Road Accidents : लोग गाड़ी का बीमा और पर्यावरण जैसे प्रमाणपत्र भले ही न बनवाएं पर पूजापाठ जरूर करते हैं. ट्रक और बस से ले कर छोटी बड़ी हर गाड़ी में धर्म और पूजापाठ से संबधित निशान, मूर्ति ड्राइवर के सामने जरूर मिल जाती है. क्या इस से चीजें दुरुस्त हो जाती हैं?
समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने कहा कि उन की गाड़ियों का चलान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सजातीय लोगों की मिलीभगत से 8 लाख का हुआ है. यह चालान ओवर स्पीड को ले कर कटा था. लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवे का निर्माण अखिलेश यादव सरकार के दौरान ही हुआ था. आगरा एक्सप्रेसवे उस समय भी सब से अधिक टौल टैक्स और चालान को ले कर चर्चा में रहता था. इस बात पर सवाल उठता था कि इतने मंहगे टौल टैक्स के बाद भी सड़क का निर्माण और सुरक्षा का ध्यान नहीं रखा जाता है. जिस वजह से सड़क पर हादसे बढ रहे है. सरकार बदली तो आज अखिलेश यादव इस बात को उठा रहे है.
असल में इस के पीछे की वजह यह है कि बैलगाड़ी और रथ के जमाने से ले कर आज के दौर तक सड़क पर चलने के मामले में हम विज्ञान से अधिक पूजापाठ पर भरोसा करते हैं. साइकिल से ले कर मंहगी से मंहगी कार तक के मामले में जब नई गाड़ी आती है तो हम उस का पूजन कराने किसी मंदिर और पुजारी के पास ले जाते हैं. वह मंत्र पढ़ते हुए गाड़ी की पूजा लाल टीका लगा कर पूजा करता है. इस के बदले दक्षिणा लेता है. यह दंक्षिणा गाड़ी की कीमत देख कर ली जाती है. जैसे मोटर साइिकल की पूजा 501 रुपए में होगी तो छोटी गाड़ियों की 2100, और बड़ी गाड़ी 5100 रुपए होगी. राफेल लड़ाकू जहाज की पूजा भी रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मिर्च, नीबू और नारियल फोड़ कर किया था.
लोग गाड़ी का बीमा और पर्यावरण जैसे प्रमाणपत्र भले ही न बनवाएं पर पूजापाठ जरूर करते हैं. ट्रक और बस से ले कर छोटी बड़ी हर गाड़ी में धर्म और पूजापाठ से संबधित निशान, मूर्ति ड्राइवर के सामने जरूर मिल जाती है. नशे में सवार ड्राइवर भी गाड़ी चलाने से पहले गाड़ी का वंदन कर के ही आगे बढ़ता है. रास्ते में जहां मंदिर दिखता है ड्राइवर उस का अभिवादन करता रहा है. ड्राइवर को अपने गाड़ी चालाने के कौशल से अधिक पूजा पाठ पर भरोसा होता है. उस के सामने हनुमान की फोटो या मूर्ति लटकती रहती है.
वैसे तो पौराणिक ग्रंथों में सड़क का कोई देवता नहीं है. उस दौर में ऊंगली के इशारे से ही पुष्पक जैसे रथ चलते थे. पिछले 30-40 सालों में सड़क और गाडियों की तकनीक काफी बदल गई है. अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव ने जब अपनी राजनीति शुरू की थी तब उन के पास एक जीप होती थी. जिस की स्पीड 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटा थी पर उस दौर की सड़कों की हालत ऐसी नहीं थी कि जीप भी 15-20 किलोमीटर से अधिक की गति से चल सके. आज एसयूवी, मर्सडीज और एक्सप्रेसवे का जमाना है. सब कुछ बदला पर सड़क पर चलने की हैबिट में कोई बदलाव नहीं हुआ. वह पहले भी पूजापाठ के ऊपर टिकी थी. आज भी पूजापाठ के सहारे ही सड़क पर चलने की व्यवस्था चल रही है.
