1983 में आई जितेंद्र और श्रीदेवी की फिल्म ‘हिम्मतवाला’ को साजिद खान ने दोबारा बना कर कोई तीर नहीं मारा है. न तो उन की फिल्म की कहानी में नयापन है, न ही मेकिंग में कोई बदलाव है. फिल्म के नायकनायिका जितेंद्र और श्रीदेवी की नकल करते नजर आते हैं.
साजिद खान ने इस फिल्म की रिलीज से पहले यह दावा किया था कि उन्होंने मसालों से लबरेज फार्मूलों के आधार पर इस फिल्म को बनाया है. इस में कोई शक नहीं है कि फिल्म में मसालों की भरमार है लेकिन ये मसाले बदहजमी पैदा करने वाले हैं.
कहानी रामपुर नाम के एक काल्पनिक गांव की है. गांव में मुखिया शेरसिंह (महेश मांजरेकर) का आतंक है. उस ने गांव के पुजारी पर चोरी का इल्जाम लगा कर उसे मरने पर मजबूर कर दिया था और उस की बीवी सावित्री (जरीना वहाब) और उस की बेटी को गांव से निकाल दिया था. एक दिन गांव में एक नौजवान रवि (अजय देवगन) आता है. उस की मुलाकात शेरसिंह की नकचढ़ी बेटी रेखा (तमन्ना) से होती है. रवि उसे शेर से बचाता है तो वह उस से प्यार कर बैठती है.
शेरसिंह रवि की बहन पद्मा की शादी अपने साले नारायणदास (परेश रावल) के बेटे शक्ति (अध्ययन सुमन) से करा देता है और पद्मा को परेशान करता है. एक दिन शक्ति को पता चलता है कि रवि उस का भाई नहीं है. वह रवि की पोल खोलता है तो सचाई सामने आती है कि रवि शहर में एक ऐक्सिडैंट में मर चुका है. लेकिन सावित्री उसे ही अपना बेटा मानने लगती है. अब रवि शेरसिंह, नारायणदास, शक्ति और उन के गुंडों से उन के अत्याचारों का बदला लेता है और गांव वालों को उन के आतंक से मुक्त कराता है.
फिल्म का निर्देशन धीमा है. साजिद खान ने बाघ पर फिल्माए गए 5-7 मिनट के दृश्यों को रिपीट कर दिखाया है, जिस से कि दर्शकों में सनसनी पैदा हो सके. अजय देवगन ने ‘सिंघम’ सरीखी ऐक्टिंग की है. महेश मांजरेकर और परेश रावल ने जोकरों जैसी ऐक्टिंग कर दर्शकों को हंसाने की कोशिश की है.