Shibu Soren : अर्बन नक्सली दक्षिणपंथियों द्वारा गढ़ा गया शब्द है जिसे वे शिक्षित अहिंसक बुद्धिजीवियों को बदनाम करने और उन के प्रति अपनी पौराणिक घृणा प्रदर्शित करने के लिए इस्तेमाल किया करते हैं. शिबू सोरेन इस लिहाज से अर्बन नक्सली ही कहे जाएंगे जिन्होंने महाजनी और सामंती चंगुल से आदिवासियों को मुक्त कराने के लिए जिंदगी भर लड़ाई लड़ी और जीते भी. 8 बार दुमका से सांसद रहे गुरुजी के नाम से मशहूर झारखंड के संस्थापक शिबू सोरेन 3 बार झारखंड के मुख्यमंत्री भी रहे थे.
शिबू सोरेन की जिंदगी हिंदी फिल्मों के नायकों सरीखी ही थी जिन के गांधीवादी पिता सोबरन मांझी की हत्या 1957 में सूदखोर महाजनों ने करवा दी थी. तब 13 साला इस किशोर ने बदला लेने की ठान ली लेकिन बदला व्यक्तियों से नहीं बल्कि व्यवस्था से लिया क्योंकि सवाल एक सोबरन की मौत का नहीं बल्कि लाखों शोषित आदिवासियों का था. इस हादसे से उन्हें समझ आ गया था कि हथियार और व्यक्तिगत हिंसा इस रोग का इलाज नहीं, बल्कि इलाज है लोगों को एकजुट कर सिस्टम को बदलना, जिस में अंतत वे सफल भी रहे.
साल 1970 में संगठित धनकटनी आंदोलन इस की शुरुआत था जिस ने सूदखोरों और महाजनों को हिला कर रख दिया था. हिंदी फिल्म मदर इंडिया के सुक्खी लाला की तर्ज पर सूदखोर महाजन आदिवासियों की उपज का बड़ा हिस्सा हड़प लेते थे और उन्हें भारी ब्याज पर कर्ज दे कर लूटते रहते थे. अनपढ़ अशिक्षत आदिवासी जहां महाजन चाहे वहां अंगूठा लगाने मजबूर को रहते थे. शिबू सोरेन का यह आंदोलन एक नहीं कई बिरजू पैदा करने वाला साबित हुआ था.
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