दलितब्राह्मण भाईभाई
समाज व देशभर से दबदबा टूटने के अलावा और भी कई वजहें हैं जिन के चलते ब्राह्मण समुदाय दुखी है. नई वजह पिछड़े वर्ग के नरेंद्र मोदी हैं जिन्हें भाजपा प्रधानमंत्री पद का अपना उम्मीदवार घोषित करने को उतारू है. बसपा सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ में हालिया संपन्न ब्राह्मण भाईचारा सम्मेलन में बदली भाषा का इस्तेमाल किया. नरेंद्र मोदी को निशाने पर रखते हुए उन्होंने कुछ ऐसे शब्दों का भी इस्तेमाल किया जिस की उम्मीद उन से नहीं थी. माया को मालूम है कि दलितों और ब्राह्मणों में भाषा का भी बड़ा फर्क है. लिहाजा, बजाय तीर्थयात्रा के चलन को कोसने के उन्होंने मोदी की क्षेत्रीय मानसिकता को कोसा. दलितों के पास अभी तीर्थयात्रा करने लायक पैसा भी नहीं है लेकिन अगर वाकई भाईचारा पनप पाया तो दलित भी सशुल्क वैतरणी पार करने में सवर्णों की बराबरी करने लगेंगे.
ज्योति धुन
किसी भी प्रदेश के सब से लंबे वक्त तक मुख्यमंत्री रहने का रिकौर्ड बनाने वाले पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु की जन्मशती इस साल मन रही है. माकपा मार्क्सवाद का दुखद और सीधासादा अंत देखने को तैयार नहीं है, इसलिए ज्योति बसु को उस ने देवता सरीखा बना दिया है. लोगों की थोड़ीबहुत दिलचस्पी ज्योति बसु में तो है पर माकपा और मार्क्सवाद में कतई नहीं. दूसरी बड़ी दिक्कत बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं, जिन की अप्रिय बातों और घटनाओं के बाद भी उन की लोकप्रियता घट नहीं रही है. बहरहाल, इस फीकी जन्मशती से बंगाल के लोग हैरान हैं कि माकपा ज्योति बसु की आड़ क्यों ले रही है.
पांच रुपए पर बवाल
नरेंद्र मोदी की प्रस्तावित 11 अगस्त की हैदराबाद रैली का शुल्क 5 रुपए रखने पर कांग्रेस की तिलमिलाहट स्वाभाविक है पर विरोधाभास की बात इस मामले में यह है कि राजनीतिक दलों व नेताओं पर आरोप लगते रहते हैं कि वे पैसे दे कर भीड़ खरीदते हैं. इस मामले में उलटा हो रहा है कि भीड़ से ही पैसा लिया जा रहा है. यह पैसा हालांकि राममंदिर निर्माण के चंदे सरीखे सा अरबों रुपए का नहीं है पर भाजपाइयों को इस बात का भी गहरा तजरबा है कि सिर्फ हाथ जोड़ने से कोई भक्त नहीं हो जाता, भक्त वह होता है जो जेब भी ढीली करे. तभी श्रद्धारूपी वोट मिलता है. काला पैसा ठिकाने लगाने का जरिया तो इसे नहीं माना जा सकता पर हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव जरूर इस से प्रेरणा लेते खासा पैसा बटोर सकते हैं जो कानपुर सीट से सपा के उम्मीदवार हैं.
कौकपिट में अभिनेत्री
कौकपिट क्या होता है, यह आम लोग नहीं जानते और जो जानते हैं वे इतना भर बता सकते हैं कि जैसे पुराने जमाने की खटारा बसों में बोनट होता था, कुछकुछ वैसा ही हवाईजहाज में कौकपिट होता है. फर्क सिर्फ इतना है कि बस ड्राइवर अपनी मरजी से बोनट पर सवारी बिठा सकता है पर पायलट कौकपिट में नहीं. बीते दिनों हैदराबाद-बेंगलुरु फ्लाइट में एअर इंडिया के 2 पायलटों ने दक्षिण भारतीय फिल्मों की मशहूर अभिनेत्री निथाया मेनन को बैठाया तो एवज में उन्हें निलंबित होना पड़ा. कौकपिट आम यात्रियों के लिए सुरक्षा कारणों से नहीं होता पर दिल और मनमानी पर किसी का जोर नहीं चलता. सफर चाहे बस का हो, रेल का या फिर हवाईजहाज का, हर किसी की ख्वाहिश होती है कि बगल में कोई खूबसूरत बाला हो पर निथाया मेनन पायलटों के लिए बला साबित हुई.