Dhurandhar Movie Review : ‘धुरंधर’ भारतीय सेना के दिवंगत मेजर मोहित शर्मा पर आधारित समझी जा रही है. वे 1978 से 2009 तक भारतीय सैन्य अधिकारी रहे, जिन्हें मरणोपरांत भारत के सैन्य सम्मान ‘अशोक चक्र’ से सम्मानित किया गया था. 21 मार्च, 2009 को जम्मूकश्मीर के कुपवाड़ा सैक्टर के हकरुदा जंगल में हुई मुठभेड़ में उन्होंने 4 आतंकवादियों को मार गिराया था.
2019 में दिल्ली मैट्रो रेल कौर्पोरेशन ने गाजियाबाद में राजेंद्र नगर स्टेशन का नाम बदल कर मेजर मोहित शर्मा राजेंद्र नगर मैट्रो स्टेशन कर दिया. इस फिल्म को आदित्य धर ने निर्देशित किया है. जिस ने फिल्म ‘उरी : द सर्जिकल स्ट्राइक’ फिल्म के निर्देशन के साथसाथ कई फिल्मों की पटकथा भी लिखी है. वह अभिनेत्री यामी गौतम का पति है.
यह एक ऐक्शन थ्रिलर फिल्म है. यह फिल्म भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रा) के कराची, पाकिस्तान के ल्यारी इलाके में स्थानीय गिरोहों और अपराध सिंडिकेट के साथ गुप्त अभियानों से प्रेरित है. फिल्म को 2 भागों में बनाया गया है. दूसरा भाग 2026 में रिलीज किया जाएगा. पहला भाग लगभग 3 घंटे 34 मिनट का है. इसे देखने के लिए काफी धैर्य की जरूरत है. यह अब तक की सब से लंबी भारतीय फिल्मों में से एक है.
इस फिल्म में काफी अरसे बाद रणवीर सिंह परदे पर गरम तेवरों में नजर आया है. हमजा के रूप में उस का किरदार काफी एनर्जेटिक, जोश और भावनाओं से भरा है. उस ने दर्शकों को चौंकाया है. निर्देशक ने फिल्म इतनी लंबी बनाई है कि बीच में खिंचीखिंची लगती है.
‘यह नया हिंदुस्तान है, घर में घुसेगा भी, मारेगा भी’ इसी कहानी को सिलसिलेवार दिखाया गया है. इस डायलौग को फिल्म के अंत में रणवीर सिंह के मुंह से कहलवाया गया है. कहानी एजेंट की है जिस पर अंतअंत तक सस्पैंस बनाया गया है. कहानी की शुरुआत कंधार हाईजैक की घटना से होती है. भारत के आईबी चीफ अजय सान्याल (आर माधवन) आतंकवादियों को तगड़ा जवाब देना चाहते हैं. परंतु सरकार ने उन की योजना को नकार दिया है. कुछ सालों बाद आतंकवादी संसद पर हमला करते हैं तब सरकार सान्याल के ‘धुरंधर’ प्लान पर काम करने को राजी होती है. प्लान के मुताबिक हमजा (रणवीर सिंह) को अफगानिस्तान के रास्ते पाकिस्तान भेजा जाता है जहां जा कर उसे ल्यारी के माफिया रहमान डकैत (अक्षय खन्ना) के गैंग में शामिल होना है. किसी तरह वह रहमान डकैत के गैंग में शामिल हो जाता है. शामिल होने के लिए वह रहमान डकैत के बेटे को बचाने की नाकाम कोशिश करता है जिस पर खुश हो कर रहमान उसे अपने गैंग में शामिल कर लेता है. हालांकि, किसी गैंगस्टर के गैंग में शामिल होने का यह प्लौट कईयों बार फिल्मों में दिखाया जा चुका है.
