Social Problem: कल्यानपुर के आंबेडकरपुरम गांव में हाल ही में एक दर्दनाक घटना घटी, जिस में सड़क पर घूम रही गाय ने एक बुजुर्ग को अपने सींग से उठा कर पटक दिया. यह घटना इतनी बर्बर थी कि न सिर्फ बुजुर्ग को पटका गया बल्कि उसे पैरों से भी रौंदा. यहां तक कि लोगों के लाठीडंडे से भगाने के बावजूद गाय बुजुर्ग व्यक्ति को रौंदती रही.

इस हादसे के बाद गांववालों ने संबंधित प्रशासन और पशु चिकित्सा विभाग को सूचित किया. और घायल व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया गया.

इस घटना से उस इलाके में दहशत का माहौल बन गया है. उत्तर प्रदेश सहित भारत के कई राज्यों में सड़कों और बस्तियों में घूमते आवारा पशुओं की समस्या सालोंसाल गंभीर होती जा रही है. आवारा पशु सड़कों पर खुलेआम घूमते रहते हैं, जिस कारण आए दिन दुर्घटनाएं, मौतें और कई बार लोग गंभीर रूप से घायल भी होते हैं.

सरकार के पशुपालन मंत्रालय द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार साल 2018 से 2020 के बीच उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं के चलते कुल 469 लोगों की जान गई. ये वे लोग थे जो गाय पर होने वाली राजनीति पर खामोश रहते हैं. यूपी के हमीरपुर जिले में 2020 से 22 के बीच एनएच-34 पर 308 सड़क हादसे सिर्फ आवारा पशुओं की वजह से हुए, जिस में 217 की मौत हुई और 553 लोग घायल हुए.

यह समस्या महज मौतों तक सीमित नहीं, छोटेबड़े घायल, गंभीर शारीरिक व मानसिक आघात तथा सड़क पर यातायात बाधित होने जैसी समस्याएं भी आम हो गई हैं. ग्रामीण इलाकों के किसान अपनी फसल की देखभाल के लिए रातरात भर खेतों में पहरा देते हैं, ताकि आवारा पशु उन की फसल को बरबाद न कर दें. शहरी क्षेत्रों में चालक, विशेष कर रात के समय, छिटपुट बचाव के बावजूद इन पशुओं से टकरा कर गंभीर रुप से घायल हो रहे हैं.

जगहजगह पशुओं का झुंड बैठा रहता है या अचानक सड़क पर आ जाता है, जिस से बड़े वाहन चालक अकसर अचानक टर्न या ब्रेक लगाने के चक्कर में हादसे का शिकार हो जाते हैं. सोशल मीडिया पर आवारा पशुओं की आपसी लड़ाई तो कभी लोगों को पटकपटक कर मारने की वीडियो अक्सर वायरल होती रहती हैं.

उत्तर प्रदेश में 2025-26 के राज्य बजट में गायों के लिए 2000 करोड़ रूपए आवंटन किए गए हैं बावजूद इस के गाय सड़कों पर हैं. सरकार द्वारा ‘मुख्यमंत्री सहभागिता योजना’ और हजारों अस्थायी व स्थायी गोशालाओं के निर्माण जैसे कदम उठाए गए हैं, परन्तु स्थानीय स्तर पर पशुओं की धरपकड़ और देखभाल का काम अभी भी कमजोर है. इस योजना के तहत 2.37 से ज्यादा आवारा गायों को लोगों को सौंपा गया है जिस के लिए प्रत्येक दिन 50 रुपए के हिसाब से पैसे दिए जाते हैं बावजूद इस के यह स्कीम जमीन पर असफल साबित हो रही है. लोग पैसे ले रहे हैं मगर मवेशी पालना नहीं चाहते.

नतीजन, उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में लाखों लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से रोज़ इस समस्या से जूझ रहे हैं. दरअसल सरकार समस्या का समाधान करने की जगह इसे और विकट बनाती जा रही है. गौरक्षक दल इस में घी का काम कर रहे हैं. लोग गाय से जैसेतैसे बच सकते हैं मगर गाय के हमले के दौरान अगर पलट वार कर दिया तो गौरक्षक से बचने की गारंटी नहीं है. Social Problem

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...