फूलों और पौधों की खुशबू व हरियाली उन्हें खूब भाती है. रोज के कामकाज से निबट कर वे अपने बगीचे में चली जाती हैं. फूलों और पौधों के बीच समय गुजारना व उन की नियमित रूप से सेवा करना उन की रोज की दिनचर्या में शामिल है. सुबह हो या दोपहर, शाम हो या रात, जब भी मौका मिलता है वे अपने बगीचे में पहुंच जाती हैं. कई खूबसूरत फूलों और सजावटी पौधों की किस्में उन के बगीचे में चार चांद लगा रही हैं, जिन्हें उन्होंने बड़े ही जतन और सलीके से सजायासंवारा है. उन के बगीचे में 300 से ज्यादा कलात्मक गमले हैं और सैकड़ों पौधों को जमीन में क्यारी बना कर लगाया गया है.
झारखंड की राजधानी रांची के मुख्य इलाके रातू रोड के देवी मंडप रोड स्थित स्टेट बैंक औफिसर्स कालोनी के अपने मकान में रहते हैं झारखंड के स्टेट टीबी औफिसर डा. राकेश दयाल व उन की पत्नी पूनम दयाल. पूनम ने अपने घर के पीछे खाली पड़ी जगह को बगीचे का रूप दे रखा है. वे कहती हैं कि 16 साल पहले जब वे अपने घर में आईं तो पति, बच्चों और परिवार की देखरेख में ही समय गुजारना होता था. पति के दफ्तर और बच्चों के स्कूल जाने के बाद वे काफी समय सो कर गुजार देती थीं. घर के पिछले हिस्से में खाली पड़ी जमीन में काफी जंगलझाड़ हो गए थे. कई बार मजदूरों से उसे साफ करवाते थे पर कुछ दिनों बाद फिर से जंगली पेड़पौधे उग आते थे. एक दिन खयाल आया कि क्यों न बेकार पड़ी जमीन में फूलपौधे लगाए जाएं. बचपन से बागबानी का शौक था. उसी शौक को जमीन पर उतारने के लिए जमीन मिल गई. बगीचे की देखरेख कर अब मैं खाली समय का बेहतर इस्तेमाल कर रही हूं.
पूनम बताती हैं कि उन का खिलता और महकता बगीचा पिछले 14-15 सालों की मेहनत का नतीजा है. फूलों की कई किस्में उन के बगीचे को गुलजार कर रही हैं. हर प्राकृतिक प्रेमी की तरह उन्हें भी फूलों का राजा गुलाब काफी पसंद है. उन्होंने अपने बगीचे में कोरल गुलाब, क्रिमसन गुलाब, औरेंज गुलाब, खुबानी गुलाब, कौपर गुलाब, सफेद गुलाब, पीला गुलाब समेत टू टोन गुलाब लगा रखे हैं. इस के अलावा डहेलिया, चमेली, रात की रानी, रजनीगंधा, मुसंडा आदि फूलों की कई किस्में आसपास के माहौल में महक बिखेरती रहती हैं.
मेहनत और लगन चाहिए
पूनम अपने बगीचे के पौधों में हरी खाद या वर्मी कंपोस्ट का इस्तेमाल करती हैं. इस से मिट्टी की गुणवत्ता और ताकत बनी रहती है. उन का मानना है कि कैमिकल खादों के इस्तेमाल से मिट्टी बंजर हो जाती है. बगीचे में ही एक कोने में 8 फुट लंबा, 5 फुट चौड़ा और 4 फुट गहरा गड्ढा बना रखा है. गार्डन को साफ करने के दौरान उखाड़े गए घासपतवार को उस में डाल देती हैं. कुछ गोबरकूड़ा भी डाल कर उसे कुछ समय के लिए सड़ने को छोड़ देने से अच्छीखासी जैविक खाद तैयार हो जाती है. वे कहती हैं कि बागबानी करने के लिए जरूरी औजार आदि रखना आवश्यक होता है. खुरपी और प्लांटकटर काफी जरूरी औजार हैं. खुरपी से पौधों की जड़ों के आसपास मिट्टी को हलका कर देने से उस की जड़ों में हवा व पानी आसानी से पहुंचता है. प्लांटकटर से काफी ज्यादा बड़ी हो चुकी बेढब डालों को काट कर अलग कर पौधों की खूबसूरती को कायम रखा जा सकता है. पूनम दयाल के बगीचे में घूमने से उन की मेहनत, लगन और कलाकारी की झलक महसूस की जा सकती है.