आज मन क्यों उल्लास है
आज जमीं को आसमां से हुई बात है
फिजाओं ने भी छेड़ी राग है
आज मन क्यों उल्लास है
आज हवाओं को घटाओं से हुई बात है
बहारों ने भी बरसाए फूल हैं
आज मन क्यों उल्लास है
आज चांद की चांदनी से हुई बात है
तारों ने भी सजाया आसमां है
आज मन क्यों उल्लास है
आज मन की मीत से हुई बात है
धड़कन ने भी छेड़ा साज है.
रंजना वर्मा
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