बौलीवुड में अब एक के बाद एक बिग बजट की फिल्में बनने लगी हैं. हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘बैंगबैंग’ का बजट भी सवा सौ करोड़ का था. अब शाहरुख खान की रिलीज हुई नई फिल्म हैप्पी न्यू इयर का बजट भी 150 करोड़ का माना जा रहा है. इस से पहले सलमान खान की कई फिल्मों का बजट भी 100 करोड़ से अधिक था. ‘हैप्पी न्यू ईयर’ का बजट भले ही 150 करोड़ का हो परंतु फिल्म की कहानी सवा रुपए वाली है. इस सस्ती सा कहानी पर शाहरुख खान ने 150 करोड़ रुपए लगा कर फिल्म को भव्य बनाया है. कोई और फिल्म निर्माता अगर इस फिल्म को बनाता तो फिल्म की कहानी की धज्जियां उड़ जातीं.
‘हैप्पी न्यू ईयर’ को दीवाली के मौके पर रिलीज किया गया है. पिछले कई महीनों से शाहरुख खान इस फिल्म का प्रमोशन कर रहा था. टीवी पर फिल्म के प्रोमोज बारबार दिखाए जा रहे थे जिन में एक ही डायलौग दोहराया जा रहा था, ‘इस दुनिया में 2 तरह के लोग होते हैं – विनर्स और लूजर्स’. जाहिर है शाहरुख खान खुद को विनर साबित करना चाह रहा था. शाहरुख खान ने इस से पहले रोहित शेट्टी के निर्देशन में ‘चेन्नई ऐक्सप्रैस’ फिल्म बनाई, जो खूब चली. ‘चेन्नई ऐक्सप्रैस’ फुल एंटरटेनमैंट फिल्म थी. ‘हैप्पी न्यू ईयर’ में भी एंटरटेनमैंट का मसाला है. परंतु ‘चेन्नई एक्सप्रैस’ जैसा नहीं है. ‘हैप्पी न्यू ईयर’ में शाहरुख खान अपनी बांहें फैलाता है तो उस के फैंस खुश हो जाते हैं. लेकिन जब वह फाइटिंग करता है तो लगता है उस का दमखम अब टूटने की कगार पर है. इसी लिए उस ने बारबार अपने 8 पैक ऐब्स दिखाए हैं.
हम तो यही कहेंगे कि ‘बौलीवुड में 2 तरह की फिल्में बनती हैं – अच्छी और खराब.’ तो जनाब, हैप्पी न्यू ईयर न तो बहुत अच्छी है, न खराब. फिल्म की लंबाई बहुत ज्यादा है. फिल्म का फर्स्ट हाफ आप को कुछकुछ इरिटेट करता है, सैकंड हाफ दिलचस्प है. फिल्म का कैनवास काफी बड़ा है. फिल्म चमचमाती और कलरफुल है. आंखों को चुंधियाती है. किरदारों के कौस्ट्यूम्स शानदार हैं. सैकंड हाफ में दुबई में शूट की गई फिल्म की सिनेमेटोग्राफी भव्य है. डांस सीक्वैंस बढि़या हैं. फिल्म में कौमेडी भी है. देशभक्ति भी है. यह अच्छा है कि करोड़ों डौलर के हीरों की चोरी वाली इस फिल्म में गोलीबारी नहीं है.
कहानी है चार्ली (शाहरुख खान) की, जो बोस्टन से पढ़ कर आया है. उसे अपने पिता की मौत का बदला एक डायमंड किंग चरण ग्रोवर (जैकी श्रोफ) से लेना है. इस के लिए उसे चरण ग्रोवर के करोड़ों डौलर के हीरे चुरा कर उसे फंसाना है. वह एक टीम बनाता है. इस टीम में वह टैमी (बोमन ईरानी), नंदू (अभिषेक बच्चन) जग (सोनू सूद), राहन (विवान शाह) और मोहिनी (दीपिका पादुकोण) को शामिल करता है. चरण ग्रोवर ने हीरों को एक जबरदस्त तिजोरी में बंद कर रखा है और वह तिजोरी उस के बेटे विकी ग्रोवर (अभिषेक बच्चन की दूसरी भूमिका) के अंगूठे को टच करने से खुलती है. इन हीरों को चुराने के लिए चार्ली की यह टीम दुबई में होने वाली एक वर्ल्ड डांस कंपीटिशन में हिस्सा लेती है. पूरी टीम योजनाबद्ध तरीके से हीरों को चुराती है और वर्ल्ड डांस चैपियनशिप भी जीतती है. दुबई पुलिस चरण ग्रोवर और उस के बेटे को गिरफ्तार कर जेल भेज देती है.
फिल्म की बदले की यह कहानी मध्यांतर से पहले काफी धीमी गति से चलती है. मध्यांतर के बाद भी फिल्म में सभी किरदारों को चोरी का प्लान बनाते हुए ही दिखाया गया है. सिर्फ क्लाइमैक्स में ही हीरों को चुराने का सीन रोमांचक बन पड़ा है. फिल्म का निर्देशन कुछ हद तक अच्छा है. उस ने अभिषेक बच्चन से अच्छी कौमेडी कराई है. फिल्म की लोकेशंस, गीतसंगीत सब कुछ अच्छा है. शाहरुख खान अपने किरदार में पहले की फिल्मों की अपेक्षा कमजोर रहा है. उस के चेहरे पर उम्र अपना प्रभाव दिखाती है. सोनू सूद ने अपने गुस्सैल स्वभाव से दर्शकों को हंसाया है. उस के कानों से निकलते धुएं को देख कर दर्शक जम कर हंसते हैं. बोमन ईरानी भी ठीकठाक है. विवान को अभी बहुत कुछ सीखना पड़ेगा. एक बंद हो चुके डांस बार में काम करने वाली डांस गर्ल के किरदार में दीपिका पादुकोण ने अपने डांस का जलवा बिखेरा है. दुबई के होटल अटलांटिक और उस के आसपास की लोकेशनें मन मोह लेती हैं.
इस फिल्म को बना कर शाहरुख खान भले ही लूजर नहीं विनर बन जाए, नए साल की शुरुआत में ‘हैप्पी न्यू ईयर’ सेलिबे्रट करे परंतु अगर वह यह सोचे कि उस ने दर्शकों को कोई तोहफा दिया है तो यह उस की भूल होगी.