काम, क्रोध, मोह, लोभ मनुष्य की स्वाभाविक भावनाएं हैं. किसी भी भावना की अति नुकसानदायक होती है लेकिन क्रोध यानी गुस्सा आने की प्रवृत्ति सब से ज्यादा नुकसानदेह होती है. छोटा, बड़ा, बूढ़ा कोई भी इस से अछूता नहीं है.
रेखा पढ़ीलिखी, सुंदर लड़की है. कोई विशेष कारण न होने पर भी उस की शादी नहीं हो पा रही है. वह आत्मनिर्भर है, फिर भी उसे लोगों के ताने सुनने पड़ते हैं. लड़की होने की वजह से लोग उसी में कमी निकालते हैं, जैसे ‘अरे, इस के तो नखरे ही नहीं खत्म होते’, ‘ज्यादा पढ़ाईलिखाई ने इस का दिमाग खराब कर दिया है’, ‘इस को अपनी सुंदरता पर बहुत घमंड है’ आदि. लोगों की ऐसी ऊलजलूल बातों ने रेखा को चिड़चिड़ा और गुस्से वाला बना दिया है. अब कोई सामान्य तौर पर ही कुछ कह रहा होता है, रेखा उसे व्यक्तिगत मान कर, गुस्सा हो जाती है.
यह सच है कि जीवन में कई ऐसी घटनाएं घटती हैं जिन के चलते गुस्सा आना स्वाभाविक है. वहीं, हर उम्र व रिश्ते का गुस्सा अलग होता है.
बच्चे पढ़ाई नहीं करते तो मां को गुस्सा आता है और बच्चे को बिना उस की इच्छा के पढ़ाई करनी पड़े तो उसे गुस्सा आता है. वह उसे दर्शाने के लिए कभी किताबें पटकता है तो कभी दरवाजा जोर से बंद करता है.
गुस्सा एक बहुत ही स्वाभाविक क्रिया है. लेकिन ऐसा नहीं है कि उस पर काबू पाना नामुमकिन है. कई बार परिस्थितियां, अच्छेभले इंसान को गुस्सैल बना देती हैं.
जिस तरह खौलते पानी में अपना प्रतिबिंब दिखाई नहीं दे सकता, उसी तरह क्रोधी मनुष्य यह नहीं समझ सकता कि उस की भलाई किस में है. क्रोध कभीकभी काबिल से काबिल आदमी को भी मूर्ख बना देता है.
क्रोध में नासमझ रवैया
संजय और सुनीता की ‘लव मैरिज’ हुई थी. संजय काफी ठंडे स्वभाव का है जबकि सुनीता बातबात पर गुस्सा हो जाती है. संजय यदि देर से घर आए, किसी और से बात कर ले, कहीं जाना चाहे, हर बात में सुनीता अपनी हुकूमत चाहती है. यदि ऐसा नहीं होता तो वह उग्र हो जाती है. सुनीता के इस नासमझ रवैये ने संजय को उस से दूर कर दिया. इतना ही नहीं, इस रवैये के चलते संजय खुद भी गुस्सैल हो गया. कई बार घर का गुस्सा, औफिस के सहयोगियों पर भी निकल जाता है.
स्वाति रसोईघर में अपनी मनपसंद सब्जी बना रही थी. तभी फोन की घंटी बजी और वह उसे ‘अटैंड’ करने चली गई. जल्दबाजी में वह गैस बंद करना भूल गई. फोन पर बात करते हुए उसे इस बात का ध्यान ही नहीं रहा कि गैस चूल्हे पर सब्जी पक रही है. थोड़ी देर बाद उसे सब्जी के जलने की बू आई. उस ने झट फोन रखा और रसोई की तरफ दौड़ी. तब तक क्या हो सकता था, सब्जी तो जल ही चुकी थी. इस घटना में स्वाति अपना दोष देखने के बजाय, गुस्सा हो गई. अपना गुस्सा उस ने अपने बच्चों पर उतरा, पति से झगड़ा किया और 2 दिन तक घर का माहौल तनावपूर्ण बना रहा.