हमजा आगे जा कर रहमान का ख़ास गुर्गा बन जाता है, कई बार तो रहमान हमजा से ही एडवाइस लेने लगता है. इस बीच वह अपने दुश्मन को मार कर शेर ए बलोच बन जाता है और अब अपनी राजनीतिक पारी खेलने की कोशिश में है. इस बीच हमजा हुकूमत के खास जमील यमाली (राकेश बेदी) की बेटी एलीना (सारा अर्जुन) को अपने प्यार में फंसा लेता है. हमजा और एलीना का निकाह हो जाता है, मगर उस का सामना आईएसआई चीफ मेजर इकबाल (अर्जुन रामपाल) से होता है जो 26/11 में हमला करवाता है.
चौधरी असलम (संजय दत्त) बालूचों का सब से बड़ा दुश्मन है. वह करप्ट पुलिस वाला है जो नेताओं के इशारों पर काम करता है. अपनी कुरसी बचाने के लिए जमील यमाली असलम को रहमान डकैत को खत्म करने का औफर देता है. अब हमजा दुश्मन के किले तक पहुंच जाता है और उस के नैटवर्क को ध्वस्त कर देता है, मगर क्लाइमैक्स में फिल्म एक ऐसे मोड़ पर जा पहुंचती है जहां से पार्ट 2 का खुलासा होता है.
फिल्म एकदम काल्पनिक है, जिस में हकीकत के बड़े इंसिडैंट उठाए गए हैं. लेकिन असलियत और नकलियत का ऐसा घोल मिलाया गया है कि लोग समझ नहीं पाते कि यह रियल इंसिडैंट पर बनी फिल्म देख रहे हैं या फिक्शनल है. भारत, पाक पर और कंधार हाईजैक पर कई फिल्में पहले भी बन चुकी हैं. मगर लगभग 6 वर्षों बाद निर्देशन में लौटे आदित्य धर इसे बड़े लैवल पर प्रोजैक्ट करते हैं. फिल्म बीचबीच में खिंचीखिंची दिखाई देती है.
फिल्म में ढेरों कलाकार हैं, सभी खूंखार दिखाए गए हैं. पकिस्तान में आम इंसान तो दिखाई ही नहीं देता. निर्देशक ने पाकिस्तान में नकली नोट छापने का मुद्दा फिल्म में उठाया है. मुंबई हमले की टीवी रिपोर्टिंग देखते हुए आतंकियों का अलर्ट होना और भारतीयों को कमजोर करने के दृश्य विचलित करते हैं. लेकिन फिल्म मुंबई हमले के मास्टरमाइंड लश्कर ए तैयबा पर बात नहीं करती. इस में पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकी डेविड हेडली का हलका सा जिक्र है, यह भी अखरता है. फिल्म में जम कर हिंसा है. गालीगलौज भी बहुत है. बहुत बार तो बेमतलब गालियां बकी गई हैं. फिल्म ए रेटेड है.
रणवीर सिंह आक्रामक दिखा है, मगर उस के संवाद कम हैं. लंबे बालों का लुक उस पर जंचता है. अक्षय खन्ना का काम बढ़िया है, पूरी मूवी में वह छाया हुआ है. अर्जुन रामपाल को मुंबई हमले के बाद जश्न मनाते देख दर्शकों का खून खौल उठता है. अब तक कौमेडी वाली भूमिकाएं करने वाले राकेश बेदी ने इस बार मौकापरस्त नेता की भूमिका में चौंकाया है. संजय दत्त एसपी की भूमिका में है. सारा अर्जुन न भी होती फिल्म में तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता.
सिनेमेटोग्राफी बढ़िया है. फिल्म की अवधि कम की जा सकती थी. बैकग्राउंड में चलते पुरानी फिल्मों के गाने सुनने में अच्छे लगते हैं. संगीत भी प्रभावशाली है. ऐक्शन, थ्रिलर और जासूसी फिल्में देखने वाले दर्शकों को यह फिल्म पसंद आएगी. Dhurandhar Movie Review :





