एक बार मैं इन के साथ ऊनी कपड़े की एक दुकान पर पहुंची. मु?ो अपने लिए कुछ वुलेंस लेने थे. इन्होंने दुकानदार से कहा, ‘‘भाई साहब, ऊनी ब्लाउज दिखाइए लेडीज के लिए.’’ इतना सुनते ही आसपास खड़े सभी कस्टमर हंस पड़े. अपने शब्दों पर ध्यान देते हुए मेरे पति की हालत देखने लायक थी.
सुधा अग्रवाल, लखनऊ (उ.प्र.)

मेरी माताजी अस्पताल में भरती थीं. सभी रिश्तेदार उन्हें देखने आ रहे थे. मेरी बहन के पति भी कानपुर से आए हुए थे. अस्पताल से घर वापस आते समय हमारी चाचीजी, जो पहली बार लखनऊ आई थीं, जीजाजी के साथ स्कूटर पर बैठ गईं. रास्ते में पैट्रोल पंप पर जीजाजी ने स्कूटर रोक कर पैट्रोल भराया. वहीं उन के एक दोस्त मिल गए. दोनों बातें करतेकरते पास ही पान की दुकान में पान खाने लगे. चाचीजी थोड़ी दूर खड़ी इंतजार कर रही थीं.
पान खाने के बाद जीजाजी ने दोस्त से हाथ मिला कर विदा ली और स्कूटर स्टार्ट कर के चल दिए. चाचीजी ने सोचा शायद कुछ काम से कहीं गए हैं, अभी वापस आ जाएंगे. काफी इंतजार करने के बाद भी जब जीजाजी वापस नहीं आए तो चाचीजी परेशान हो गईं. न उन के पास मोबाइल था और न ही घर का पता. जाएं तो जाएं कहां? किस से पूछें?
गनीमत थी कि उन्हें अस्पताल का नाम याद था. बड़ी दिक्कत के साथ रिकशा कर के वे अस्पताल वापस पहुंचीं. वहां हमारे भाई आदि उन्हें मिले और घर ले आए. घर पहुंच कर चाची के साथ घटी घटना और जीजाजी के भुलक्कड़पन पर सब खूब हंसे. आज तक उस घटना को ले कर हम जीजाजी को छेड़ते हैं.
शिवकांती, लखनऊ (उ.प्र.)

मेरी सहेली बहुत मिलनसार, बातूनी व हंसमुख स्वभाव की है. वह जब भी बात करने लगती है तो उस को रोकना मुश्किल होता है. इस के विपरीत उस के पति बहुत शांत हैं. जब भी मेरी सहेली बोलने लगती है तो उस के पति ‘कंट्रोल कंट्रोल’ कह कर उसे चुप करा देते हैं.
एक दिन सहेली के पति का पेट खराब हो गया. उन्हें खिचड़ी इत्यादि सात्विक भोजन खाना पड़ा. अगले दिन उन्हें एक पार्टी में जाने का अवसर मिला. वहां हम पतिपत्नी को भी निमंत्रण था.
पार्टी में कई तरह के स्वादिष्ठ व्यंजन व चाट का प्रबंध था. खिचड़ी खा कर उकताए मेरी सहेली के पति ने प्लेट भर कर खाना लेना शुरू किया. मेरी सहेली ने धीरे से ‘कंट्रोल कंट्रोल’ कह कर उन को सचेत किया. हंसते हुए वे सहेली का मुंह देखने लगे.
सुनीता भटनागर, विजयवाड़ा (आं.प्र.)
 

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