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि यह जरूरी नहीं है कि गुस्से का कोई महत्त्वपूर्ण कारण हो. कई बार रोजमर्रा की छोटीछोटी बातों पर गुस्सा आना भी आम बात है.
गौर किया जाए तो गुस्से के कई कारण होते हैं. बच्चों की जिद अकसर आप के धैर्य का इम्तिहान लेती है और हर समय जिद मानना बच्चों के भविष्य के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. बच्चों की बेमतलब की जिद और कहना न मानने पर महिलाएं अकसर गुस्सा हो जाती हैं.
आज के दौर में जहां दिनप्रतिदिन खर्चों में इजाफा हो रहा है, वहीं आमदनी उस हिसाब से न हो तो यह भी गुस्से की बुनियादी वजह बनती है. इस के अलावा अकसर देखा गया है कि घर व कार्यालय में यदि आप के द्वारा की गई मेहनत व कार्य को उचित रूप से सराहा न जाए तो यह लोगों के लिए गुस्से का कारण बन जाता है.
अपनी खामियां ही वजह
हर इंसान अपनी खूबियों व खामियों से वाकिफ होता है. अकसर इंसान अपनी खामियां खत्म करना चाहता है. उस दौरान यदि वह कामयाब नहीं होता तो उसे खुद पर ही गुस्सा आता है.
यह मानव स्वभाव है कि कोई भी अपनी बुराई सुनना पसंद नहीं करता. जब कोई आप की बुराई करता है तो आप के अहं को ठेस लगती है. लोगों का ऐसा बरताव भी गुस्सा दिलाता है.
इस के अलावा जब कोई विश्वास तोड़ता है तो भी कई बार गुस्सा हावी हो जाता है. अब सविता को ही देखिए. सविता ने रीमा को अपनी सच्ची सहेली मान कर अपने राज की सारी बातें बता दी थीं. लेकिन रीमा ने वे बातें दूसरे लोगों को बता दी थीं. रीमा के इस रवैये से सविता को काफी दुख हुआ और उस ने गुस्से में आ कर रीमा को खरीखोटी तो सुनाईं ही, साथ में वर्षों पुरानी दोस्ती को भी उस ने बायबाय कह दिया.
नियंत्रित करने की जरूरत
क्रोध करना किसी भी तरह से नुकसानदेह है. शारीरिक दृष्टि से कमजोर होने के साथसाथ व्यक्ति सामाजिक मानसम्मान भी खो बैठता है. लेकिन गुस्सा जब ज्वालामुखी बन जाता है तो उसे नियंत्रित करना भी आसान बात नहीं. क्रोध में क्योंकि व्यक्ति का स्वयं पर नियंत्रण नहीं रहता. इसलिए नियंत्रण करने की शुरुआत सामने वाले व्यक्ति को ही करनी पड़ेगी.
सामने वाला व्यक्ति का पहला कदम होगा खामोशी. क्रोध करने वाला सामने वाले व्यक्ति की बातों को ही सुन कर तड़ातड़ जवाब देता है. जब सामने वाला कुछ बोलेगा ही नहीं तो वह कितना बोलेगा. थोड़ी देर में गुस्से में आया व्यक्ति अपनेआप धीरेधीरे शांत हो जाएगा.
उपरोक्त बातों पर अमल कर के आप अपने गुस्से को बखूबी नियंत्रित कर पाने में सक्षम होंगे. जब क्रोध उठे तो तुरंत उस के नतीजों पर विचार करें. इस से आप के व्यवहार व दृष्टिकोण में आश्चर्यजनक परिवर्तन आएगा. समाज में आप का मान बढ़ेगा और हर कोई आप जैसे प्रसन्नचित्त व्यक्ति से मिल कर खुशी महसूस करेगा.