल (59 फीसदी) के साथ कुछ औद्योगिक (20 फीसदी) क्षेत्र में भी इस का उपयोग होता है. इस के कई गुण हैं. यह जंगरोधी होने के साथसाथ घर्षणरोधी भी है.

कीमत में उछाल की वजह

प्लैटिनम की कीमत में उछाल का जहां तक सवाल है, अर्थशास्त्र के नियम के तहत मांग के अनुरूप कीमत बढ़ती है. लेकिन कीमत में बढ़ोत्तरी की एक और वजह है. प्रयास दुग्गड़ कहते हैं कि हाल ही में प्लैटिनम की दुनिया की सब से बड़ी कंपनी एंग्लो अमेरिकन प्लैटिनम के सर्वे में पाया गया है कि दक्षिण अफ्रीका में मजूदरों की हड़ताल को प्लैटिनम की कीमत में उछाल का एक कारण माना जा रहा है. दरअसल, फरवरी 2008 के दौरान एक तरफ दक्षिण अफ्रीका खदान में बिजली की कमी तो दूसरी तरफ विश्व की तीसरी बड़ी प्लैटिनम उत्पादक कंपनी लौनमिन द्वारा नियंत्रित खदानों में शृंखलाबद्ध विस्फोट के कारण प्लैटिनम का उत्पादन प्रभावित हुआ. तब इस के भाव में जबरदस्त उछाल आया था. इस दौरान इस का भाव 2,500 डौलर प्रति औंस तक पहुंचा. इसी साल प्लैटिनम की कीमत 1,470.25 डौलर रही. वहीं अगर भारत में सोने और प्लैटिनम की कीमत की तुलना की जाए तो सोने की कीमत प्रति 10 ग्राम अगर 2,600 रुपए है तो प्लैटिनम की कीमत 3 हजार रुपए से भी ऊपर है. वैसे, 2012 के शुरुआत में प्लैटिनम की कीमत सोने से कम ही थी जबकि प्लैटिनम सोने से कहीं महंगी धातु मानी जाती है. लेकिन इस की कीमत में कमी का कारण वैश्विक मंदी है. मंदी के दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति साफ नहीं होने के कारण सोने में निवेश की धूम मच गई थी.

दरअसल, प्लैटिनम की कीमत में उछाल आने के कई कारण हैं. एक, विश्व की 75 फीसदी प्लैटिनम खदान दक्षिण अफ्रीका में हैं और इन खदानों में काम की सुविधा व सुरक्षा साधनों की कमी के कारण मजदूर हड़ताल पर चले गए. इस के बाद कंपनी ने लगभग 1,400 मजदूरों की छंटनी कर दी. इस को ले कर भी बहुत बवाल मचा. दो, खदान से प्लैटिनम निकाले जाने की लागत में भी बहुत अधिक (लगभग 15 फीसदी) इजाफा हो चुका है.

ऐसी स्थिति में यहां की छोटीबड़ी सभी कंपनियां उत्पादन से अपना हाथ खींच रही हैं. तीन, जिंबाब्वे में प्लैटिनम का उत्पादन करने वाली एक और कंपनी इंफाला प्लैटिनम की खदान भी संकट में है. आशंका जाहिर की जा रही है कि जिंबाब्वे सरकार इस कंपनी की खदान के जबरन 51 फीसदी शेयर लेने जा रही है. यही कुछ कारण हैं कि प्लैटिनम का बाजार सुलग रहा है.

प्लैटिनम का बढ़ता क्रेज

कुल मिला कर सोने, चांदी और हीरे की ज्वैलरी के बीच प्लैटिनम ज्वैलरी ने भी अपने लिए जगह बना ली है. इन दिनों जेवर पहनने के शौकीन महिला और पुरुष, पीली धातु के बाद अब सफेद धातु यानी प्लैटिनम का भी रुख कर रहे हैं. वहीं टीनएज के बीच भी प्लैटिनम का क्रेज है. वैसे तो सफेद धातु में तो चांदी भी आती है लेकिन महिलाओं का झुकाव चांदी के बजाय प्लैटिनम पर अधिक है. प्लैटिनम आज ज्वैलरी का एक नया बाजार बन गया है. यही कारण है कि इस व्हाइट गोल्ड के जेवर का कारोबार करने वाली बहुत सारी कंपनियां बाजार में धाक जमा रही हैं. कोलकाता के एक प्रतिष्ठित ज्वैलर्स का मानना है कि प्लैटिनम की कीमत में कुल मिला कर उपभोक्ता खासतौर पर शहरी उपभोक्ता 15-20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी को बरदाश्त कर सकते हैं. सोना और प्लैटिनम की मांग में पहले 19 फीसदी का अंतर है. सब से ज्यादा मांग अंगूठी और कपल बैंड की रही है.

वर्ष 2013 से प्लैटिनम ज्वैलरी के चैन स्टोर्स, औनलाइन शौपिंग समेत परंपरागत ज्वैलरी स्टोर्स में इस की बिक्री में लगभग 40 फीसदी की वृद्धि हुई है. उम्मीद है कि यह वृद्धि जारी रहेगी.                

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