मैं फोन पर अपनी ननद से बात कर रही थी. ननद बोली, ‘‘भाभी, जरा मेरे पोते अरुण से 1 मिनट बात कर लीजिए. यह मुझे आप से बात नहीं करने दे रहा है.’’ उधर से अरुण ‘हल्लोहल्लो’ करने लगा. उस से इधरउधर की 2-4 बातें करने के बाद जब मैं ने कहा, ‘‘वाह अरुण, अब तो तुम बड़े हो गए हो.’’ तो वह तपाक से बोला, ‘‘हां, मैं 10 वर्ष का हूं और स्कूल भी जाता हूं.’’
ननद ने उस से फोन ले कर हंसते हुए बताया, ‘‘भाभी, तुम तो जानती हो, यह अभी 5 साल का है पर जल्दी बड़े होने के चक्कर में अपनी उम्र बढ़ा कर बताता है.’’
पद्मिनी सिंह, मुंबई (महा.)
 
बात उन दिनों की है जब मेरी 65 साल की सास की बच्चेदानी का औपरेशन उसी नर्सिंगहोम में हुआ जिस में मेरा बेटा, बेटी और ननद बड़े औपरेशन से पैदा हुए. हम सब मिल कर सास को देखने नर्सिंगहोम गए.
मेरा 4 साल का बेटा बहुत उत्सुकता से नर्सिंगहोम में दादी को देखने जा रहा था. जब दादी को देखा तो बोला, ‘‘मम्मी, दादी का बेबी कहां है?’’ यह सुन कर हम सब नीचे मुंह कर के हंस रहे थे.
प्रीतम कौर, धनबाद (झारखंड)
 
पिछले दिनों टमाटर का भाव खास चर्चा का विषय रहा. जहां 2 महिलाएं मिलीं, टमाटर के भाव पर चर्चा शुरू.
हुआ यों कि मैं अपनी एक सहेली से बात कर रही थी, पास में उस का 6 साल का बेटा खेल रहा था. 
मैं ने कहा, ‘‘सुन सीमा, टमाटर तो आसमान चढ़ गए हैं.’’
इस पर उस का बेटा तपाक से बोला, ‘‘आंटी, अब क्या टमाटर आसमान से तोड़ कर लाएंगे?’’ यह सुन कर मैं और मेरी सहेली दिल खोल कर हंसे. महंगाई का खौफ पलक झपकते ही मन से उड़ गया.
इला कुकरेती, वसुंधरा एनक्लेव, (दिल्ली)
 
मेरी बेटी कशिश 3 साल की थी. उसे रोज रात को सोने से पहले मुझ से कहानी सुनने की आदत थी. उन दिनों हम उसे चम्मच की सहायता से अपनेआप खाना खाना सिखा रहे थे.
एक दिन रात को वह कहने लगी, ‘‘पापा, मैं आप को एक कहानी सुनाती हूं.’’ मेरे हां कहने पर उस ने सुनाना शुरू किया.
‘‘एक जंगल में एक शेर रहता था. एक दिन उस ने एक बंदर को पकड़ लिया और उस से कहा, ‘मैं तुझे खा जाऊंगा.’ बंदर ने तुरंत कहा, ‘कैसे खाओगे? तुम्हारे पास चम्मच तो है ही नहीं.’’’
यह बात सुनते ही मैं और मेरी पत्नी हंसे बिना नहीं रह सके.
दीपक कुलश्रेष्ठ, गुड़गांव (हरियाणा) 
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...