Readers’ Problems :

मेरी पत्नी मु से भावनात्मक रूप से दूरी बनाने लगी है

कुछ महीनों से मैं महसूस कर रहा हूं कि मेरी पत्नी मु से भावनात्मक रूप से दूर हो गई है. वह पहले की तरह बात नहीं करती, किसी भी विषय में रुचि नहीं दिखाती और अकसर अकेले रहना चाहती है. घर में माहौल भी ठंडा हो गया है. मु झे लगता है कि कहीं मेरी किसी गलती की वजह से ऐसा तो नहीं हुआ, लेकिन वह खुल कर कुछ बताती भी नहीं. मैं सम नहीं पा रहा कि हालात को कैसे सुधारा जाए?

रिश्तों में दूरी अकसर संवाद और भावनाओं के दब जाने से पैदा होती है. इसे खुल कर बातचीत करने से ही कम किया जा सकता है. बिना आरोप लगाए, शांति से उन की भावनाओं को जानने की कोशिश करें और उन्हें यह भरोसा दिलाएं कि आप उन की बात सुनने व सम झने के लिए तैयार हैं.

कई बार जिम्मेदारियों और तनाव के कारण भी महिलाएं चुप हो जाती हैं. जरूरी नहीं कि हर बार पति ही कारण हो. इसलिए इसे सिर्फ अपनी गलती मानने के बजाय स्थिति को व्यापक नजरिए से देखें. रिश्ता तब ही मजबूत होता है जब दोनों पार्टनर एकदूसरे को सुरक्षित महसूस कराते हैं. धैर्य के साथ धीरे-धीरे संवाद बढ़ाएं. अगर वे अकेले रहना चाहती हैं तो जबरदस्ती बात न करें. लेकिन पूरी तरह अनदेखा भी न करें. समय के साथ आप के बीच की दूरी कम होने लगेगी.

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मेरा आत्मविश्वास लगातार गिरता जा रहा है. क्या करूं?

मैं कुछ महीनों से महसूस कर रही हूं कि मेरा आत्मविश्वास बहुत कम हो गया है. छोटी-छोटी बातों पर भी मैं खुद को दोष देने लगती हूं और हमेशा लगता है कि मैं दूसरों से कम हूं. कालेज में सब दोस्त आगे बढ़ रहे हैं और मैं खुद को पीछे महसूस करती हूं. कई बार तो बाहर जाने, लोगों से मिलने का मन भी नहीं करता. मु झे सम झ नहीं आता कि खुद को वापस कैसे संभालूं और इस नकारात्मक सोच से कैसे निकलूं?

यह बिलकुल स्वाभाविक है कि जीवन के कुछ चरणों में हमें अपनी क्षमता कम लगने लगती है लेकिन यह स्थिति स्थायी नहीं होती. सब से पहले खुद पर अत्यधिक कठोर होना बंद करें और यह स्वीकार करें कि हर किसी की प्रगति का अपना समय होता है. अपनी छोटी-छोटी सफलताएं गिनना शुरू करें. यह आप को याद दिलाएगा कि आप पहले भी सफल रही हैं और आगे भी रह सकती हैं.

अपने दिन में कुछ ऐसा जरूर शामिल करें जो आप को अच्छा महसूस कराए, चाहे वह किताब पढ़ना हो, टहलना हो या किसी करीबी से बात करना. धीरे-धीरे आप पाएंगी कि आप का आत्मविश्वास वापस लौटने लगा है. सब से महत्वपूर्ण बात यह है कि खुद पर भरोसा रखें और धैर्य बनाए रखें.

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अच्छी नौकरी न मिलने पर खुद को नाकाम मान लिया.

मु झे लगता है कि मैं अपने परिवार की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पा रहा. मेरे परिवार को हमेशा से उम्मीद रही है कि मैं एक बड़ा और स्थिर कैरियर बनाऊं, लेकिन कई इंटरव्यू और कोशिशों के बाद भी मैं अभी तक अच्छी नौकरी नहीं पा पाया हूं. इस से मैं खुद को नाकाम सम झने लगा हूं. हर बातचीत में मु झे लगता है कि परिवार वाले मेरे बारे में निराश हैं. भविष्य को ले कर बहुत चिंता रहती है. क्या करूं?

कैरियर की राह कभी सीधी नहीं होती और कई लोग सफलता पाने से पहले कई असफल प्रयासों से गुजरते हैं. इस का यह अर्थ बिलकुल नहीं कि आप सक्षम नहीं हैं. आप को यह सम झना होगा कि परिवार की चिंता प्यार से जन्म लेती है. कई बार उन के शब्द अनजाने में दबाव का रूप ले लेते हैं.

अपने परिवार से ईमानदारी से बात करें और उन्हें बताएं कि आप प्रयास कर रहे हैं और उन्हें आप के साथ खड़े रहना चाहिए, न कि आप को निराश महसूस कराना चाहिए. खुद को दोष देने के बजाय अपने कौशल सुधारने, नए विकल्प तलाशने और धैर्य बनाए रखने पर ध्यान दें. सही अवसर आने में समय लगता है. यदि आप निरंतर प्रयास करते रहे तो सफलता जरूर मिलेगी.

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मुझे नए दोस्त बनाने में मुश्किल होती है. क्या करूं?

मैं कॉलेज के पहले साल में हूं. सभी नए दोस्त बना रहे हैं जबकि मैं किसी से आसानी से घुल-मिल नहीं पाती. मुझे डर लगता है कि लोग मु झे पसंद नहीं करेंगे या मैं उन के सामने अजीब लगूंगी. इस वजह से मैं ज्यादातर चुप रहती हूं. मुझे कोई राह सुझाएं.

नए माहौल में दोस्त बनाने में समय लगना सामान्य है, खासकर जब आप स्वभाव से थोड़ी संकोची हों. आप को यह याद रखना चाहिए कि दोस्ती हमेशा धीरे-धीरे पनपती है. किसी से हल्की सी बातचीत शुरू करना भी एक बड़ा कदम होता है और अकसर सामने वाला भी बातचीत के लिए उतना ही उत्सुक होता है जितना आप.

खुद को यह भरोसा दिलाएं कि आप को पसंद किए जाने के लिए किसी नकली रूप की जरूरत नहीं है. आप जैसी हैं, वैसी ही अच्छी हैं. छोटे-छोटे प्रयास, जैसे किसी की बात पर मुस्कुराना या किसी विषय पर राय सा झा करना वगैरह आप को लोगों के करीब लाने लगेंगे. एक बार आप अपनी झिझक तोड़ लेंगी तो आप को एहसास होगा कि दोस्त बनाना उतना मुश्किल नहीं जितना अभी लगता है. – कंचन

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