बढ़ते जा रहे हैं सड़क के हादसे
भारत में सड़क हादसे बढ़ रहे हैं. 2025 में 5.80 लाख से ज्यादा हादसों में 2.72 लाख से ज्यादा लोगों की जान चली गई. जिस में हर घंटे 65 हादसे और 20 मौतें हुईं. तेज रफ्तार, गलत दिशा में ड्राइविंग और सीटबेल्ट हेलमेट न पहनना मुख्य कारण है, जो खासकर 18-45 वर्ष के युवाओं को प्रभावित कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश में सब से ज्यादा मौतें हुई हैं.
2025 में अगस्त माह तक 25 हजार हादसों में 16 हजार लोगों की मौत हो गई. 2025 में कुल सड़क हादसों में 5.2 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. जो चिंताजनक है. सड़क हादसों के मुख्य कारणों में सब से अधिक तेज रफ्तार और रैश ड्राइविंग होती है. खासकर दोपहिया वाहन इस का ज्यादा शिकार होते हैं. वाहन चालक द्वारा यातायात नियमों का पालन न करना सड़क हादसों को दूसरा प्रमुख कारण होता है. इस में हेलमेट और सीट बेल्ट न पहनना मौत का प्रमुख कारण बनता है.
इस के अलावा गलत दिशा में गाड़ी चलाना और गलत तरीके से ड्राइविंग भी हादसों को बढ़ाती है. अत्यधिक काम के कारण ड्राइवरों को झपकी आ सकती है, जिस से हादसे होते हैं. रोड इंजीनियरिंग की कमी के कारण कुछ स्थानों पर रोड में खामियां भी हादसों का कारण बनती हैं. राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा मिशन के तहत सरकार 2030 तक सड़क हादसों को आधा करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए इसे चला रही है. लोगों को यातायात नियमों का पालन करने और सुरक्षित ड्राइविंग करने के लिए जागरूक किया जा रहा है. इंटरसेप्टर के जरिए ओवर स्पीडिंग पर नजर रखी जा रही है और ई-चालान पर भी जोर दिया जा रहा. जिस की बात समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव कर रहे थे.
सड़क हादसों से बचने के उपाए
सड़क हादसों से बचने के लिए यातायात नियमों का पालन करना सब से जरूरी होता है. इस के लिए गाड़ी को गति सीमा में चलाना चाहिए. सीट बेल्ट और हेलमेट का उपयोग करना जरूरी होता है. नशे में गाड़ी नहीं चलानी चाहिए. गाड़ी चलाते समय मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. गाड़ी की लाइट्स, टायर और ब्रेक की समयसमय पर जांच करवानी चाहिए. ट्रैफिक सिग्नल और संकेतों की जानकारी होनी चाहिए.
हर सड़क पर गाड़ी चलाने की तय गति सीमा होती है. अपने और सामने वाले वाहन के बीच पर्याप्त सुरक्षित दूरी बनाए रखें ताकि अचानक ब्रेक लगाने की स्थिति में आप सुरक्षित रूप से रुक सकें. यात्रा से पहले अपनी गाड़ी की लाइट्स, हेडलाइट्स, टेल लाइट्स, इंडिकेटर्स, टायर, और ब्रेक्स की जांच करें. इस का मतलब यह है कि पूजापाठ से सड़क हादसे कम नहीं होंगे. सड़क हादसों से बचने के लिए बड़ी संख्या में ड्राइविंग स्कूल खोले जाएं. जिस से ज्यादा से ज्यादा गाड़ी चलाने वाले सीख सकें.
आज के समय में भारत में सब से ज्यादा ऐसे लोग हैं जो ट्रेंड ड्राइवर नहीं है. ऐसे में हादसे बढ़ जाते हैं. ज्यादातर लोग अपनी गाड़ी में पूजापाठ के सहारे चलाने की कोशिश करते हैं. सुरक्षा गाड़ी चलाने और उस से जुड़ी जानकारियों से मिलेगी. नीबू मिर्च और गाड़ी की पूजा कराने करने से सड़क हादसे नहीं रुकेंगे. ज्ञान पर पाखंड को जिस तरह का बढ़ावा दिया जा रहा है उस के चलते ही सड़क हादसे बढ़ रहे हैं. ड्राइविंग स्कूल से सीखे ट्रेंड ड्राइवर और सड़क बनाने वाले कुशल इंजीनियरों की संख्या बढ़ने से सड़क हादसे रुकेंगे. Road Accidents