मैं अपनी बेटी को दिल्ली के होस्टल में टे्रन से छोड़ कर आ रही थी. मेरा डब्बा काफी खाली था. जैसे ही गाड़ी ने प्लेटफौर्म छोड़ा मैं ने अपने आसपास के यात्रियों का जायजा लेना शुरू किया. दूसरे यात्रियों पर तो ज्यादा ध्यान न गया पर ठीक मेरे सामने वाली बर्थ पर बुरका पहने एक मुसलिम महिला बैठी थीं. वे कम उम्र व मितभाषी थीं. उन के 6 बच्चे बेहद शरारत कर रहे थे. बड़ा बच्चा करीब 8 वर्ष का था और छोटा दुधमुंहा था.
कभी कोई बच्चा खिड़की से झांकता, कभी कोई दरवाजे की ओर भागता था, किसी को टौयलैट आती और किसी को कुछ. इन सब से बेखबर उन के पति अपने में ही मस्त थे, और साइड वाली खिड़की से बाहर के खूबसूरत नजारों का लुत्फ उठा रहे थे.
अगले स्टेशन पर कुछ हिजड़े डब्बे में चढ़ गए. उन को देख कर मैं ने अपनी आंखें बंद कर लीं और चुपचाप सीट पर लेट गई. हिजड़े पहले तो दूसरे यात्रियों से मांगते रहे. किसी को धमका कर तो किसी को पुचकार कर. फिर वे उस मुसलिम महिला व उस के पति से पैसे मांगने लगे पर उन्होंने पैसे देने से इनकार कर दिया. इस पर वे उस महिला से बोले, ‘‘तू बेचारी तो 6-6 बच्चों को संभाल रही है पर अपने आदमी को देख, ढेर सारे बच्चे पैदा कर नजारे देख रहा है.’’
दूसरा हिजड़ा उस के स्वर में स्वर मिला कर मुझे दिखा कर बोला, ‘‘और सास को भी बच्चों से कोई मतलब नहीं है. देख जरा, कैसे घोड़े बेच कर सो रही है. ए अम्मा, उठो. बहूबच्चों को संभालो वरना और मुटा जाओगी.’’
शर्म के मारे मेरा मुंह लाल पड़ गया. गाल जलने लगे. वह महिला लाख कहती रही कि वे मेरी सास नहीं हैं. पर वे न माने और मुझे उठा दिया और फिर कुछ रुपए ले कर ही वे वहां से गए.
ज्योत्सना खरे, लखनऊ (उ.प्र.)
विक्टर हमारी चाचीजी का प्यारा डौगी है. उन के हाथ से खाना खाता और उन के पलंग के नीचे सोता है. जब चाचीजी के बेटे की शादी हुई तब नई दुलहन शिल्पा का स्वागत भी उस ने घर के बुजुर्ग की तरह किया और जल्दी ही उस से घुलमिल गया.
चाचीजी कुछ दिन के लिए बाहर गई थीं. इस बीच शिल्पा को टैलकम पाउडर चाहिए था तो वह चाचीजी की ड्रैसिंगटेबल से लेने पहुंची. जैसे ही उस ने दराज खोली, विक्टर पता नहीं कहां से पहुंच गया और गुर्राने लगा. उस के बाद शिल्पा ने जैसे ही टैलकम पाउडर पर हाथ लगाया, विक्टर और जोरजोर से भूंकने लगा. वह तब तक भूंकता रहा जब तक उस की चाची नहीं आ गईं. उन के आते ही दोनों का मेल हो गया.
मनोरमा दयाल, नोएडा (उ.प्र.) 

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...